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एक तो चोरी उस पर सीनाजोरी ये कहावत चरितार्थ कर रही जिला बाल संरक्षण अधिकारी पार्वती वर्मा ,, स्वयं के भ्रष्टाचार को अधीनस्थों पर लादकर बलि का बकरा बनाने वाली इस महिला अधिकारी ने शिकायकर्ता के घर जाकर शिकायकर्ता को ही झूठे मामले में फंसाने और देख लेने की धमकी दे डाली …

बिलासपुर // एक तो चोरी और उस पर सीनाजोरी जी हां ये कहावत सटीक बैठती है , बिलासपुर में पदस्थ बाल संरक्षण अधिकारी पार्वती वर्मा पर , newslook.in पर खबर चलने के बाद बौखलाई इस महिला अधिकारी ने शिकायकर्ता के घर जाकर शिकायकर्ता को झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी और ज्यादा मीडिया बाजी नही करने की नसीहत भी दे डाली । स्वयं के भ्रष्टाचार को अधीनस्थों पर लादकर बलि का बकरा बनाने वाली इस बाल संरक्षण अधिकारी से पहले भी जब newslook.in ने सवाल पूछना चाहा तो उसने नियमो का हवाला देते हुए कैप्मस में आने को मना कर दिया था और फोन पर किसी तरह की जानकारी देने से इनकार कर दिया।

जिस विभाग पर बेसहारा और गरीब बच्चो के भविष्य की जिमेदारी हो लेकिन उस विभाग की अधिकारी ही उसे कमाई का जरिया बना ले तो सवाल तो उठेगे ही ? दरसअल बाल संरक्षण अधिकारी का एक वाइस आडियो वायरल हुआ था जिसमे पार्वती वर्मा साफ साफ अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से पैसा उगाही की बात कहती साफ साफ नजर आ रही है । और जब यह ऑडियो वायरल हुआ तो इस भ्रष्ट महिला अधिकारी ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को नौकरी से निकाल बड़ी मछली,छोटी मछली को खाती है ! यह चरितार्थ कर दिया था , जिला बाल संरक्षण अधिकारी बिलासपुर में पदस्थ पार्वती वर्मा ने, यह हम नही कह रहे, ये विकास सिंह बैस, एवम ललित कैवर्त पीड़ितों की लिखित शिकायत के दस्तावेज कहते है कि मामले होते है बड़े भ्रष्टाचारियो के, और जबरन शिकार बना दिये जाते है छोटे स्तर के कर्मचारी को । पीड़ितों ने बिलासपुर कलेक्टर से लेकर महिला बाल आयोग तक न्याय की फरियाद लगा चुके जब प्राथी को इंसाफ नही मिला तो उन्होने मीडिया के माध्यम से इंसाफ की गुहार लगाई लेकिन ये बात पार्वती वर्मा को चुभ गई और महिला अधिकारी ने पीड़ित के घर जाकर उन्हें धमकी दे डाली। गौरतलब है कि इस मामले में महिला बाल विकास अधिकारी सुरेश सिंह का कहना है कि मामले की जानकारी उन्हें है और इस पर जल्द ही जांच कर कार्यवाही की जाएगी ।

पार्वती वर्मा की नियुक्ति पर सवाल उठना तो लाजमी है ?

आपको बतादें कि महिला बाल विकास विभाग ने 2016 में ही पार्वती वर्मा को एक प्रकरण में दोषी पाए जाने पर बर्खास्त कर दिया था । लेकिन फिर उसी विभाग के बड़े ओहदे पर उनकी संविदा नियुक्ति कर दी गई । जिसके बाद सवाल खड़े होना लाजमी है की कैसे पूर्व बर्खास्त एक कर्मचारी, इतने बड़े सरकारी ओहदे पर नियुक्ति कर दी गयी ? हम सवाल करेगे, कि कैसे पूरा मामला सामने आने के बाद भी विभाग कार्यवही क्यो नही कर रहा है । सवाल यह भी है कि क्या सिर्फ जांच का बहाना बनाकर इस भ्रष्ट अधिकारी को बचाने का खेल खेला जा रहा है । क्या महिला अधिकारी पार्वती वर्मा की कलम सर्वोच्च है,? सवाल बहुत है, लेकिन मैडम पार्वती तो मीडिया के रिपोर्टर ओर कैमरे को देखकर भागती है,। बरहाल अब देखना होगा कि इस बार विभाग कार्यवाही करता है की नही या हर बार की तरह इस महिला अधिकारी को बच्चो के नाम पर बच्चो के भविष्य का सौदा करने की खुली छूट जारी रहेगी।

एक तरफ जहां केंद्र से लेकर राज्य सरकार बेबस गरीब और बेसहारा बच्चो के भविष्य के सवारने के लिए तमाम योजनाए चला रही है तो दूसरी तरफ बच्चो के जिंदगी को सवारने के लिए कुर्सी में बैठे जिम्मेदार अधिकारी इन्ही बच्चो का सौदा कर अपनी जेबें गर्म करने में कोई गुरेज नही कर रहे है और यदि पोल खुल जाए तो स्वयं के भ्रष्टाचार को अधीनस्थों पर लादकर बलि का बकरा बनाने की स्थायी परम्परा को चरिरार्थ कर रहे है

सवाल यह उठता है कि कैसे पूर्व बर्खास्त एक कर्मचारी, इतने बड़े सरकारी ओहदे पर नियुक्त हुयी ? हम सवाल करेगे, कि कैसे कमीशन के खेल को आपराधिक कार्यवाही में तब्दील किया गया? जानी-मानी अधिवक्ता एवं सोशल वर्कर प्रियंका शुक्ला को अमेरी अपना घर प्रकरण में जिस तरह अपराधी बनाया गया है, उससे ऐसा लगता है कि पार्वती वर्मा की कलम सर्वोच्च है, इनको खुश रखो तो जिले में चाहे बच्चों का शोषण करो, बच्चों पर जुल्म करो सब जायज है ? क्या जिला बाल सरक्षण अधिकारी बतायेगी कि जिले में कितने बच्चों को शोषण से बचाया? कितने प्रकरण बनाये, कितनी जांच की ? या फिर नोटिस-नोटिस के खेल में हो गया टेबल के नीचे से काम ? और हो गयी कर्तव्यो की इतिश्री ? सवाल बहुत है, लेकिन मैडम पार्वती तो मीडिया के रिपोर्टर ओर कैमरे को देखकर भागती है, हम सवाल करेगे, करते रहेंगे, जबाब तो जिम्मेदारों को देना ही होगा । लेकिन जिस प्रकार पार्वती वर्मा की शिकायत पर छोटे कर्मचारियों पर तुरंत कार्यवाही की गई है उससे तो ये साफ हो गया है कि मैडम पार्वती सत्ता से बड़ी ताकतवर है और ऊंची पहुंच और रसूख भी रखती है ! तभी तो महिला बाल विकास विभाग से बर्खास्त होने के बाद भी उसी विभाग में मलाईदार पद पर नियुक्ति कई सवाल खड़े कर रही है । सवाल यह भी है कि जिस वायरल आडियो पर अधिनीस्थो पर कार्यवही हो गई उसी वायरल आडियो पर पार्वती वर्मा पर विभाग इतना मेहरबान क्यो है ? और उस पर कार्यवाही क्यो नही कर रहा है । कही ऐसा तो नही है कि मासूम बच्चो के भविष्य का सौदे से मिल रहे पैसों का एक हिस्सा उन तक तक भी पहुंच रहा हो ।

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