बिलासपुर– हाईकोर्ट ने आरक्षण मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के आरक्षण के फैसले पर रोक लगा दी है। मामले में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने मंगलवार को लगातार पांच घंटे सुनवाई की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था ।।
प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 27 प्रतिशत करने और इससे कुल आरक्षण 82 प्रतिशत से अधिक होने के खिलाफ पेश याचिका लगाई थी। राज्य शासन ने चार सितंबर 2019 को अध्यादेश जारी कर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को 27 प्रतिशत कर दिया। इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग व केंद्र के गरीब सर्वणों को 10 फीसद आरक्षण को मिलाकर राज्य में आरक्षण 82 फीसद हो गया है। इसके अलावा महिला, दिव्यांग व अन्य वर्ग के लिए प्रावधान जोड़ने पर आरक्षण 90 प्रतिशत हो रहा है। इसके खिलाफ आदित्य तिवारी, कुणाल शुक्ला, पुनेश्वरनाथ मिश्रा, पुष्पा पांडेय, स्नेहिल दुबे समेत अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिसमें कहा गया, कि राज्य शासन ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के खिलाफ कुल आरक्षण 82 प्रतिशत कर दिया है। राज्य शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत कर कहा गया, कि प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी 45.5 प्रतिशत से अधिक होने के कारण आरक्षण बढ़ाया गया है। इसके अलावा सरकार को आरक्षण बढ़ाने का अधिकार है। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण व तमिलनाडु में भी राज्य शासन ने आरक्षण बढ़ाया है।