जब जिम्मेदार जनप्रतिनिधि, नेता अधिकारी ही तोड़ेंगे नियम तो आम जनता से क्यों करते है उम्मीद… प्रभारी मंत्री के स्वागत के बहाने कांग्रेसियों ने जुटाया हुजूम… नियमों की उड़ती रही धज्जियां…

बिलासपुर // छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में कोरोना का संकट लगभग कम होने के बावजूद यह कहते हुए सतर्क किया है कि कोरोना का प्रकोप कम जरूर हुआ है लेकिन इसके बाद भी सतर्क रहने की जरूरत है इसके विपरित बिलासपुर जिले के प्रभारी मंत्री बनने के बाद पहली बार बिलासपुर आए राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल के स्वागत में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की हजार के लगभग भीड़ इकट्ठी हो गयी थी भीड़ में ना तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया और बहुत से लोगो के चेहरे पर ना ही मास्क नजर आया।

कांग्रेस भवन में कार्यक्रम के साथ ही छत्तीसगढ़ भवन में भी टेंट लगाया गया और सभी के लिए भोजन की व्यवस्था की गई, स्वागत के बहाने इतना बड़ा आयोजन से निश्चित ही इस तरह की भीड़ जुटने से कोरोना की सावधानियों की धज्जियां उड़नी ही थी वहां सोशल डिस्टेंस का तो कोई नजारा ही नही दिखा। वहां मौजूद प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी भी बस भीड़ को देखते रहे और वे कर भी क्या सकते थे कार्यक्रम प्रभारी मंत्री और सत्ता पक्ष का जो था। ऐसे में आम जनता से मास्क और सोशल डिस्टेंस की उम्मीद करना कितना सही है। इस कार्यक्रम से जिला प्रशासन ने केवल आम जनता का जीवन ही संकट में नहीं डाला साथ में अपने राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, पीडब्ल्यूडी स्टॉप सहित न जाने कितने लोगों का जीवन संकट में डाला है।

प्रभारी मंत्री बनने के बाद पहली बार राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल बिलासपुर आए जिसे लेकर कांग्रेस भवन व छत्तीसगढ़ भवन में तैयारियां की गई थी मगर जिस तरह का हुजूम कांग्रेस भवन के बाहर इकट्ठा हुआ उसे देखकर लगता है कि कांग्रेस सरकार कांग्रेस पार्टी के नेता, कार्यकर्ता उत्सुकता वर्ष कोरोना के खतरे को पूरी तरह से भूल गए हैं, जिले के सारे बड़े नेता कांग्रेस भवन में एकत्रित हो गए हैं इसके साथ ही बड़ी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता और गांव से उठाकर लाए गए लोग कांग्रेस भवन के हॉल में इकट्ठा किए गए है ऐसे में सवाल उठता है कि जहां देश कोरोना महामारी की तीसरी लहर को लेकर चिंतित नजर आ रहा है वही छत्तीसगढ़ में दूसरी लहर के दौरान मुसीबतें झेलने के बावजूद भी यहां के नेता और मंत्री सजग नजर नहीं आ रहे हैं या फिर उनको अपने स्वागत की और संबंधों की इतनी चिंता हो गई है कि वह लोगों की जान खतरे में डालने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं।

सवाल उठना तो लाजमी है कि कोरोना काल में नियम कायदे और सावधानियां बरतने की जिम्मेदारी क्या सिर्फ शहर की जनता पर है ? शासन के मंत्रियों और अधिकारियों को क्या इसकी छूट है? शायद नहीं बल्कि शासन के मंत्रियों और अधिकारियों की तो ज्यादा जिम्मेदारी होती है कि वह इस तरह से आयोजन से बचे। कोरोना संकट में मंत्रियों को सार्वजनिक आयोजनों से को बचना चाहिए। लेकिन बिलासपुर में तो उल्टे स्वागत कार्यक्रम में सैकड़ो की संख्या में भीड़ जुटा ली गयी।

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