न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद उचित मूल्य की दुकानों का किया जा रहा आंबटन,
रतनपुर // रतनपुर में अब एक बार फिर उचित मूल्य दुकान आबंटन को आधार बनाकर खाद्य विभाग द्बारा कार्ड और वार्ड के बंदरबांट का कुचक्र रचा जा रहा है।गरीबी रेखा सर्वे सूची 2007-08 में फर्जी और मृत व्यक्तियों के कालातीत 1393 कार्डों का मामला हो या 2014 में उचितमूल्य दुकानवार वार्डों के राशनकार्डो के त्रुटिपूर्ण संलग्नीकरण का मामला या फिर वर्तमान कोरोनाकाल में सरकारी चाँवल के अवैध खरीद फरोख्त का मामला, खाद्य विभाग के अनुविभागीय कार्यालय और रतनपुर नगरीय प्रशासन का चोली दामन का रिश्ता कायम रहा है।
इस संबंध में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कोटा द्बारा रतनपुर नगरपालिका क्षेत्र में उचित मूल्य दुकान चलाने के इच्छुक ऐसे समूहों/समितियों से आवेदन आमंत्रित किया गया है, जिन्हें कम से कम तीन महीने तक दुकान चलाने का अनुभव हो। विज्ञापन इश्तहार में जिन वार्डों को शामिल किया गया है उनमें से तीन वार्ड ऐसे हैं जिनके लिए आवेदन आमंत्रित करना कानूनी तौर पर नियम विरुद्ध है। आबंटन में शामिल वार्डों में वार्ड 2′ गांधीनगर, वार्ड 4 भगतसिह एवं वार्ड 6 उन दो आई.डी. में संलग्न हैं जिन्हे कोरोनाकाल में चाँवल हेराफेरी के आरोप में निलंबित किया गया है। तथा मामला न्यायिक जाँच के अधीन है। सरकारी चाँवल की हेराफेरी मामले में जाँच अधिकारी ने अपने प्रतिवेदन में स्पष्ट उल्लेख नहीं किया है कि जप्त चाँवल आरोपित दोनों आई डी में किस आई डी एवं संलग्न किस वार्ड का चाँवल है। जबकि आरोपी दुकानदार का कहना है उसने सीलबंद चाँवल की कट्टी केवल मध्यान्ह भोजन मद के तहत वितरित किया है। जिसका कूपन जाँच के दौरान जाँच अधिकारी को दिया गया है, किंतु जाँच अधिकारी ने अपने आरोपपत्र में कूपन एवं दुकानदार के कथन का उल्लेख ही नहीं किया है। आरोपी अध्यक्ष के द्वारा भी जप्त चाँवल को दान में प्राप्त होना बताया गया है। ये अलग बात है कि नगर पालिका से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी में जनसूचना अधिकारी द्बारा कोरोनाकाल में दान अथवा किसी भी अन्य मद से चाँवल प्राप्ति संबंधी अनभिज्ञता जाहिर किया गया है। साथ ही अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोटा में प्रस्तुत आवेदन के परिपेक्ष्य में डेढ़ माह बाद भी आवेदक को कोई सूचना प्रदाय नहीं किया गया है। बहरहाल मामला न्यायालय में विचाराधीन है। लिहाजा आरोपित आई डी से संबंधित वार्डों के दुकानों को विज्ञापन में शामिल किया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता।
नगरपालिका से सरकारी चाँवल जप्ती का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद जनहित एवं हितग्राही हित की आड़ लेकर नये दुकानों के साथ विवादित एवं निलंबित आई डी के वार्डो को शामिल किया जाना विभाग के नेकनियती पर संदेहास्पद प्रतीत हो रहा है।
ज्ञात हो कि वर्तमान सहायक खाद्य अधिकारी कोटा तथा चाँवल चोरी मामले में नियुक्त जाँच अधिकारी अशोक सवन्नी के ऊपर राजपत्र में उल्लेखित प्रावधानों के विपरीत आचरण करते हुए उनके पूर्ववर्ती कार्यकाल (खाद्य निरीक्षक कोटा) में अपने पसंदीदा दुकानदारों को मनवाँछित वार्ड एवँ मनचाही कार्ड संख्या उपलब्ध कराने, एक वार्ड के हितग्राही कार्डौ को दूसरे वार्ड के दुकानों में संलग्न करने तथा पर्याप्त कार्ड संख्या नहीं होने बावजूद नया दुकान आबंटित करने का आरोप लग चुका है। तथा उनके इस कृत्य के कारण जिला खाद्य अधिकारी के निलंबन की माँग भी उठ चुकी है।
सवाल उठता है कि आरोप में फँसे निलंबित आई डी में संलग्न वार्ड 2, 4 एवं 6 हेतु नया दुकान आबंटन के दौरान यदि आरोपी दुकान संचालक द्वारा आबंटन के विरुद्ध स्थगन आवेदन लगाया जाता है, तब क्या होगा? क्योंकि न्यायालय का निर्णय आये बिना नगरपालिका अध्यक्ष एवं दुकानदारों को गुनाहगार घोषित नहीं किया जा सकता।
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