• Tue. Jul 8th, 2025

News look.in

नज़र हर खबर पर

नैक ग्रेडिंग बेहतर होने से यूजीसी और केंद्र की योजनाओं का मिलेगा लाभ- पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल… उच्च शिक्षा की बदहाली, बिलासपुर के कॉलेजों की नैक रेटिंग ए प्लस से गिरकर बी और सी हुई…


नैक ग्रेडिंग बेहतर होने से यूजीसी और केंद्र की योजनाओं का मिलेगा लाभ- पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल… उच्च शिक्षा की बदहाली ….बिलासपुर के कॉलेजों की नैक रेटिंग ए प्लस से गिरकर बी और सी हुई…

बिलासपुर, अप्रैल, 05/2022

पूर्व नगरीय प्रशासन व वाणिज्य कर मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार में सब कुछ उल्टा पुल्टा है। भाजपा के शासनकाल में उच्च शिक्षा के विभिन्न आयामों की उत्तरोत्तर प्रगति सुनिश्चित की गई, लेकिन महज तीन वर्षों में ही शिक्षा संस्थानों की दुर्दशा हो गई है।छत्तीसगढ़ में कोरोना नियत्रण के बाद भी छोटे बच्चों की परीक्षा जो महामारी की दृष्टि से अधिक संवेदनाग्राही है, उनकी ऑफलाइन परीक्षा6 कराई जा रही है और महाविद्यालय के बच्चो का जो पूरी सतर्कता के साथ ऑफलाइन एग्जाम दे सकते हैं लेकिन वोट बैंक की लालच में ऑनलाइन एग्जाम कराया जा रहा है ।यह फैसला न सिर्फ हास्यास्पद है बल्कि युवाओं के भविष्य का गुणवत्ता मानकों की दृष्टि से बेहद सतही आकलन है।
पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ में गिरते शिक्षा के स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए जारी अपने बयान में कहा है कि आंकड़े बाजी में खुद को अव्वल साबित करने वाली छत्तीसगढ़ की सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में फिसड्डी साबित हुई है।राज्य सरकार के अव्यवहारिक नीतिगत फैसले और लच्चर कार्यप्रबंधन से शिक्षा में गुणवत्ता का दिनोंदिन ह्रास होते जा रहा है। रोजगार परक,बाजार आधारित, अनुसंधान परक और नवाचारी शिक्षा के अवसर से राज्य के युवा वंचित हो रहे हो रहे हैं।

अमर अग्रवाल ने नई शिक्षा नीति को देश की राष्ट्रीय आकांक्षाओं पूरा करने वाला उपक्रम बताया। अमर अग्रवाल ने बताया कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता व मूलभूत सुविधाओं की जाँच यूजीसी द्वारा वित्त पोषित स्वायत्त संस्था नैक द्वारा (NAAC) 5 वर्ष में की जाती है। नैक मूल्यांकन के अंतर्गत CGPA (Cumulative Grade Point Average) ग्रेडिंग सिस्टम में छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालय एवं कालेजों महाविद्यालयों की रेटिंग दिनों दिन गिरती जा रही है। रायपुर में 1938 में स्थापित छत्तीसगढ़ योगानंदम कॉलेज नैक की बी प्लस रेटिंग में आया। 2012 में बिलासपुर में अटल विश्वविद्यालय के गौरेला -पेंड्रा -मरवाही, मुंगेली जांजगीर, बिलासपुर जिले में 97 संबद्ध महाविद्यालयों में अधिकांश की रेटिंग बी व सी कोटि की है। शहर में विज्ञान महाविद्यालय एवं बिलासा गर्ल्स महाविद्यालय की रेटिंग ए प्लस श्रेणी की थी किंतु पिछले दिनों नेट के मूल्यांकन में ये कालेज गुणवत्ता मूल्यांकन के मानदंडों पर खरे नहीं उतरे,जिससे उनकी ऑटोनॉमी का दर्जा भी संकट में है।उन्होंने कहा अटल यूनिवर्सिटी से संबद्ध अधिकांश कॉलेजों की स्थिति ये है कि यहां न ही शिक्षक है, न ही प्राचार्य, लैब, लाइब्रेरी तक अपडेट नहीं है। सीएमडी व जेपी वर्मा कॉलेज में मूल्यांकन कार्य प्रक्रियारत है, जहां आशा अनुरूप सफलता मिल जाय इसे लेकर शिक्षाविद संशकित है। इसी प्रकार अग्रसेन गर्ल्स कॉलेज को सी ग्रेड, जेएमपी कॉलेज तखतपुर को बी ग्रेड मिला हुआ है। यूनिवर्सिटी से संबंध महाविद्यालयों में केवल 25 के द्वारा ही नेक का मूल्यांकन कार्य कराया गया है जो अपने आप में यह दर्शाता है कि गुणवत्ता को लेकर उच्च शिक्षा के केंद्र आखिर कितने गंभीर हैं। उच्च शिक्षा के अनेक फर्जी संस्थानों पर व्यवसायिकता हावी हो चुकी है। श्री अग्रवाल का कहना है कि गुणवत्ता निर्धारण के लिए कहने को तो राज्य सरकार द्वारा गठित गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ जैसी इकाई कार्यरत है। इनकी भूमिका केवल ऐसी दफ्तरों की चमक बढ़ाने के लिए ही दिखाई पड़ती है, विश्वविद्यालय द्वारा गठित मूल्यांकन समिति मानदेय खर्च तक सीमित है। अनेक महाविद्यालयों में प्रभारी प्राचार्य नैक मूल्यांकन का कार्य करा रहे जिन्हें इस संबंध में कोई अनुभव नहीं है। स्टूडेंट्स और प्रोफेसर का अनुपात निर्धारित मानकों से कोसों दूर है। कई जगह नैक को दिखाने के लिए कॉलेज लाखो रुपयो से अधिक की अनुपयोगी सामग्री की खरीदी में लगे रहते है।

पूर्व मंत्री अग्रवाल ने कहा कि संस्थान की शैक्षणिक प्रक्रियाएं और उनके नतीजे, करिकुलम, अध्यापन और शिक्षण, मूल्यांकन प्रक्रिया, फैकल्टी, रिसर्च, बुनियादी ढांचा, संसाधन, संगठन, प्रशासन, वित्तीय स्थिति और छात्र सेवाओं के स्तर मूल्यांकन के दौरान निर्धारित मानकों अपेक्षाकृत नहीं होने से ए प्लस की ग्रेडिंग वाले संस्थान भी बी व सी नैक रैंकिंग ला रहे है। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है कि नैक में अच्छी ग्रेडिंग से ही छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा को एक नया आयाम मिलेगा। आदिवासी और दूरस्थ अंचलों में स्थित कॉलेज और यूनिवर्सिटी का तकनीकी उन्ययन,नैक द्वारा इन संस्थानों को निशुल्क प्रशिक्षण वे अच्छी ग्रेडिंग पा सकेगे। श्री अग्रवाल ने बताया कि आज आवश्यकता इस बात की है कि उच्च शिक्षण संस्थानों की परफारमेंस को उसके सोशल सर्विस परिदृश्य से जोड़ा जाय। ग्रेडिंग बेहतर होने से उच्च शिक्षण संस्थाओं को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल पाएगा,अन्यथा दिनोदिन गुणवत्ता के गिरते स्तर से उच्च शिक्षा के लक्ष्य कंक्रीट की फौज तैयार करने से ज्यादा कुछ नही होगा,जिसके लिए पूरी तरह राज्य सरकार जिम्मेवार होगी।

Author Profile

Lokesh war waghmare - Founder/ Editor

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed