• Wed. Jul 9th, 2025

News look.in

नज़र हर खबर पर

एसएमएम निलंजन नियोगी पर दपूमरे के जीएम मेहरबान ?… 15 साल से अधिक समय से मलाई छान रहे हैं नियोगी…

एसएमएम निलंजन नियोगी पर दपूमरे के जीएम मेहरबान… 15 साल से अधिक समय से मलाई छान रहे हैं नियोगी…

अक्टूबर, 28/2021, बिलासपुर

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन बिलासपुर के जीएम अपने अधीनस्त एसएमएम निलंजन नियोगी पर इतने मेहरबान हैं कि 15 साल से अधिक समय एक ही स्थान पर पदस्थ रहते हुए मलाई छान रहे हैं, जबकि भारत सरकार के केंद्रीय सतर्कता आयोग ने खरीदी से संबंधित अफसरों को एक ही जगह पर तीन साल से अधिक समय तक पदस्थ नहीं रखने का आदेश जारी किया है। यह आदेश जारी होने के बाद भी उन्हें यहां से तबादला नहीं करने पर जीएम की कार्यप्रणाली पर ऊंगलियां उठ रही हैं। रेलवे में चर्चा तो यह है कि जो भी जीएम आते हैं उन्हें एसएमएम निलंजन नियोगी साध लेते हैं। अब कुछ आरटीआई कार्यकर्ता एसएमएम निलंजन नियोगी के कार्यकाल में हुई खरीदी की जानकारी निकाल कर भारत सरकार के केंद्रीय सतर्कता आयोग से शिकायत करने वाले हैं।

हमने अपने पिछले अंक में बताया था कि निलंजन नियोगी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन बिलासपुर के हेड ऑफिस में सीनियर मटेरियल मैनेजर (SMM) के पद पर पदस्थ हैं। बताया जाता है कि वे यहां करीब 15 साल से पदस्थ हैं। उनकी पहुंच ऐसी कि जब भी ट्रांसफर लिस्ट बनती है, उन्हें पता चल जाता है। फिर वे अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर तबादला सूची से नाम कटवा लेते हैं। 15 साल की पदस्थापना के दौरान उन्होंने करोड़ों रुपए की खरीदी है, वह भी बिना किसी बड़े अफसर की अनुमति के। दरअसल, SMM को रेलवे की ओर से बिना अनुमति के 10 लाख रुपए सीधे खरीदी करने का अधिकार है। इसके लिए यह भी पाबंदी नहीं है कि महीने में एक ही बार खरीदी की जाए। SMM चाहें तो अलग-अलग आर्डर देकर महीने में करोड़ों रुपए की खरीदी कर सकते हैं। 15 साल की पदस्थापना के दौरान जोन में कई जीएम और डीआरएम आए और गए, लेकिन निरंजन नियोगी की कुर्सी तक आंच भी नहीं आई। यह खबर प्रकाशित होने के बाद रेलवे जोन में पदस्थ अफसरों के बीच गोपनीय तरीके से चर्चा शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि सीनियर मटेरियल ऑफिसर (SMM) पद ऐसा है, जिसकी पोस्टिंग और मनचाहे स्थान पर तबादले के लिए करोड़ रुपए से अधिक की बोली लगती है। जो ज्यादा बोली लगा लेते हैं, वहां उसका तबादला या पोस्टिंग कर दिया जाता है। दूसरी ओर, तबादला रुकवाने वालों को पोस्टिंग चाहने वालों से ज्यादा बोली लगाना पड़ती है। हाल में रेलवे में बड़े अफसरों के तबादले हुए हैं। माना जा रहा था कि अब एसएमएम निलंजन नियोगी का तबादला हो जाएगा, लेकिन सूची में उनका नाम ही नहीं है। रेलवे जोन में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि नियोगी एक बार फिर अपना तबादला रुकवाने के लिए कामयाब हो गए हैं। उन्हें जोन के बड़े अफसरों की शह मिली हुई है। रेलवे से जुड़े एक सूत्र में हमें भारत सरकार के केंद्रीय सतर्कता आयोग के आफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी जे विनोद कुमार के हस्ताक्षर से 4 जनवरी 2012 को जारी आदेश की कापी भेजी है, जिसमें साफ लिखा गया है कि सभी सीवीओएस को संवेदनशील पदों की पहचान करने के लिए कहा गया था और यह भी सुनिश्चित करने के लिए कि संवेदनशील पदों पर तैनात अधिकारियों को निहित स्वार्थों से बचने के लिए हर दो से तीन साल में तबादला किया जाना है, लेकिन इन निर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है। हाल ही में आयोग ने एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए देखा कि एक वरिष्ठ रैंकिंग अधिकारी जो खरीद आदि से जुड़ा था। विभाग में अनुचित रूप से लंबी अवधि के लिए तैनात था, जो आयोग के दिशा-निर्देशों की भावना के खिलाफ है। आयोग एक बार फिर अधिकारियों के उस आवधिक रोटेशन पर जोर देगा। आदेश की कापी बिलासपुर जोन में भी आई है, लेकिन जिम्मेदार अफसरों ने इसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया है और मनमानी करते हुए मलाईदार पद पर निलंजन नियोगी को 15 साल से पदस्थ कर रखा है। इस मामले में हमने निलंजन नियोगी से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। जब भी वे अपना पक्ष रखेंगे, उसे हम हूबहू प्रकाशित करेंगे।

पढ़िए पत्र का हिंदू अनुवाद…

परिपत्र संख्या 02/01/12 विषय: संवेदनशील पदों पर कार्यरत अधिकारियों के रोटेशन के संबंध में।

संदर्भ: आयोग के परिपत्र संख्या 98/वीजीएल/60 दिनांक 15/4/1999, 1/11/2001 और परिपत्र संख्या 17/4/08(004/वीजीएल/90) दिनांक 1/5/2008 ध्यान आकर्षित किया जाता है।

संदर्भाधीन परिपत्रों में निहित आयोग के निर्देश जिसमें सभी सीवीओएस को संवेदनशील पदों की पहचान करने के लिए कहा गया था और यह भी सुनिश्चित करने के लिए कि संवेदनशील पदों पर तैनात अधिकारियों को निहित स्वार्थों से बचने के लिए हर दो / तीन साल में घुमाया जाता है। इन निर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है जो गंभीर चिंता का विषय है। + 2. हाल ही में, आयोग ने एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए देखा कि एक वरिष्ठ रैंकिंग अधिकारी जो खरीद आदि से जुड़ा था, विभाग में अनुचित रूप से लंबी अवधि के लिए तैनात था जो आयोग के दिशानिर्देशों की भावना के खिलाफ है। . आयोग एक बार फिर अधिकारियों के उस आवधिक रोटेशन पर जोर देगा। विशेष रूप से वरिष्ठ स्तर पर संवेदनशील पदों/नौकरियों को धारण करना सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इस प्रकार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंधन द्वारा अधिकारियों को अपरिहार्यता आदि की आड़ में एक ही स्थान/पद पर अनुचित रूप से लंबे समय तक नहीं रखा जाना चाहिए। 3. आयोग अपने दिशानिर्देशों को दोहराते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सीवीओएस को यह सलाह देगा कि वे इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी संबंधितों के ध्यान में इसके अलावा, सीवीओएस को विशेष रूप से आयोग को सीवीओएस की मासिक रिपोर्ट में बैंक में घुमाए गए/स्थानांतरित अधिकारियों की संख्या का संकेत देते हुए इस संबंध में की गई कार्रवाई की स्थिति का उल्लेख करना चाहिए।

(जे विनोद किमार) विशेष कार्य अधिकारी

Author Profile

Lokesh war waghmare - Founder/ Editor

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed