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कोविड 19 : क्या है कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड ? क्यों है इसको लेकर इतना खौफ ? भारत ट्रांसमिशन की किस स्‍टेज में है ? जानिए ये जरूरी बात ,,

देश //कोरोना वायरस के चलते लंबे समय से लॉकडाउन चल रहे देश अब धीरे-धीरे खुलने लगा है। लेकिन संक्रमण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। राजधानी का हाल ये है कि यहां कम्युनिटी स्प्रेड के हालात पैदा हो गए हैं। उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ मीटिंग के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि 30 जून तक दिल्ली में एक लाख, 15 जुलाई तक 2 लाख और 31 जुलाई तक साढ़े 5 लाख कोरोना संक्रमण के मामले होंगे। उन्होंने कहा कि यही हालात रहे तो 31 जुलाई तक हमें दिल्ली के अस्पतालों में 80 हजार बेडों की जरूरत होगी ।

मीटिंग में उप मुख्यमंत्री के साथ दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मौजूद थे। उन्होंने बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा कि कल एम्स के डायरेक्टर ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी केंटनमेंट जोन में कम्युनियी स्प्रेड होना शुरू हो गया है, लेकिन यह तकनीकी फैसला है और इसे घोषित करने का आधिकार केंद्र सरकार के पास है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर कम्युनिटी स्प्रैड होता क्या है ?

क्या है कोरोना का कम्युनिटी स्प्रैड ?

दरअसल जब किसी एक जगह पर कोई व्यक्ति संक्रमित होता है और संक्रमण के सोर्स का पता नहीं लग पाता। ऐसे में संभव है कि वह किसी संक्रमित कम्युनिटी के संपर्क में आया हो। जैसे कि भारत में विदेश से लौटे लोगों और उनके संपर्क में आए व्‍यक्तियों के कॉन्‍टैक्‍ट में न आने वाले भी संक्रमित हो रहे हैं।संभव है कि वह कैरियर किसी ऐसे व्‍यक्ति के संपर्क में आया हो जो मूल रूप से इन्‍फेक्‍टेड कम्‍यूनिटी से था। इसके उपाय के लिए स्वास्थ मंत्रालय जहां केस मिला है उसके 500 मीटर के दायरे की निगरानी कर रहा है। पीड़ित से मिले लोगों की स्क्रीनिंग हो रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में अभी 2,66,598 कोरोना के मरीज हैं। इसके अलावा 7466 लोगों की मौत हो चुकी है।

कंटेनमेंट के लिए क्‍या उपाय ?

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए विस्‍तृत गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके तहत, प्रभावित इलाके को कंटेनमेंट जोन घोषित किया जा सकता है। जहां केस मिला है, उसके चारों तरफ करीब 500 मीटर के दायरे की निगरानी की जाती है। कॉन्‍टैक्‍ट्स की स्‍क्रीनिंग, संदिग्‍धों की जांच होती है। जरूरत पड़ने पर इलाके को पूरी तरह सील कर दिया जाता है। किसी को आने-जाने की परमिशन नहीं होती। भारत के पास किसी इन्‍फेक्‍शन के बड़े आउटब्रेक के लिए प्‍लान तो है मगर उसमें कम्‍यूनिटी स्‍प्रेड के लिए अलग से रणनीति नहीं है। एक बार ट्रांसमिशन थर्ड स्‍टेज में पहुंचने के बाद उसे रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है।

भारत ट्रांसमिशन की किस स्‍टेज में ?

वर्ल्‍ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन किसी बीमारी को तीन चरणों में बांटता है। छिटपुट केसेज, क्‍लस्‍टर में केसेज और कम्‍यूनिटी ट्रांसमिशन। छिटपुट में वे केसेज आते हैं जो या तो इम्‍पोर्टेड हैं या लोकली डिटेक्‍ट हुए हैं। क्‍लस्‍टर तब बनता है जब इन्‍फेक्‍शन का एक कॉमन फैक्‍टर या लोकेशन होती है। मसलन मुंबई का धारावी और वर्ली, दिल्‍ली का निजामुद्दीन असल में क्‍लस्‍टर हैं। भारत सरकार के मुताबिक, देश अभी लोकल ट्रांसमिशन की स्‍टेज में है।

दिल्‍ली के हालात डरा रहे …

देश की राजधानी में कोरोना वायरस की वजह से हालात बेहद खराब हो गए हैं। पिछले 24 घंटे में दिल्ली में 3700 लोगों का कारोना टेस्ट हुआ, इसमें से 1007 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। यानी कुल टेस्टिंग के 27 प्रतिशत लोग संक्रमित थे। पिछले हफ्ते की बात करें तो पॉजिटिविटी रेट 26 प्रतिशत था। यानी प्रति 100 टेस्‍ट में से 26-27 सैंपल पॉजिटिव मिल रहे हैं। यह आंकड़ा बाकी राज्‍यों के मुकाबले बहुत ज्‍यादा है और दिल्‍ली में कोरोना की पैठ को दिखाता है। दिल्ली में हॉटस्पॉट्स की संख्या बढ़कर 183 हो चुकी है। रविवार तक दिल्ली में हॉटस्पॉट्स की संख्या 169 थी।

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