विश्वविद्यालय के आडिटोरियम में आयोजित कुलपतियों के सम्मेलन में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, तेलंगाना आदि 7 राज्यों के कुलपति शामिल हुये। यह दो दिवसीय सम्मेलन इम्प्रुविंग एक्सेस एंड गवर्नेंस रिफाम्र्स इन इंडियन हायर एजुकेशन थीम पर आधारित था। जिस पर विभिन्न राज्यों से आये हुए विद्वानों के बीच मंथन विचार-विमर्श, चर्चाएं हुयी और शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिये निष्कर्ष निकाले गये। राज्यपाल सुश्री उईके ने कहा कि इस सम्मेलन के निष्कर्षों और प्रस्तावों को छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में लागू किया जायेगा। जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के बीच सकल नामांकन काफी कम है। इसे बढ़ाने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिये। सुश्री उईके ने इस सम्मेलन को एक सराहनीय प्रयास बताया।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे देश में उच्च शिक्षा का विस्तार हो रहा है। पर आवश्यकता है कि वे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप गुणवत्तायुक्त हो। यह प्रयास करें कि सभी वर्गों तक उच्च शिक्षा की पहुंच हो। सकल नामांकन अनुपात की तुलना करें तो विकसित देशों की तुलना में भारत काफी पीछे है। इसे किस प्रकार बढ़ाया जाये इस पर विचार किया जाना चाहिये। यह लक्ष्य होना चाहिये कि उच्च शिक्षा में सकल नामांकन के अनुपात को बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक ले जायें। हमारे समक्ष शिक्षकों की कमी एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है। इस मुद्दे को हल करने के लिये सभी विश्वविद्यालयों में यूनिफार्म सिस्टम बनाये जाने की आवश्यकता है। जिससे त्वरित नियुक्तियां सुनिश्चित हो सके। इसके लिये राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से एक केन्द्रीयकृत प्रणाली पर विचार किया जा सकता है। प्रयास करें कि विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम वर्तमान समय के अनुरूप हो, उसमें रचनात्मकता हो। उन्होंने कुलपतियों से आग्रह किया कि प्रत्येक 3-4 वर्षों में पाठ्यक्रम अपडेट किया जाना चाहिये। शोध भी विश्वविद्यालयों का प्रमुख कार्य है। इसमें सामयिक विषय शामिल हो और शोध का स्तर अंतर्राष्ट्रीय महत्व का हो और इन शोधों की आउटपुट की समीक्षा की जानी चाहिये। विश्वविद्यालय में रोजगार मार्गदर्शन सह केन्द्रीय प्लेसमेंट सेल होनी चाहिये। जो रोजगार संबंधी समस्त सूचना उपलब्ध कराएं। साथ ही प्रत्येक विश्वविद्यालय में उद्यमिता विकास प्रकोष्ठ होना चाहिये। सुश्री अनुसुईया उईके ने वृक्षारोपण, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, प्लास्टिक बैन अभियान जैसे कार्यों में सहभागिता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में फिट इंडिया, खेलो इंडिया जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किया जाना चाहिये।
हमारा लक्ष्य भारत को ज्ञान महाशक्ति बनाना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये इस सम्मेलन के माध्यम से ऐसे साझा प्रयास करें, जिससे हमारे शिक्षा संस्थान मार्गदर्शन केन्द्र के रूप में भी स्थापित हो सके। सुश्री उईके ने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों को और कैसे सशक्त बनाया जाये, यह प्रयास करेंगी।
कार्यक्रम में एसोसिएशन आफ इंडियन यूनिवर्सिटी की सेके्रटरी जनरल डॉ.पंकज मित्तल ने इस सम्मेलन के संबंध में विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि सम्मेलन का थीम छत्तीसगढ़ को ध्यान में रखते हुए चुना गया था। छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा का अनुपात कम है और इसे बढ़ाने के लिये क्या विशेष प्रयास किया जाये, इसके लिये सम्मेलन में मंथन किया गया। उच्च शिक्षा का अनुपात बढ़ाने के लिये स्कूल शिक्षा में भी ग्रास इनरोलमेंट बढ़ाने की जरूरत है। विश्वविद्यालयों में मानव संसाधन विभाग बनाया जाये, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ सकती है। भविष्य में विश्वविद्यालय की शिक्षा कैसी हो, इस पर सम्मेलन में मंथन किया गया। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.गौरीदत्त शर्मा ने दिया। उन्होंने बताया कि सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में चर्चाओं, नई जानकारी के माध्यम से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये आपसी सहयोग व एक-दूसरे की क्षमता का उपयोग करने पर विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये निरंतर समय के साथ चलते हुए कार्य करने की आवश्यकता बताई।
कार्यक्रम में राज्यपाल सुश्री उईके द्वारा विश्वविद्यालय के वेबसाईट लांच की गई। जिसमें छात्रों को प्रदान की गई डेढ़ लाख से अधिक उपाधियां अपलोड की गई है। साथ ही बायो फर्टिलाईजर फार राईस कल्टीवेशन पर आधारित किताब का विमोचन भी किया गया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर एप्लीकेशन विभाग अरपा भवन का उद्घाटन भी किया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय विनियामक आयोग रायपुर के चेयरमेन ए. के.शुक्ला, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ.सुधीर शर्मा, एसोसिएशन आफ इंडियन यूनिवर्सिटी के पदाधिकारी एवं सदस्य, विभिन्न कालेजों के प्राचार्य, प्राध्यापक, छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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