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कोरोना से अप्रैल के अंत तक मिल सकती है राहत  ? …. विशेषज्ञों के लिए क्यों है अप्रैल अहम ….. देखिए केंद्र शासन की तीन फेज की योजना पर काम…..

नई दिल्ली // कोरोना के खिलाफ लंबी लड़ाई की तैयारी कर रही केंद्र सरकार को अप्रैल के अंत तक कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। लॉकडाउन के साथ ही कोरोना से प्रभावित हॉटस्पॉट को सील कर संक्रमण की रोकथाम के प्रयास किए जा रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग से इसके तेजी से प्रसार पर अंकुश लगाने की कोशिशों में केंद्र व राज्यों ने पूरी ताकत झोंक दी है। विशेषज्ञ भी अप्रैल को सबसे अहम मान रहे हैं।

हालांकि, तबलीगी जमात से सरकार के लॉकडाउन प्लान को गहरा धक्का लगा है और उसके तंत्र का एक बड़ा हिस्सा जमात और उसके कनेक्शन को खोजने में ही जुटा है। सूत्रों के अनुसार केंद्र ने राज्यों के साथ अब जो योजना साझा की है, उसमें लॉकडाउन को कम से कम दो सप्ताह बढ़ाने और हॉटस्पॉट को सील कर प्रभावितों का पता लगाकर उनको अलग-थलग करना है। इसके लिए 14 अप्रैल के बाद दो सप्ताह और चाहिए। आगे अगर कोई मरकज जैसी घटना नहीं हुई तो असर दिखने में एक महीना लग सकता है। सरकार की कोशिश रोजाना मामलों में हो रही तेज वृद्धि पर अंकुश लगाना है। अगर एक बार यह क्रम गिरना शुरू हो गया, तो आने वाले दिनों में धीरे-धीरे स्थिति सुधर सकती है।

तीन चरणों की योजना पर काम ….

इसके लिए तीन चरणों की एक योजना भी तैयार की जा रही है। इसका पहला चरण इस साल जून तक चलेगा, जिसमें विशेष कोविड अस्पतालों का निर्माण, आइसोलेशन वार्ड, वेंटिलेटर वाले आईसीयू, पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) किट और एन 95 मास्क पर फोकस रहेगा। त्रिस्तरीय योजना में दूसरा चरण जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक और उसके बाद तीसरा चरण अप्रैल 2021 से मार्च 2024 तक हो सकता है। इस दौरान राज्यों को केंद्र से जो इमरजेंसी रिस्पांस एंड हेल्थ सिस्टम प्रिपेयरनेस पैकेज दिया जा रहा है, उसका उपयोग किया जाएगा। केंद्रीय सहायता वाले इस पैकेज से राज्यों पर बोझ कम होगा।

नाजुक मोड़ पर देश ….

सरकार का मानना है महामारी से निपटने, उससे उत्पन्न आर्थिक हालात और सामान्य जनजीवन को पटरी पर लाने में लंबा समय लगेगा। क्योंकि यह केवल एक देश की नहीं बल्कि वैश्विक समस्या है, जिसके लंबे समय तक प्रभाव होंगे। हालांकि भारत में इसका तेजी से प्रसार ना होने से हालात विकराल नहीं है। भारत की सबसे बड़ी चिंता यह है कि जब अमेरिका व यूरोप के विकसित देश तमाम आर्थिक मजबूती और चिकित्सा सुविधाओं के बावजूद इसे संभाल नहीं पा रहे है, तब भारत जैसे विकासशील देश में थोड़ी सी गड़बड़ी से कितना विकराल स्थिति हो सकती है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। हौसले से बढ़ी उम्मीदें विभिन्न स्तरों पर समीक्षा में सामने आया है कि केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों ने इस मुद्दे पर जिस तत्परता से कदम उठाए हैं और जनता ने जिस तरह का सहयोग दिया है उससे शासन तंत्र का हौसला बढ़ा है।

( साभार live हिंदुस्तान )

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