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जीने की जिद और माँ की ममता के आगे मौत भी हार गई… देश के सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन कंप्लीट… 104 घण्टे की जद्दोजहद के बाद बोरवेल से सकुशल बाहर आया राहुल… अपोलो में इलाज जारी…

जीने की जिद के और माँ की ममता ने मौत को भी मात दे दी… देश के सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन कंप्लीट… 104 घण्टे की जद्दोजहद के बाद बोरवेल से सकुशल बाहर आया राहुल… अपोलो में इलाज जारी…

बिलासपुर, 15 जून, 2022,

वो कहते है ना कि जाके राखों साईंया मार सके ना कोई इस कहावत को चरितार्थ किया है राहुल ने। उसके जीने की हठधर्मिता से मौत भी डर कर भाग गई। 104 घंटे मौत से जूझते राहुल के सामने कई परेशानियों थी एक वक्त तो ऐसा आया जब उसके सामने सांप बैठा था पर ना जाने राहुल ने उससे ऐसा क्या कहा कि वो भी वहां से चला गया । जीने की जिद, माँ की ममता और लाखों करोड़ों लोगों की दुवाओं के आगे मौत को भी झुकना पड़ा और आखिरकार राहुल से सकुशल बाहर आ गया।

देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया है और 60 फिट गहरे बोरवेल में गिरे राहुल को रेस्क्यू टीम ने सही सलाम बाहर निकाल लिया गया है। राहुल ने मौत को मात देकर जिंदगी की जंग जीत ली है।उसे देर रात एंबुलेंस से अपोलो हॉस्पिटल लाया गया है जहां उनका इलाज जारी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रेस्क्यू टीम में लगे सभी अधिकारियों, कर्मचारियों, सेना और NDRF के जवानों को बधाई दी है।

आपको बता दे कि जांजगीर जिले के पिहरीद में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन रात 11 बजे खत्म हो गई है। राहुल साहू बोरवेल से सुरक्षित बाहर निकल आया है। राहुल के बाहर निकलते ही रेस्क्यू टीम में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई। अधिकारी, कर्मचारी, एनडीआरएफ और सेना के जवान ऑपरेशन सफल होने पर बधाई देते रहे। पिरहिद में घटना स्थल पर मौजूद आसपास गांव के सैकड़ों लोग खुशी से झूम उठे। पिछले पांच दिनों से जिस राहुल को सकुशल बाहर निकलने के लिए जांजगीर जिले के कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला, एसपी विजय अग्रवाल, NDRF, सेना के जवानों और अपने मातहत अधिकारियों के साथ रातदिन डेट हुए थे वह पूरा हो चुका है। राहुल के बाहर निकलते ही सेना के जवानों ने उसे स्ट्रेचर पर लेकर बाहर निकले और सीधा एंबुलेंस में ले गए। यहां मौजूद डॉक्टरों ने उसका प्रारंभिक स्वस्थ परीक्षण करने के बाद सीधे अपोलो के लिए रवाना कर दिया गए। इस दौरान एंबुलेंस में विशेषज्ञ डॉक्टरों की पूरी टीम मौजूद थी और राहुल के स्वास्थ पर नजर बनाए हुए थे।

राहुल का जारी है इलाज…

बिलासपुर कलेक्टर सारांश मित्तर ने बताया कि राहुल स्वस्थ है। वह सवेरे का नाश्ता ले रहा है। उन्हें हल्का बुखार है, जिसका इलाज जारी है।

राहुल के बेहतरीन इलाज के लिए जिला प्रशासन जांजगीर-चाम्पा की टीम उन्हें लेकर देर रात बिलासपुर पहुंची। उन्हें यहां अत्याधुनिक एवं सर्व सुविधायुक्त अपोलो अस्पताल में भरती कर तत्काल जांच शुरू कर दी गई है। बड़े-बड़े डॉक्टर उनके शरीर के अंगों की सघन जांच कर रहे हैं। गौरतलब है कि राहुल को बोरवेल के गड्ढे से 105 घण्टे बाद बड़ी जद्दोजहद के बीच रेस्क्यू किया गया। लगभग सवा सौ किलोमीटर की दूरी तक ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण कर उन्हें ग्राम पिहरीद ( मालखरौदा)से बिलासपुर लाकर इलाज शुरू किया गया है। अपोलो अस्पताल पहुंचने पर जिला प्रशासन बिलासपुर एवं जनप्रतिनिधियों ने चोटिल राहुल एवं परिजनों का स्वागत किया। इस अवसर पर एसएसपी श्रीमती पारुल माथुर, जिला पंचायत सीईओ हरीश एस, एडिशनल एसपी, उमेश कश्यप, सीएमएचओ डॉ प्रमोद महाजन,एसडीएम तुलाराम भारद्वाज आदि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर लिखा…

माना कि चुनौती बड़ी थी
हमारी टीम भी कहाँ शांत खड़ी थी

रास्ते अगर चट्टानी थे
तो इरादे हमारे फौलादी थे

सभी की दुआओं और रेस्क्यू टीम के अथक, समर्पित प्रयासों से राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है।

वह जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ हो, ऐसी हमारी कामना है।

राहुल को बचाने रेस्क्यू टीम लगातार करती रही काम…

राहुल को बचाने लगातार काम कर रहे रेस्क्यू टीम में 4 आईएएस, 2 आईपीएस, 5 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, 4 एसडीओपी, 5 तहसीलदार, 8 टीआई व 120 पुलिसकर्मियों के साथ ईई (पीडब्ल्यूडी), ईई (पीएचई), सीएमएचओ, 1 सहायक खनिज अधिकारी, एनडीआरएफ के 32 अधिकारी-कर्मचारी, एसडीआरएफ से 15 अधिकारी-कर्मचारी, होमगार्ड्स मौके पर मौजूद रहे। वहीं भारतीय सेना से मेजर गौतम सूरी के साथ 4 सदस्यीय टीम भी घटनास्थल पर मौजूद रही।

मशीनों का किया गया उपयोग…

11 वर्षीय राहुल साहू को बोरवेल से बाहर निकालने के लिए बोरवेल के पास ही सुरंग खोदी गई। इसके लिए 1 स्टोन ब्रेकर, 3 पोकलेन, 3 जेसीबी, 3 हाइवा, 10 ट्रैक्टर, 3 वाटर टैंकर, 2 डीजल टैंकर, 1 हाइड्रा, 1 फायर ब्रिगेड, 1 ट्रांसपोर्टिंग ट्रेलर, 3 पिकअप, 1 होरिजेंटल ट्रंक मेकर और 2 जनरेटर का इस्तेमाल किया गया। 2 एम्बुलेंस वाहन भी मौके पर मौजूद रहे। साथ ही रोबोटिक हैंड को भी उपयोग में लाया गया।

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