कानन पेंडारी मिनी जूं बना जानवरों की कब्रगाह.. फिर एक नील गाय की मौत 2 दिन पहले ही भालू की हुई थी मौत.. कानन प्रबंधन कर रहा मामले को दबाने का प्रयास …

लोकेश वाघमारे

बिलासपुर // बिलासपुर के कानन पेंडारी को जू कहे या जानवरों की कब्रगाह ये समझ के परे है क्योंकि यहां जानवरों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम ही नही ले रहा, कानन में बेजुबान जानवरों की लगातार मौत हो रही है और ये आंकड़े कम होने के बजाय बढ़ते ही जा रहे है शुक्रवार को एक भालू की मौत का मामला अभी खत्म भी नहीं हुआ था और रविवार को नील गाय की मौत की खबर आ गई,3 दिनों में 2 जानवरों की मौत कानन प्रबंधन की लापरवाही को उजागर कर रहा है नील गाय की मौत की खबर को प्रबंधन की ओर से दबाने का प्रयास किया जा रहा था लेकिन इसकी जानकारी मीडिया को लग गयी , हर बार की तरह इस बार भीं जानवरों की मौत के बाद उनका गुपचुप तरीके से पोस्टमार्टम करके उनके कफन दफन की तैयारी में प्रबंधन जुटा हुआ था ।

बतादें की रविवार की सुबह कानन पेंडारी में एक नीलगाय की मौत हो गयी जिसकी खबर फैल गई, इस मामले में कानन प्रबंधन पर्दा डालने के लिए पूरी तैयारी से जुटा हुआ था ।और गुपचुप तरीके से किसी को खबर ना लगे इस से पहले कफन दफन का इंतजाम करने लगे इस बात की जानकारी जब मीडिया तक पहुंची तो मामले की जानकारी लेने डीएफओ और रेंजर को मोबाइल पे काल किया रिंग जाती रही पर किसी ने मोबाइल रिसीव नही किया और तो और कानन पेंडारी के मुख्य द्वार व वीआईपी गेट से किसी को भी प्रवेश नही करने दिया गया ।

कानन में बेजुबान जानवरो की लगातार हो रही मौत प्रबंधन लापरवाह …

आपको बतादे की कानन में जानवरों की मौत का यह पहला मामला नहीं है यहां के लिए तो जैसे ये आम बात हो गई है कि हर दिन कोई न कोई बेजुबान जानवर समय से पहले अपनी मौत की भेंट चढ़ा जाता है इससे पहले भी कुछ वर्ष पूर्व 22 चीतलों की एक साथ मौत हुई थी ये सिलसिला यही नही थमा उसके बाद एक भालू की मौत फिर एक दरियाई घोड़ा,शुतुरमुर्ग, सफेद शेर और शेर के बच्चे की मौत हुई थी इतने जानवरों की मौत के बाद भी प्रबंधन के कानो मे जूं तक नही रेंग रही और उनका रवैया भी जानवरो के प्रति नही बदल रहा प्रबंधन की लापरवाही और बेहतर स्वास्थ अब तक मुहैया नहीं कराया जा रहा है अगर इसी तरह जानवरों की मौत होती रही तो कानन में कोई जानवर ही नही बचेगा,हर मौत के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है तब प्रबंधन चुपके से मृत जानवर की मौत की खबर को छन्नी में छानकर मीडिया और प्रशासन को देते है। जिसमें भी पूरी तरीके से लीपापोती कर दी जाती है और जिम्मेदार जानवर को ही ठहरा देते हैं कि उनकी मौत नेचुरल डेथ के कारण हुई है।

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