दीपिका खदान : के कोयला निकासी बेल्ट में लगी भीषण आग ,,
200 मीटर लंबा बेस्ट जलकर हुआ राख लाखों का हुआ नुकसान ,,
कोरबा // दीपका खदान से कोयला निकासी के लिए बिछे कन्वेयर बेल्ट में अचानक आग लग गई। घटना में लगभग 200 मीटर लंबा कन्वेयर बेल्ट जल गया। जानकारी मिलने पर प्रबंधन ने पानी छिड़काव करा आग पर काबू पाया। इस अग्निकांड में लाखों रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं बेल्ट बंद होने से फिलहाल कोयला निकासी दूसरे बेल्ट से की जा रही है।
एसईसीएल की दीपका ओपन कास्ट परियोजना में खदान के अंदर से साइलो तक कोयला निकालने का काम कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से किया जाता है। प्रतिदिन 80 हजार टन कोयला उत्पादन होने से एसईसीएल ने अलग-अलग नाम से तीन लाइन में कन्वेयर बेल्ट बिछाया है, जो 24 घंटे लगातार चलते हैं। शुक्रवार को क्यूपी वन नंबर के बेल्ट में आग लग गई और थोड़ी ही देर में बेल्ट धू-धू कर जलने लगा। बताया जा रहा है कि तेज आग निकलने पर कर्मचारियों तथा प्रबंधन को जानकारी हुई। आनन-फानन में पानी डाल कर आग पर काबू पाया गया, लेकिन तब तक 200 मीटर लंबा कन्वेयर बेल्ट जल चुका था।
जानकारों का कहना है कि घटना के वक्त बेल्ट बंद था, पर उसमें कोयला भरा हुआ है। प्रबंधन ने बेल्ट बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। आग क्यों व कैसे लगी, अभी स्पष्ट नहीं हो सका। मामले को छिपाने का प्रयास किया गया, पर सफलता नहीं मिल सकी। आग लगने से क्यूपी वन नंबर बेल्ट से कोयला आपूर्ति बंद हो गई है। शेष दो बेल्ट क्यूआर टू व क्यूआर थ्री चालू होने से कोयला निकासी की जा रही है।
दीपका क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि बेल्ट की साफ सफाई व मेंटनेंस का काम ठेका पर दिया जाता है, पर न तो नियमित सफाई नहीं होती है और न ही नियमित मेंटेनेंस किया जाता है। बेल्ट चलाने के लिए लगे कई रोलर टूट चुके हैं, इन्हें बदल कर दूसरा नहीं लगाया जाता है। बेल्ट लोहे में चलने से घर्षण होकर गर्म हो जाता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इसी वजह से बेल्ट में आग लग गई जिसने धीरे-धीरे भड़क कर भयावह रूप ले लिया।
खदान से बेल्ट से कोयला निकाल कर सीधे बेल्ट में डाल कर साइलो तक पहुंचाया जाता है और जब बेल्ट बंद करना होता है तब पूरा बेल्ट खाली कर बंद किया जाता है। बताया जा रहा है कि इस कार्य में भी लापरवाही बरती गई है। आगजनी के दौरान बेल्ट में कोयला भरा हुआ था। चूंकि खदान में कोयले में आग हमेशा लग रही है, इसलिए संभावना जताई जा रही है कि बारिश के कारण कोयले की ऊपर लगी राख निकल गई होगी और आग लगा कोयला बेल्ट में आ गया होगा। बेल्ट पूरा खाली नहीं होने से गर्म कोयला से बेल्ट में आग लग गई।
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