ग्रामीण इलाकों को रोशन करने 350 करोड़ की योजना पर छाया अंधेरा ,, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट ,,

बिलासपुर // छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल अंतर्गत बिलासपुर संभाग में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत ग्रामीण इलाकों के घरों को रोशन करने पोल, केबल लगाने का कार्य किया जा रहा है, इस योजना के लिए संभाग में करीब 350 करोड़ का टेंडर किया गया है। योजना में कार्य करने विद्युत विभाग ने सृष्टि कंस्ट्रक्शन कंपनी को मटेरियल सप्लाई का कार्य दिया गया है।

350 करोड़ की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में सामानों की गुणवत्ता को दरकिनार कर घटिया किस्म के सामानों की सप्लाई की जा रही है और विद्युत विभाग की आंखों में धूल झोंककर शासन को करोड़ो का चूना लगाया जा रहा है। योजना में गड़बड़ी सामने आने लगी है। इस पूरी योजना को लेकर एक शिकायत भी की गई है। गुणवत्ताहीन सामानों की सप्लाई और पोल , केबल लगाने में गड़बड़ी की शिकायत होने पर अब अधिकारी इस मामले की जांच करने की बात कर रहे है ।

आपको बतादे की केंद्र की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत संभाग में ग्रामीण इलाकों में 40 सबस्टेशन और 652 किमी लंबी बिजली लाइनों के विस्तार के लिए साल 2016-18 में 350 करोड़ का ठेका मेसर्स फेडर एन्ड लायर्ड को दिया गया था, लेकिन कंपनी के द्वारा प्रोजेक्ट के बीच मे ही गुणवत्ताहीन कार्य करने के बाद चांपा की मेसर्स सृष्टि कंस्ट्रक्शन को इतने बड़े प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंप दी गयी है। कम्पनी ने इतने बड़े जमकर गुणवत्ताहीन और नियम विरुद्ध कार्य करते हुए बिलासपुर और मुंगेली जिले में बिजली कंस्ट्रक्शन कार्य किया , जिसके परिणाम के तौर पर अब पोल गिरने और क्षतिग्रस्त होने की शिकायत विभाग को मिल रही है, जिस पर विभाग के अधिकारी जांच कर रहे है, लेकिन इसका खामियाजा आम उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है। दरअसल पोल गिरने,झुकने और इंसुलेटर खराब होने से फ़्यूज काल बढ़ चुके है। ग्रामीणों को भरी गर्मी में बिना बिजली के रहने को मजबूर होना पड़ रहा ।

दरअसल इस मामले को लेकर रायपुर निवासी सुजीत कुमार ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल में शिकायत की है, शिकायत में आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा है कि इतनी वृहद परियोजना में गुणवत्ता का जरा भी ख्याल कंपनी के द्वारा नही रखा गया है। और घटिया किस्म के मटेरियल की सप्लाई की जा रही है, जिसमे मुख्य रूप से लोहे का पोल,पीसीसी पोल, व्ही क्रॉस आर्म, इंसुलेटर, स्टे रॉड, स्टे प्लेट सहित सभी तरह के क्लैम, एंटी क्लाइंबिंग उपकरणों की सप्लाई की जा रही है। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह कारनामा सप्लायर के अकेले के बस का नही है, इस मामले में विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की मिलीभगत संभव है, क्योंकि उपकरणों की गुणवत्ता की जांच विद्युत विभाग के कर्मचारी ही करते है। उन्होंने बताया कि सैकड़ो किमी की लाइन का कार्य पूरा हो चुका है। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि विभाग के ही जिम्मेदार पदों पर आसीन अधिकारियों की मिलीभगत से ही सारे काम किये जा रहे है क्योंकि गुणवत्ताहीन कार्य होने के बावजूद कंपनी को भुगतान कर दिया गया है।

इन बिंदुओं पर जांच की मांग …

1. पोल पर सुरक्षा की दृष्टि से एंटी क्लाइबिंग उपकरण लगाए जाने का प्रावधान है जबकि पोल पर नार्मल तार बांधकर बिलों का भुगतान लिया जा रहा ।

2. सप्लायर कंपनी द्वारा पीसीसी पोल में वजन की चोरी सहित तार की क्वालिटी संख्या घटाकर मटेरियल की क्वालिटी के साथ मजदूरों की जान-माल के साथ खिलवाड़ हो रहा ।

3. विद्युत विभाग द्वारा तारों को बांधने बाइंडिंग वायर का प्रावधान है जबकि कंपनी द्वारा विभाग के ही कंडक्टर को खोल कर उपयोग किया जा रहा जबकि अलग से बाइंडिंग वायर के नाम पर बिल का आहरण किया जाता है ।

अधिकारियों की मेहरबानी 4 बार मिला कंपनी को एक्सटेंशन ..

दरअसल योजना के अनुसार साल 2016 से 2018 के बीच बिजली कंस्ट्रक्शन का कार्य किया जाना था, लेकिन दो साल बाद भी कंपनी के द्वारा अबतक 70 फीसदी कार्य ही किया गया है । ताज्जुब की बात है कि विद्युत विभाग के द्वारा अब तक 4 बार कंपनी के कामों के लिए एक्सटेंशन मिल चुका है। जानकारों के मुताबिक विभाग में अपने रसूक के चलते ठेके कंपनी को बार बार एक्सटेंशन मिल रहा है ।

” दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत किये गए कार्यो को लेकर शिकायत मिल रही है जिसकी जांच जारी है, हवा चलने से कहीं कहीं पर पोल गिरने की घटना हुई है,कुछ जगह काली मिट्टी है जिस कारण खम्बे झुक गए है, केंद्र की योजना है ,कार्य अच्छा हुआ है मटेरियल सही लगा है विभाग खुद इसकी जांच करता है, 80 %काम हो चुका है कुछ शिकायतें हुई है जिसकी लगातार जांच की जा रही है।गिरे हुए पोल का हिस्सा काटकर जांच के लिए रख गया है, गुणवत्ताहीन कार्य की जांच की जा रही ”

“सीएम बाजपेयी ईई विद्युत विभाग “

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