रतनपुर मामला जांच टीम ने सौंपी रिपोर्ट… लापरवाही पर तत्कालीन टीआई निलंबित… एसडीओपी को नोटिस… महिला को मिली जमानत…
बिलासपुर, मई, 29/2023
रतनपुर मामले में एएसपी के नेतृत्व में गठित टीम ने पुलिस अधीक्षक को जांच रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में बिंदुओं के आधार पर मामले की संदेहिया को जमानत मिल गयी है। वही इस गंभीर मामले मे लापरवाही बरतने पर तत्कालीन टीआई को निलंबित कर दिया गया है इसके पहले उन्हें लाइन अटैच किया गया था साथ ही कोटा एसडीओपी बघेल को नोटिस जारी किया है।
रतनपुर के मामले में विभिन्न संगठनों के ज्ञापन और मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी बिलासपुर द्वारा मामले की संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राहुल देव के नेतृत्व में संपूर्ण तथ्यों व घटनाक्रम की निष्पक्षता से जांच हेतु एक टीम गठित किया था। जिसने अपनी जांच रिपोर्ट कल पुलिस अधीक्षक को सौप दिया था। आज अदालत में लगी जमानत आवेदन पर पुलिस प्रतिवेदन के साथ मामले के विवेचक द्वारा एएसपी के जांच बिंदुओं को भी शामिल किया था, जिसमें मामले की संदेहिया को जमानत दिए जाने का पक्ष लिया गया। पुलिस की तरफ से अभियोजन के वकील ने कोर्ट को मामले के जांच में प्रार्थी के आरोपों में विरोधभास पाया जाना बताया। उन्होंने पुलिस की तरफ से जमानत पर कोई आपत्ति होना नहीं बताया। मामला अभी कोर्ट में होने के कारण अभी जांच का डिटेल्स नहीं दिया जा रहा हैं।
जांच में कृष्णकांत सिंह, तत्कालिन टीआई रतनपुर की लापरवाही पाया गया है। रिपोर्ट आधार पर पुलिस अधीक्षक द्वारा कृष्णकांत सिंह को निलंबित कर दिया गया है। यद्यपि कि जांच आदेशित करते ही कृष्णकांत सिंह को लाईन अटैच किया गया था। पृथक से पुलिस अधीक्षक द्वारा एसडीओपी सिद्धार्थ बघेल को जो उस समय थाने में उपस्थित थे, उनके द्वारा भी वरिष्ठ अधिकारियों को सम्पूर्ण तथ्यों की जानकारी से अवगत न कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है।
पाक्सो में महिला को मिली जमानत…
बिलासपुर जिले के रतनपुर में दुष्कर्म पीड़िता की मां को पॉक्सो के मामले में जमानत मिल गई। थोड़ी देर पहले विशेष न्यायधीश पॉक्सो की अदालत ने जमानत स्वीकार करते हुए 15 हजार रुपये के बांड पर जमानत मंजूर किया है। अदालत का आदेश आते ही कोर्ट परिसर में मौजूद पीड़िता के परिजनों व हिंदूवादी संगठनों में खुशी की लहर फैल गई।
मामले में जमानत के लिए सुनवाई पॉक्सो मामलों की विशेष न्यायाधीश स्मिता रत्नावत की अदालत में हुई।पीड़िता की मां की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि जमानत के लिए जिस आरोपिया / प्रार्थियां की जमानत लगाई गई है वो 20 वर्षो से आंगनबाड़ी में कार्यरत हैं, बावजूद इसके इस तरफ बच्चो के शोषण की कोई शिकायत आज तक नहीं आई। साथ ही यह महिला की बेटी की एफआईआर के चलते दबाव बना समझौते के लिए काउंटर एफआईआर की गई। पीड़ित बालक के मौसी के लड़के के ऊपर ही महिला की बेटी ने एफआईआर दर्ज करवाई थी, इसलिए बदले की भावना से दस वर्षीय बालक को आगे रख एफआईआर कर ली गई। साथ ही एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही आफताब मोहम्मद के घर वाले समझौते के लिए महिला व उसके परिवार पर दबाव बना रहे थे, जिसकी भी शिकायत थाने में की गई थी। पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज नहीं किया। साथ ही शिकायत की कॉपी लगाई गई। बच्चे की सीडब्ल्यूसी से काउंसलिंग करवाये बिना एफआईआर दर्ज की गई है। सारे तर्कों को सुनने के पश्चात विशेष न्यायाधीश ने 15 हजार के बॉन्ड पर जमानत मंजूर कर ली।
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