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नरवा-गरुवा-घुरुवा और बाड़ी योजना पर दंभ भर रही राज्य सरकार… और राजस्व महकमा बन गया है भूमाफिया… चारागाह के लिए आरक्षित जमीन को बेचने की तैयारी… पटवारियों का कारनामा उजागर…

बिलासपुर // छत्तीसगढ़ राज्य की कांग्रेस सरकार की महत्वपूर्ण योजना नरवा-गरुवा-घुरुवा और बाड़ी पर राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी पलीता लगाने पर तूले हुए हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि अतिरिक्त तहसीलदार नारायण गबेल के हस्ताक्षर से जारी वो ईश्तहार चिल्ला-चिल्लाकर बोल रहे हैं, जिसे अखबारों में जमीन मांगने वाले के नाम पर छपवाया गया है और जिस पर दावा-आपत्ति मंगाई गई है।

राज्य सरकार ने लंबे समय से सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने फ्री होल्ड योजना लाई है। इसके तहत अधिकतम 7500 वर्गफीट जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा। इसके अलावा इतनी ही खाली सरकारी जमीन को कलेक्टर के हस्ताक्षर से 30 साल की लीज पर दी जाएगी। इसके लिए सरकारी दर से 152 प्रतिशत अधिक शुल्क देना होगा। जमीन का खेल खेलने में माहिर पटवारियों को क्रीम हल्के में पहले ही पदस्थ किया जा चुका था। ये पटवारी पहले ही सरकारी जमीन की सूची अलग से तैयार कर रखे थे। इंतजार था तो सिर्फ आदेश का। राज्य सरकार से आदेश आते ही राजस्व महकमे की चांदी हो गई है। या यह कहना भी गलत नहीं होगा कि अब ये बिल्डर की भूमिका में आ गए हैं। बीते दिनों से कलेक्टर कार्यालय में जमीन मांगने वालों ने आवेदन देना शुरू कर दिया है। ये ऐसे लोग हैं, जो पहले ही सरकारी जमीन पर अवैध प्लाटिंग कर बेच चुके हैं। अब ये शासन से अनुमति लेकर सरकारी जमीन को निगलना चाहते हैं। बीते दिनों अतिरिक्त तहसीलदार नारायण गबेल के हस्ताक्षर से सरकारी जमीन आवंटन करने के संबंध में 47 ईश्तहार अखबारों में प्रकाशित कराए गए हैं। इसमें मोपका, लिंगियाडीह, बहतराई, बिरकोना की सरकारी जमीन शामिल हैं। अब सवाल ये उठता है कि भू-माफियाओं को सरकारी जमीन का रिकार्ड कहां से मिला तो इसका जवाब भी साफ है, पटवारी कार्यालय से। हम बात करते हैं सिर्फ बहतराई की, जहां सरकारी जमीन लेने के लिए 14 आवेदन आए हैं। हैरत की बात यह है कि इन लोगों ने चारागाह की ही जमीन पर आवास बनाने आवेदन किया है, जिसे आंख मूंदकर प्रशासन ने स्वीकार कर लिया। यह भी नहीं देखा कि जमीन किस मद की है और दावा-आपत्ति मंगा ली है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने घास भूमि को बेचने पर पहले ही रोक लगा रखी है। इधर, राज्य सरकार भी नरवा-गरुवा-घुरुवा और बाड़ी योजना के तहत गौठान का निर्माण करा रही है और मवेशियों के लिए चारागाह को सुरक्षित करने के निर्देश भी दे चुकी है।

बिलासपुर जिले में नहीं बनी है सरकारी जमीन की सूची….

राज्य शासन ने एक सकुर्लर जारी किया था, जिसके अनुसार हर जिले में सरकारी जमीन की एक लिस्ट तैयार करनी थी, जिसमें जमीन का मद भी दर्ज किया जाना था। यह सूची कलेक्टर कार्यालय में रखी जानी थी, लेकिन सूत्रों से पता चला है कि बिलासपुर जिले में ऐसी कोई सूची ही नहीं बनी है। सूत्रों का कहना है कि पटवारी चहेते भू-माफियाओं को सरकारी जमीन का रिकार्ड उपलब्ध कराकर आवेदन करा रहे हैं।

इन खसरों पर दर्ज हैं घास भूमि …

ग्राम प. ह. न. ख. नं. रकबा आवेदक

बहतराई 48 327/1 7500 प्रतीक तिवारी पिता कमलेश

बहतराई 48 327/1 2500 सौम्या छंगवानी पति राकेश छंगवानी

बहतराई 48 327/1 4000 कमलेश बंजारे पिता आत्मा राम

बहतराई 48 297/1 1000 बेनी माधव पिता मालिक राम

बहतराई 48 327/1 7500 जितेंद्र चौबे पिता केदारनाथ चौबे

बहतराई 48 327/1 4000 अनिल राठौर पिता चुन्नी लाल

बहतराई 48 327/1 7500 अमित तिवारी पिता शीतल प्रसाद

बहतराई 48 327/1 7500 दुर्गेश साहू पिता डकेश्वर साहू

बहतराई 48 662 4000 गोविंद राय पिता गोपाल राय

बहतराई 48 326/1 4000 द्रोपति पांडेय पिता जियानंद पांडेय

बहतराई 48 327/1 7500 मनीष राठौर पिता चुन्नी लाल

बहतराई 48 662 4000 अनुप केडिया पिता ओमप्रकाश

बहतराई 48 662 1500 राजेंद्र सिंह पिता स्व. हुलास सिंह

बहतराई 48 329 7500 अनिल कहर पिता गोपाल कहर…

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