बिलासपुर के बहुचर्चित बिल्डर व समाज सेवक हरदीप सिंह खनूजा को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत ,, आगामी आदेश तक दंडात्मक कार्यवाही पर कोर्ट ने लगाई रोक ,,

बिलासपुर के बहुचर्चित बिल्डर व समाज सेवक हरदीप सिंह खनूजा को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत ,,

बिलासपुर // शहर के चर्चित बिल्डर हरदीप सिंह खूनजा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत प्रदान कर दी है। तीन सदस्यीय पीठ ने राज्य शासन को जारी आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आगामी आदेश तक कोई कदम न उठाया जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर राज्य शासन से जवाब तलब किया है।
याचिकाकर्ता खनूजा ने वकील संदीप श्रीवास्तव के जरिए सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दायर कर राहत की गुहार लगाई थी। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अपने खिलाफ दायर एफआईआर को रद करने और बिलासपुर पुलिस अधीक्षक द्वारा भगोड़ा घोषित करने के आदेश को रद करने की मांग की थी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि पुलिस ने उसके खिलाफ दुर्भावनावश एफआईआर दर्ज किया है। जांच पड़ताल के बाद पुलिस के आला अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में एफआईआर दर्ज करने में चूक होने की बात कोर्ट में स्वीकार की थी। इसके बाद भी उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के अलावा दुर्भावनावश भगोड़ा घोषित कर दिया गया है। इससे उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा तो धूमिल हुई साथ ही व्यावसायिक प्रतिष्ठा को भी धक्का पहुंचा है। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई । सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश जारी किया है कि आगामी आदेश तक याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी तरह की कोई कठोर कार्रवाई न की जाए । इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता के वकील ने पेश की दलील ..

बिलासपुर जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दुर्भावनापूर्वक कार्रवाई की है। व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा के चलते एक बिल्डर के इशारे पर की गई शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ भादवि की धारा 420 के तहत जुर्म दर्ज कर दिया गया । संवैधानिक पहलुओं का हवाला देते हुए कहा कि एफआइआर दर्ज करने से पहले नियमानुसार विवेचना भी नहीं की गई । सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया । आला अफसर के कहने पर मातहत अधिकारियों ने बगैर किसी पूछताछ और उनका पक्ष जाने बगैर ही एफआइआर कर दिया है। पुलिस ने माना है कि एफआईआर करने में त्रुटि हुई है। इससे साफ जाहिर है कि आला अफसर के इशारे पर यह सब किया गया है। इससे याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचा है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील संदीप श्रीवास्तव,परन श्रीवास्तव,विनोद कुमार व ब्रजकिशोर मिश्रा ने पैरवी की ।

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