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एसईसीएल दीपका कोल माइंस हुआ जलमग्न , अरबों की मशीनें पानी में डूबी

एसईसीएल दीपका कोल माइंस में घुसा पानी, अरबों रुपए की मशीनें पानी में डूबी

कोरबा / बिलासपुर/ कोरबा जिले में 4 दिनों से पूरे क्षेत्र में लगातार बारिश से जहां जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है वही एशिया के दूसरे सबसे बड़े कोयला खदानों में अपना नज़्म शुमार रखने वाले एसईसीएल दीपका कोल माइंस में बारिश के कारण हसदेव नदी की सहायक नदी लीलाधर नदी के प्रवाह की धारा बदल गई, तथा रिटर्निंग वाल्व नहीं होने के कारण दीपका खदान में पानी घुस गया। खदान में पानी घुसते ही वहां काम कर रहे कर्मियों में अफरा तफरी का माहौल बन गया और खदान मैनेजर ने सभी मेनपावर को खदान से बाहर निकलने के लिए आदेशित किया। इसके बाद भी खदान में 8 – 10 मजदूर रह गए थे। जिन्हें देर रात तक खदान से बाहर निकाला गया । मानसून की तैयारी नहीं होने की वजह से आज अरबों रुपए की मशीनें पानी में डूब गई, इस वजह से लगभग 15 दिनों तक यहां उत्पादन तथा डिस्पैच भी प्रभावित रहेगा। जिससे एसईसीएल प्रबंधन को अरबों रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा। प्रति वर्ष मानसून के लिए हर वित्तीय वर्ष में 30 से 35 करोड़ रू प्रबंधन को स्वीकृत होता है । जिसमें सड़क, नाली की व्यवस्था को दर्शाया गया रहता है। कहीं ना कहीं प्रबंधन के द्वारा माइंस सर्वे में चूक हुई है जिसके कारण नदी का पानी खदान में भर गया।बिलासपुर खान सुरक्षा महानिदेशक की टीम दीपका खदान में पहुंच चुकी है और मौके का निरीक्षण कर रही है प्रबंधन केवल उत्पादन की ओर ध्यान देता है ना की सुरक्षा के प्रति जागरूक है। ऐसी सुरक्षा विहीन खदानों को चलाने का आदेश देना कहीं ना कहीं एसईसीएल प्रबंधन व डीजीएमएस विभाग संदेह के घेरे में आ रही है।

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