बिलासपुर // एक बेवा महिला की जमीन पर पिछले तीन सालों से रसूखदार व्यापारी सुरेश सिदारा ने कब्जा कर रखा है। जमीन पर कब्जे और सीमांकन के लिए महिला भटक रही थी लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। बिलासपुर तहसील में सीमांकन के लिए विधिवत आवेदन किया था, जिसके लिए विधिवत ज्ञापन 18.11.2019 को जारी किया गया था, जिसमे सीमांकन किया गया साथ ही आपत्ति भी प्राप्त हुआ।
जनवरी 2020 में प्रभार बदलते ही मामला नायब तहसीलदार श्रीमती तुलसी साहू के कोर्ट में पहुंचा तो उन्होंने विधिवत आपत्ति का निराकरण कर सीमांकन प्रकरण को नस्ती किया जो महिला के पक्ष में आया है। अब व्यापारी नायब तहसीलदार के खिलाफ ही शिकायत करते हुए घूम रहा है।
पूरा मामला इस प्रकार है। बेवा सरला अंगुरिया की चांटीडीह स्थित खसरा नंबर 440 बटे 1 जिसका कुल रकबा 12 डिसमिल है, पर चांटीडीह निवासी निवासी सुरेश सिदारा ने कब्जा कर रखा है। कब्जे को खाली करने के लिए बेवा महिला पिछले तीन सालों से चक्कर काट रही है, लेकिन रसूखदारी के दम पर सिदारा जमीन खाली नहीं कर रहे है। थकहार कर बेवा महिला द्वारा कानून का सहारा लेते हुए विधिवत सीमांकन के लिए बिलासपुर तहसील कोर्ट में आवेदन किया गया। तत्कालीन पीठासीन अधिकारी द्वारा दिनांक 18-11-2019 को विधिवत ज्ञापन जारी किया गया था। विधिवत हुए इस सीमांकन में राजस्व विभाग की पूरी टीम मौजूद थी।
सीमांकन रिपोर्ट और पंचनामा के दौरान कब्जाधारी सुरेश सिदारा भी स्वंय मौजूद थे और इस सीमांकन प्रतिवेदन पर अपने हस्ताक्षर भी किए हैं। राजस्व टीम ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की उसमें जमीन बेवा महिला सरला अंगूरिया के नाम पर विधिवत दर्ज पाई गई जबकि कब्जा सुरेश सिदारा का पाया गया। सीमांकन रिपोर्ट के आधार पर नायब तहसीलदार श्रीमती तुलसी साहू ने फैसला बेवा महिला के पक्ष में जारी किया। इसके बाद बेवा महिला ने जमीन पर कब्जे के लिए धारा 250 के तहत आवेदन दिया गया। आवेदन के पश्चात नायब तहसीलदार कोर्ट की ओर से कब्जेधारियों को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने हेतु पर्याप्त अवसर दिया गया, अखबार में विधिवत इश्तिहार एवं समन्स का प्रकाशन के साथ ही कब्जाधारी सुरेश सिदारा को 25 जून 2020 तक कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब दावा प्रस्तुत करने एवं पक्ष समर्थन में दस्तावेज प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया था। नीयत तिथि तक सिदारा की ओर से कोई जवाब दावा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई गई। सिदारा की ओर से उनके अधिवक्ता द्वारा 1 दिन बाद 26 जून 2020 को कोर्ट में उपस्थित होकर नायब तहसीलदार से अनुरोध किया गया कि उन्हें जवाब प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए। नायब तहसीलदार श्रीमती तुलसी साहू ने इस अनुरोध को भी स्वीकार किया और दो बार अलग-अलग तिथियों पर जवाब प्रस्तुत करने का मौका कब्जाधारी सुरेश सिदारा को और उनके द्वारा अधिकृत अधिवक्ता को दिया गया इसके बाद भी सिदारा या उनके अधिवक्ता की ओर से किसी प्रकार का जवाब दावा नायब तहसीलदार के कोर्ट में प्रस्तुत नहीं की गई है।
दूसरे की 50 डिसमिल से अधिक पर कब्जा…
पूरे मामले में पड़ताल की गई तो मालूम पड़ा कि सिदारा की जमीन मौके पर है ही नहीं। मजे की बात देखिए तहसील कोर्ट ने बेवा महिला श्रीमती सरला अंगूरिया के आवेदन पर खसरा नंबर 440 की 12 डिसमिल जमीन के लिए सीमांकन कराया है और उसी जमीन पर कब्जे के लिए श्रीमती अंगुरिया ने आवेदन भी किया है। अब देखिए पंजीयन विभाग से मिली जानकारी और रजिस्ट्री पेपर के हिसाब से सुरेश सिदारा की जमीन खसरा नंबर 443 बटे 2, 443 बटे 3, 443 बटे 4, 443 बटा 5, 443 बटे 6 में कुल रकबा 13 डिसमिल है। साफ है कि खसरा नंबर 440 और 443 काफी दूर-दूर होंगे और इसके बाद भी दूसरी जमीन के सीमांकन पर बार-बार आपत्ति लगाते हुए कोर्ट का समय खराब किया जा रहा है। मौके पर जाकर देखा गया तो मालूम पड़ा कि सिदारा ने न सिर्फ बेवा महिला बल्कि दूसरों की जमीन पर भी 50 डिसमिल से अधिक जमीन पर कब्जा कर रखा गया है
आखिर अपनी जमीन का सीमांकन क्यों नहीं करा रहे सिदारा…
अब जरा ध्यान दीजिए सुरेश सिदारा जिस जमीन पर कब्जा कर के बैठा हैं वह जमीन उसकी नहीं है। सिदारा के जमीन की रिजस्ट्री पेपर से यह साफ हो गया है। बड़ी बात यह है कि कब्जे वाली जमीन के आसपास भी सिदारा की जमीन नहीं है। इसके बाद भी सिदारा द्वारा आसपास की करीब 50 डिसमिल दूसरे की जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। यही नहीं बार-बार दूसरे की जमीन के सीमांकन और कब्जे के आवेदन पर आपत्ति की जा रही है। तहसील कोर्ट के जानकार के मुताबिक यदि किसी प्रकार की आपत्ति सिदारा को है तो वह अपनी जमीन का सीमांकन क्यों नहीं करा ले रहे, जिससे की सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। राजस्व विभाग के जानकार और अधिवक्ता प्रकाश सिंह के मुताबिक विधिवत आवेदन प्रस्तुत करने के बाद राजस्व विभाग की टीम के माध्यम से सीमांकन कराया गया है जो कि श्रीमती सरला अंगूरिया के पक्ष में आया है। श्री सिदारा को किसी प्रकार की आपत्ति है तो वे अपनी जमीन का सीमांकन करा सकते हैं।
अधिकारियों को धमकी और ऊंची पहुंच का दे रहा हवाला…
पूरे मामले में एक बात और ध्यान देने लायक है कि कब्जा धारी सुरेश सिदारा द्वारा अब राजस्व अधिकारियों को धमकाने और ऊंची पहुंच का हवाला दिया जा रहा है। इसके साथ ही अधिकारियों के परिवार और उनकी व्यक्तिगत छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है। सिदारा की ओर से कलेक्टर और राजस्व मंत्री को शिकायत की गई है, जिसमें प्रकरण की जल्दी सुनवाई पर आपत्ति दर्ज की गई है। इस बारे में कलेक्टर डॉ सारांश मित्तर का कहना है कि यदि प्रकरण की सुनवाई जल्दी और विधिवत तरीके से हो रही है तो उसमें किसी प्रकार की आपत्ति नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह तो पक्षकारों के हित में है। मामले में नायब तहसीलदार श्रीमती तुलसी साहू का कहना है कि राजस्व प्रकरणों में पारित आदेश आपराधिक षडयंत्र या अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं यदि पारित आदेश में किसी प्रकार की आपत्ति/असंतुष्टि किसी भी पक्षकार को है तो ऊपरी कोर्ट में अपील/पुनरीक्षण की जा सकती है। प्रस्तुत मामले में उन्होंने विधिवत सीमांकन को नस्ती किया है और lrc -1959 की धारा 250 में भी विधिवत अवसर देते हुए प्रकरण की सुनवाई विधिवत तरीके से की जा रही है।
कोर्ट को गुमराह कर रहा है सिदारा…
पूरे मामले में सुरेश सिदारा द्वारा राजस्व विभाग को गुमराह करने की भी जानकारी मिल रही है। दरअसल सीमांकन और कब्जा आवेदन पर आपत्ति से लेकर नायब तहसीलदार के खिलाफ शिकायत में श्री सिदारा द्वारा जो आवेदन दिया गया है उसमें अलग-अलग पता दर्ज कराया गया है। नायब तहसीलदार के खिलाफ शिकायत में सिदारा ने अपना पता व्यापार विहार दर्ज किया है जबकि कब्जा और सीमांकन की आपत्ति में उन्होंने अपना पता चाटीडीह निवासी होना बताया है। राजस्व विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिस दिन सीमांकन हुआ उस दिन सुरेश सिदारा ने स्वयं उपस्थित होकर आपत्ति प्रस्तुत किया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस आपत्ति को खारिज करते हुए प्रकरण को नस्तीबध्द किया जा चुका है।
पक्ष में निर्णय देने अप्रत्यक्ष दबाव बना रहा…
सुरेश सिदारा द्वारा अवैध कब्जा हाथ से निकल जाने के भय से अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ विभिन्न जगहों पर शिकायत कर अपने पक्ष में निर्णय देने के लिए अप्रत्यक्ष दबाव बनाया जा रहा है। वर्तमान में संबंधित प्रकरण में एलआरसी -1959 की धारा 250 में कब्जा के लिए आवेदिका द्वारा आवेदन लगाया गया है जो कि प्रक्रियाधीन है। इसमें जिसमें शिकायतकर्ता द्वारा जवाब देने/अपना पक्ष साबित करने/या अपनी भूमि का सीमांकन कराने के बजाय महिला अधिकारी की छवि खराब कर,अप्रत्यक्ष दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे फर्जी शिकायतकर्ता पर उचित दंडात्मक कार्यवाही होनी चाहिए ताकि अधिकारी कर्मचारी हतोत्साहित न हो और बेवा महिला को उसका हक मिल सके।
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