विकास को तरसता बिलासपुर… अधूरे विकास की अधूरी कहानी… पूर्वमंत्री अमर अग्रवाल की जुबानी…

विकास को तरसता बिलासपुर… अधूरे विकास की अधूरी कहानी… पूर्वमंत्री अमर अग्रवाल की जुबानी…

बिलासपुर, अप्रैल, 16/2023

बिलासपुर शहर के अधूरे कार्यों एवं बदहाल व्यवस्था को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ भाजपा नेता और पूर्वमंत्री अमर अग्रवाल के द्वारा 20 मार्च से 15 अप्रैल तक बिलासपुर विधानसभा के अलग अलग स्थानों में विकास को तरसता बिलासपुर कार्यक्रम नाम से धरना प्रदर्शन किया गया था रविवार 15 अप्रैल को धरना प्रदर्शन कार्यक्रम के अंतिम दिन पूर्वमंत्री अमर अग्रवाल ने शहर के एक होटल में प्रेसवार्ता के दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा की 2019 में कांग्रेस की सरकार बनी है। लोगों का भरोसा लौटकर झूठे वादों से सरकार से 5 साल में ही किसान हो या युवा कर्मचारी अधिकारी, श्रमिक व्यापारी बजुर्ग महिला पुरुष, संविदा कर्मी, अनियमित कर्मी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रसोईया, पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, स्वास्थ्य कर्मी, मितानिन हो, पैरामेडिकल डॉक्टर, बेरोजगार यह तक कि सफाई कर्मचारी आदि कोई ऐसा वर्ग नहीं है जो त्रस्त हो। विकास के नाम पर पूर्व में जारी छोटी-बड़ी सभी परियोजनाएं वित्तीय संसाधनों एवं दोषपूर्ण निष्पादन से ठप्प पड़ी हुई है। राजधानी रायपुर हो या न्यायधानी बिलासपुर या फिर प्रदेश का कोई इलाका अपराध, माफिया और
नशाखोरों की जवाइन में छत्तीसगढ़ का हाल बेहाल हो गया है।

मंत्रिमंडल के सदस्य भी अपने आप को मोहताज पाते हैं और किसी तरह से दिन गिन रहे हैं। सीएम हाउस के सुपर कैबिनेट माने जाने वाले ब्यूरोक्रेट्स रात्ता संरक्षण में भ्रष्टाचार की हदे तोड़ चुके हैं। 5 वर्षो में छत्तीसगढ़ के हालात राष्ट्रीय शर्म का विषय बन गए है। यही अधिकारी जब हमारा समय था तो अनुशासन में रहते थे नए कीर्तिमान बनते थे और यह मेडल आते थे आज भ्रष्टाचार के प्रतिमान बन रहे तो जांच के लिए ईडी आएगी, आईटी आएगी इसमें गलत क्या है, फिर दोहराता हूं राज्य की सरकार की ईडी का आभारी होना चाहिए जो गंदगी सरकार को साफ करनी है वह भी ईडी साफ कर रही है, अगर आपके इरादे साफ है आप विचलित क्यों होते हैं, हो जाने दीजिए दूध का दूध और पानी का पानी। प्रदेश की जनता जानना चाहती है क्या इसलिए छत्तीसगढ़ बना था कि गोलमाल की आजादी होगी जो रोकेगा उसके खिलाफ धरना करेंगे, जिस संविधान की आप ने शपथ ली और सीएम बने उसी संविधान के संरक्षक राज्यपाल के खिलाफ बयानबाजी करते है।

जनहितों के बजाय केवल राजनीतिक मान मर्यादा और संसदीय परंपराओं को ताक में रख देंगे….

पूर्वमंत्री ने कहा है कि कांग्रेस के नेता विदेश में जाते हैं और भारत विरोधी एजेंडा सीख कर आते हैं, आप उनसे सीखते हैं तो देश की संघीय व्यवस्था और संविधानिक पदों पर बैठे प्रधानमंत्री को निशाना बनाते है। आपकी फोटोशूट की चाह की हद कोरोना एप के टीके में दिख गई, आपकी फोटो छपवाने की जिद में कई दिनों तक सॉफ्टवेयर नहीं चला इस बीच कितनी जानें गई होंगी उसका जिम्मेदार कौन है, जरा पता कर लीजिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की वैश्विक साख बढ़ी है यह विश्व के बड़े बड़े देश मानते है। धारा 370 का मुद्दा हो, राम लला की जन्मभूमि पर विधिसम्मत मंदिर निर्माण संकल्प हो, महामारी की चुनौती से निपटने के प्रयास हो कोरोना का टीका भारत में पूरे विश्व का काम आ रहा है लेकिन इन्हें रास नहीं आ रहा था। भारत की इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है, इनको रास नहीं आता है, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा रहा है फॉरेन इन्वेस्टमेंट व्यापार बढ़ रहा है इनको अच्छा नहीं लग रहा है ये कहते हैं। महंगाई बढ़ रही है अरे पूरा विश्व 3 साल से महामारी और विश्व युद्ध की कगार पर खड़ा है, पड़ोसी देशों में आटा सैकड़ों रुपए किलो है, जो सोने की लंका कहा जाता था वहां कर्ज लेकर लोग राह रहे है। अमेरिका जैसे बड़े देशों में बड़े बैंकों के हालात आपको मालूम है, लेकिन भारत में इन्हीं परिस्थितियों में सांस्कृतिक परंपराओं और मूल्यों का सतत संवर्धन करते हुए नवाचार और आधुनिक विकास की राह में चल रहा है, इन्हें अच्छा नहीं लग रहा है। बावजूद इसके महंगाई पर नियंत्रण के भी प्रयास जारी है, देश के नागरिकों वित्तीय जागरूकता और साक्षरता बढ़ी है। लोग अब बचत और निवेश के मायने महामारी के समय में समझने भी लगे हैं, प्रकृति के संकेतों को देशवासी महसूस लगे हैं लेकिन विरोधियों को तो केवल मोदी जी की स्वच्छता के संस्कृति में भी खलल डालना नजर आता है, हमारे प्रधानमंत्री ने कभी परवाह नहीं कि सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास सूत्र वाक्य लेकर पुरुषार्थ से सरकार चला रहे हैं। प्रदेश में कांग्रेस की वादा निभाने की बारी आई तो आरक्षण और जनगणना को बहाना बनाकर जनता के सामने अपनी नाकामी को छुपाने का असफल कोशिश कर रहे हैं। वन नेशन वन राशन कार्ड लागू है 74 लाख परिवारों के राशन कार्डों का ब्यौरा खाद विभाग की वेबसाइट में है, फिर किस बात का आंकड़ा चाहिए और आपके पास आंकड़े ही नहीं थे। बेरोजगारी की दर राज्य में जीरो से नीचे होने झूठ क्यों फैलाया गया ? उसके बाद चपरासी की भर्ती में 3 लाख कैसे बैठे उसका भी परिणाम नही आया? अन्य भर्ती की सारी परीक्षाएं अटकी पड़ी है उनका भी परिणाम नहीं आ रहा है? लाखों कर्मचारियों के भत्तोंपर आप निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, पदोन्नति का परिणाम नहीं आ रहा है? कर्मचारियों को नियमित करने के लिए आपके पास आंकड़े नहीं हैं ऐसे में आपका आर्थिक मॉडल देश में सबसे ज्यादा सशक्त कैसे हुआ है। गोबर धन योजना का पंचायत सचिवों की हड़ताल से गोबर हो गया है सरकार को सुध नहीं है।

ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार, करते जाओ सौम्यता से भ्रष्टाचार, यह इस सरकार का नारा है…

अमर अग्रवाल ने आगे कहा है कि बिलासपुर का हमारा शांत शहर माफिया राज, नशे और बढ़ते अपराध की गिरफ्त में आ चुका है। शहरवासी बढ़ती चाकूबाजी गुंडागर्दी लूट खून खराबे से निजात चाहते हैं, लेकिन पुलिस ही निजात अभियान की आड़ में धंधा चलाएं तो कैसे शांति आएगी? नक्कारे जनप्रतिनिधियों को अरबों रुपए की अधूरी विकास परियोजनाएं उन्हें घर के आईने में दिखाई नहीं पड़ती। इसीलिए जन जागरण के उद्देश्य से सोई हुई सरकार को जागाने अपने किए हुए कामों की जांच परख करने और उन्हें पूरा करने का संकल्प लेने के लिए उन्हें स्थलों पर जाकर मोर्चा लगाकर क्षेत्र के वासियों के साथ यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि बिलासपुर का कायाकल्प करने वाली योजनाओं को रोकने वाला आखिर कौन है? विकास को तरसते बिलासपुर के अधूरे विकास की अधूरी कहानी को कौन पूरा करेगा.? दिसम्बर के अभियान के बाद तीन महीनों में प्रशासन के द्वारा नागरिकों की समस्या के लिए कोई पहल नहीं की गई तो पुनः यह 20 मार्च अभियान शुरू किया है….15 अप्रैल तक युवा मोर्चा महिला मोर्चा मंडल के विभिन्न साथियों के साथ खड़े हो जानने की कोशिश की, तो मालूम हुआ कि सरकार का एजेंडा ही विकास विरोध का है—

20 मार्च का धरना… प्रगति मैदान का सपना अधूरा….

मार्च साइंस कॉलेज के 25 एकड़ के परिसर में दिल्ली के प्रगति बिहार की तरह वाले परिसर की बदहाली का हाल देखने पहुंचे, करोड़ो की लागत के बाद भी कांग्रेस की सरकार के समय 10 से 15 परसेंट बचा हुआ कार्य पूरा नहीं हो सका और अब यह मैदान नशेडियो, जुआरियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बनते जा रहा है। दिल्ली के प्रगति मैदान तर्ज पर साइंस कॉलेज मैदान में मल सुविधाओं वाला केंद्र विकसित करने का कार्य 2016 से 2018 में 25 करोड़ की लागत से ज्यादा राशि के बाद भी अधिकतम दो साल में पूरा होने वाला प्रोजेक्ट आज भी अधूरा पड़ा है।

24 मार्च का धरना… जिला खेल परिसर की दुर्दशा…

2008 में लगभग 8 करोड़ की लागत से बने जिला खेल परिसर के हालात देखने गए और मोर्चे पर बैठे। बैडमिंटन, तैराकी कुश्ती, जिम, योगा टेबल टेनिस, हॉकी, क्रिकेट फुटबॉल जिन खेलों के लिए यह व्यवस्था की गई थी खेल तो नहीं हो नहीं हो रहे हैं भ्रष्टाचार का खेल हो रहा हैं। खेल परिसर सरकंडा की खराब स्थिति के लिए खेल एवं युवा कल्याण विभाग इस मैदान को संवारने से लेकर सुविधा संसाधन और अधोसंरचना विकसित करने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिए जाने से मैदान की दुर्दशा हो रही है।

27 मार्च का धरना… बदहाल सिटी बस सेवा…

सिटी बस की बदहाली के लिए पुराना बस स्टैंड क्षेत्र में मोर्चे पर बैठे….. छोटे शहर की बढ़ती परिवहन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूरे प्रदेश में जो 183 करोड़ की लागत से 471 सिटी बसें महानगरों की तर्ज पर हम ने चलवाई। बिलासपुर में 50 बसें आरम्भ हुई। चारों दिशाओं में बिलासपुर से जाने वाले हजारों नागरिकों को प्रतिदिन सस्ती और सर्व सुविधा युक्त आधुनिक परिवहन की सुविधा मिली। महामारी के समय लाक डाउन के बाद से सिटी बस की सुविधा बदहाली के दौर से गुजर रही है। नोडल एजेंसी लापरवाही से करोड़ों रुपए की बसे कबाड़ में तब्दील हो गई है, 3 करोड़ रुपए मरम्मत का देने के लिए भी इस सरकार के पास नहीं है, हमने पहले भी हल्ला बोला किसी तरह से कुछ बसे
कीगई, प्रशासनिक अनदेखी की भेट बिलासपुर की सिटी बस योजना दम तोड़ रही है इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

29 मार्च एवं 31 मार्च का धरना… तालाबो की बदहाली.. जतियां तालाब लंबित सौंदर्यीकरण…

तालापारा क्षेत्र एवं दतिया पारा इलाके में तालाबों के सुंदरीकरण रखरखाव झुग्गी वासियों की समस्या के संदर्भ में पूरी टीम के साथ मुआयना करते हुए मौके पर मोर्चाबंदी की, क्षेत्रवासियों से बातचीत की।
आज निस्तार पत्रक में बिलासपुर में 70 तालाब थे। छोटे बड़े तालाबों से आम जनमानस की मूलभूत जरूरतों की आपूर्ति बावड़ी और तालाब के स्रोतों से होती रही, जिससे बिलासपुर का भूमिगत जल स्तर हमेशा बढ़िया रहा। हमारी सरकार बनने पर प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों की तर्ज पर सरोबर धरोहर योजना के द्वारा तालाबों के संरक्षण और संवर्धन के कार्य किया गया। आज उस में स्मार्ट सिटी के फंड को लगाकर खुद की उपलब्धि बता रहे हैं जबकि वार्षिक बजट हटाते जा रहे हैं।

तालापारा में तालाब भूमि बसे परिवारों का सर्वे कराकर 1000 यूनिट प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत स्थान पर घर बना कर देने का काम हमने किया। जतिया तलाब के संरक्षण और संवर्धन के कार्य की रूपरेखा बनाकर, राशि स्वीकृत कराकर तय की थी लेकिन डेडलाइन तय होने के बाद भी मार्च निकल गई और काम अधूरा, इसका सही लाभ निरीक्षण निर्देश जारी करने मुफ्त की फोटो बाजी वाले कांग्रेस नेता उठा रहे है। निस्तार पत्रक में तालाब भूमि की जांच कराकर सार्वजनिक मद की जमीन को मुक्त कराने की आवश्यकता है।

3 अप्रैल का धरना… अमृत मिशन योजना…

अमृत मिशन योजना के लिए लेटलतीफी के लिए तोरवा धान मंडी में पानी टंकी के पास धरना किया गया। था। अमृतकाल में 75% ग्रामीण आबादी को शुद्ध पीने का पानी जल जीवन मिशन के द्वारा दिया जा रहा है, क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार के कारण छत्तीसगढ़ में देश में सबसे पीछे चल रहे राज्यों में शामिल है। बिलासपुर शहर वासियों के लिए 2017 में 301 करोड़ की लागत दो पार्ट में स्वीकृत कर अहिरन नदी पर बांध बनाकर खुटाघाट जलाशय से 27 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाते हुए शहर के घर-घर में शुद्ध पेयजल आपूर्ति का काम 2019 में पूरा हो जाना था लेकिन 2023 में भी यह काम अधूरा रह गया है। शहर के विभिन्न वार्डो के घर घर में सतत जलापूर्ति के लिए हमारी सरकार के समय अमृत मिशन योजना केंद्र सरकार के सहयोग से चालू कराई। बांध से पानी देना तय नहीं हुआ है, पाइपलाइन की टेस्टिंग में प्रॉब्लम आ रहा है, भगीरथ प्रयास अधूरे हैं,5 साल पीने का पानी भी सरकार उपलब्ध नहीं करा पाई है जबकि सारे आवश्यक इंतजाम हमने करके दिए थे केवल पूरा कराना था।

7 अप्रैल का धरना… अरपा परियोजना सच या झूट…

पुण्य सलिला मां अरपा में बन रहे शिव घाट बैराज का हाल जानने पहुंचे। मालूम हुआ केवल जनता को चुनावी लाभ के लिए यह दिखाने कि हमने अरपा में पानी ला दिया भ्रष्टाचार का बैराज बनाया जा रहा है और वह भी पूरा नहीं हो पाया। पूरा होगा तो जलकुंभी की समस्या होगी, प्रदूषित जल समस्या होगी, बीमारी फैलेगी। यह मैं नहीं कहता जल प्रबंधन और संवर्धन में लगी राष्ट्रीय कमेटियों के सर्वे में कहा गया है। हमने अरपा विकास प्राधिकरण बनाया था, 100 वर्षो तक की टोपोग्राफी जलवायु परिस्थितियों वर्षों, सूखा बाढ़ और पर्यावरण कारकों, मानव जनित हस्तक्षेप आदि कारकों पर आधारित सर्वे आईआईटी एवं राष्ट्रीय स्तर के जल प्रबंधन समिति के विशेषग्यो से सर्वे कराकर चरणबद्ध अरपा विकास शिक्षण संवर्धन का कार्यक्रम तय किया था। से 6000 करोड़ रुपए की लागत का एस्टीमेट बना, फडिंग भी स्थानिय स्रोतों के युक्तियुक्त विदोहन से मिल जाती, लेकिन विरोधियों को धैर्य भी नहीं है से रातों-रात सभ्यता और संस्कृति का विकास करना चाहते हैं, टीर्घकाल की जरूरतों को भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही नियोजन करना पड़ता है इतनी सी बात उन्हें समझ नहीं आएगी और अरपा विकास प्राधिकरण को सरकार बनते ही बंद कर दिया और अब यह दिखावे का बैराज बना रहे है। जिसके डायाफ्राम में गड़बड़ है लेआउट गड़बड़ है बैरिंग की क्वालिटी खराब है बिना कार्य के ठेकेदार को भुगतान हो रहा है। हमने कहा गंदा पानी का क्या करोगे तो नाला बनाने लग गए उसमें केंद्र सरकार की राशि परिवर्तन करके स्मार्ट सिटी की उपयोग कर रहे हैं। सौंदर्यीकरण के लिए सड़क बना रहे हैं जिसकी लेआउट और डिजाइन नहीं है। महामारी के काल में रातों-रात भरी बरसात में लोगों को हटा दिया। और सड़क बना रहे हैं वह भी नदी की छाती को चीरकर ग्रीन ट्रिब्यूनल के मानकों के विरुद्ध निर्माण हो रहा है. इसमें भी स्मार्ट सिटी के फंड का करोड़ों रुपए इस्तेमाल कर रहे हैं जिसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेना भी उचित नहीं समझा। ये बैराज का दिखाने वाला सच है और आने वाला झूठ क्या है इसका फैसला आने वाले समय में जनता करेगी।

10 अप्रैल का धरना… स्मार्ट सिटी बदरंग…

हमने बिलासपुर स्मार्ट सिटी के बदरंग हालात के विरोध में स्मार्ट सिटी के कार्यालय के सामने धरना दिया। बिलासपुर को स्मार्ट सिटी का तमगा यहां के नागरिकों और जनप्रतिनिधियों के पुरुषार्थ से मिला है, वर्तमान जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक एजेंसियां स्मार्ट सिटी के फंड का दुरुपयोग कर रही है। 4000 करोड़ की राशि बिलासपुर को किसी के कहने पर नहीं मिली हमने नगरी नियोजन और नगरीय विकास के ऐसे कार्य कराए थे कि यहां पर फंड देने में केंद्र की सरकार ने तत्काल फैसले की फैसले लिए। 100 से ज्यादा प्रोजेक्ट का डीपीआर बनवाया था। कौन से काम जरूरी है कौन से काम गैर जरूरी है, प्राथमिकता तय कर बिलासपुर को अंतर्राष्ट्रीय शहर का दर्जा दिलाने की स्मार्ट सिटी योजना प्रक्रिया क्रियान्वयन आरंभ कराया गया। 5 सालों तक केंद्र और राज्य के बीच हुए करार के तहत हजार करोड़ रुपए हमर बिलासपुर स्मार्ट सिटी के लिए इंतजाम किए गए कालांतर में 4000 करोड़ की राशि का इंतजाम हुआ, 2023 मार्च में सारी राशि खर्च करने का अल्टीमेटम था। आज तक 500 करोड़ों का कार्य भी नहीं हुआ, 50% क्रियान्वयन सुनिश्चित नहीं हुआ, रंगाई पुताई और थूक पालिश के कामों में स्मार्ट सिटी के फंड़ दुरुपयोग किया जा रहा है, सरकार के निकम्मे पन से अगर स्मार्ट सिटी अलॉटमेंट लासपुर का रद्द हुआ तो वाली पीढ़ी कांग्रेसी सरकार को कभी माफ नहीं करेगी।

12 अप्रैल का धरना…उद्यानों की बदहाली…

उद्यानों के सुंदरीकरण के बदहाली के विरोध में हमने धरना दिया। हमारे समय में शहरों में प्राथमिकता उद्यानों की रही, करोड़ की लागत से 50 से 60 गार्डन मनाया गया, सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक केंद्र की इकाइयों के रूप में उनका रखरखाव किया और कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता जमीन लूटने की है तभी इन साढ़े चार वर्षों में एक नया उद्यान नहीं बना पाए। उद्यान नहीं बनाते तो कांग्रेस के लोग ददुआ गैंग की तरह इन जमीनों पर अपने नाम लिखा लेते। कांग्रेस काल में शहर के उद्यानों को बदहाल से गुजरना पड़ रहा है।

14 अप्रैल का धरना… बहतराई खेल परिसर में गोलमाल…

बहतराई में राज्य स्तरीय खेल प्रशिक्षण संस्थान जो 2007 में हमारी सरकार में बनन शुरू हुआ जिसके लिए ₹60 करोड़ हमने दिलाए। आज बनकर तैयार हुआ तो 100 करोड़ से ज्यादा खर्चा चुका था, आज इस में डेढ़ सौ करोड़ रुपए से भी ज्यादा लग चुके हैं लेकिन फिर भी उद्देश्यों के अनुरूप सुविधाएं खेल और खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रही है। जहां राज्य का चौथा एस्ट्रोटर्फ बनाया गया है, सुविधा युक्त इनडोर स्टेडियम भी हमने बनवाया, 28 खेलों की विधाओं में खेल खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार करने के लिए 49 एकड़ की जमीन में यह राज्य स्तरीय खेल प्रशिक्षण संस्थान भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल की देन है। लेकिन यहां जब से कांग्रेस के युवराज के कदम पड़े हैं स्टेडियम के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।

15 अप्रैल का धरना… सीवरेज परियोजना

हमने श्याम टॉकीज के पास सीवरेज परियोजना के अधूरे कार्य के विरोध में मोर्चा खोलकर सरकार को जगाने का प्रयास किया है 12007 में प्रदेश की पहली भूमिगत सीवरेज परियोजना 307 करोड़ की लागत से बनी, 267 किमी की लंबी पाइप लाइन बिछाने में पूरे शहर की जनता ने प्रसव पीड़ा का काल देखा। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी ने 90 करोड़ विकास की लालसा को देखते हुए हमने किए थे शेष की राज्य मद से स्वीकृति कराई ताकि मल जल की ट्रीटमेंट की व्यवस्था हो, भूमिगत जल का संरक्षण हो, मच्छर के समस्या से मुक्ति मिल सकते, पर्यावरण प्रदूषण से बच सके, उपचारित जल से खाद बनाई जा सके आने वाली पीढ़ी को रोगों से बचाया जा सके, तात्कालिक राजनीतिक फायदे और नुकसान से परे सीवरेज की परियोजना का तेजी से चल रहा था 2007-8 में कांग्रेस के महापौर में वोट बैंक के लिए सीवरेज विरोधी अभियान छेड़ दिया, लेकिन वे इसे बंद नहीं करा सकी। इस योजना से तकलीफ है हमने भी झेली है लेकिन जनता को हुई तकलीफ़ के लिए खेद के साथ यह संकल्प है कि 90% काम हमने पूरा कराया था 5 सालों में कांग्रेस के सरकार न तो जांच करा सकी, ना पूरा करा सकी, केवल राजनीतिक रोटियां सेकने का काम इन लोगों ने किया है, हमारी सरकार आने वाली है अधूरे काम को भी हम पूरा करेंगे। लोग कहते हैं धरने से क्या होगा? यह धरने उन लोगों को जवाब है जो यह कहते हैं कि अगर अग्रवाल एसी रूम में बैठकर अपनी राजनीति चमकाने का काम करता है? जनता के बीच जाकर जन जागरण, सन्गठन का, देश में कमल खिलाने का संस्कार मेरी विरासत है और यह जारी रहेगा। भरोसा की बात करने वाली झासेवाली सरकार को आईना दिखाने का काम हम करते रहेंगे।

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