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बिलासपुर लोकसभा : सामाजिक पॉलिटिक्स में पार्षद विष्णु यादव हुए फेल… 2500 तो दूर 25 यादवों को भी नहीं करा पाए भाजपा में प्रवेश… यादव समाज में अब चलने लगी एक चर्चा… क्या, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर…

बिलासपुर लोकसभा : सामाजिक पॉलिटिक्स में पार्षद विष्णु यादव हुए फेल… 2500 तो दूर 25 यादवों को भी नहीं करा पाए भाजपा में प्रवेश… यादव समाज में अब चलने लगी एक चर्चा… क्या, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर

बिलासपुर, मई, 04/2024

लोकसभा चुनाव में राजनैतिक पोलिटिक्स तो चल ही रही है। इससे दो कदम आगे सामाजिक पोलिटिक्स बढ़ गई है। दरअसल, इस बार बिलासपुर लोकसभा सीट पर दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों भाजपा व कांग्रेस ने जतिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने परंपरागत तरीके से साहू समाज पर भरोसा जताते हुए लोरमी के पूर्व विधायक तोखन साहू पर दांव लगाया है तो कांग्रेस ने पहली बार यादव कार्ड खेलते हुए पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के खासमखास भिलाई विधायक देवेंद्र यादव पर दांव खेला है। चुनाव प्रचार के दौरान यादवों का रुझान देवेंद्र की ओर देखते हुए भाजपा के रणनीतिकारों ने सामाजिक आंकलन किया। निष्कर्ष निकला कि पहली बार यादव समाज के लोग एकजुट हो रहे हैं।

कहते हैं, लोहा लोहे को काटता है, इसी तर्ज पर यादव समाज में कई फाड़ करने के लिए रणनीति बनाई गई और यादव समाज से उन्हें ढूंढा गया, जो टिकट की आस लगाए बैठे थे, लेकिन मिला नहीं। उनकी दुखती रग पर हाथ रखते हुए भाजपा के रणनीतिकारों ने ढांढस बंधाया। पुचकारा और कहा- आपके साथ गलत हुआ है। आप हमारी पार्टी में आ जाओ, कुछ न कुछ बड़ा इनाम मिल जाएगा। इसमें भाजपा के रणनीतिकार सफल भी हुए। उसी समय तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के करीब 20 यादव सरपंचों ने कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। इससे पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाने वाले पार्षद विष्णु यादव भी भाजपा हो गए थे। भाजपा को लगा कि अब सब कुछ ठीक हो गया है। यादवों में फुट पड़ गई है। इस पर और आग लगाने के लिए पार्षद विष्णु यादव को सामने किया गया। उन्हें निर्देश मिले कि हर विधानसभा क्षेत्र में यादव समाज की बैठक लेकर भाजपा का समर्थन जुटाएं। आला नेताओं से मिले निर्देशों पर अमल करते हुए उन्होंने पहले मस्तूरी विधानसभा में बैठक रखी, फिर कोटा विधानसभा क्षेत्र में। दोनों ही जगह से पार्षद विष्णु यादव को निराशा ही हाथ लगी।

सामाजिक बंधु बोले- आप चुनाव लड़ते, वहां तक ठीक था। बीजेपी से यादव उम्मीदवार होता तो भी ठीक था, लेकिन वहां से तो लगातार साहू उम्मीदवार उतारा जा रहा है। क्या हमारी बारी बीजेपी में नहीं आएगी। क्या हम वोट बैंक ही रहेंगे। यादव बंधुओं ने पार्षद विष्णु यादव को तो समाज विरोधी तक करार दे दिया। दोनों बैठक में हुए निर्णय सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुए। सोशल मीडिया के जरिए गांव-गांव तक यह खबर फैल गई। सभी जगह से बैठक में हुए निर्णय को कुछ ज्यादा ही तवज्जो मिलने लगी। यह जानकारी मिलते ही भाजपा के रणनीतिकारों को लगा कि मामला फिर बिगड़ गया है। भाजपा के अंदरखाने तक पकड़ रखने वाले राजनीतिक चाटूकारों की मानें तो बीजेपी के रणनीतिकारों ने पार्षद विष्णु यादव को अपनी ताकत दिखाने का एक बार और मौका दिया। उन्हें कुछ बड़ा काम करने की जिम्मेदारी सौंप दी गई।

पार्षद विष्णु यादव ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे निर्णय को गलत करार देते हुए कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव पर आरोप लगाया कि वे ही सोशल मीडिया पर ऐसी फेक सूचना वायरल करा रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए ही दावा किया कि 3 मई को भाजपा कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस लेंगे। इस दौरान यादव समाज से 2500 लोगों को भाजपा प्रवेश कराएंगे। यह खबर कांग्रेस के लिए नींद उड़ाने वाली थी। प्रेस कांग्रेस होने तक कांग्रेस के रणनीतिकारों की नजरें भी भाजपा कार्यालय की ओर लगी हुई थीं। जब प्रेस कांफ्रेंस हुई तो वहां गिनते के यादव समाज के पदाधिकारी दिखाई दिए, वो भी बीजेपी से ताल्लुक रखने वाले। पूरी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान किसी भी यादव को बीजेपी प्रवेश कराने की बात ही नहीं हुई। विष्णु यादव यह कहते रहे कि कांग्रेस में उनका अपमान हुआ है। इसलिए भाजपा में आए हैं। कांग्रेस ने दागी, भ्रष्टाचारी को टिकट दे दिया है, वगैरह-वगैरह। प्रेस कांफ्रेंस समाप्त होने के बाद यह साबित हो गया कि पार्षद विष्णु यादव की समाज में कितनी पैठ है। क्या वजन है। अब यादव समाज के बीच यह चर्चा चल रही है कि पुख्ता निर्णय को फेक बताने वाले का यह हश्र तो होना ही था। गीदड़ भभकी कब तक काम आएगी। ये वही बात हुई न, खोदा पहाड़, निकली चूहिया।

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor

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