कोरोना के दौर में ऑखों की जाँच में चिकित्सक बरतेंगे विशेष सावधानियाँ …
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जारी किए दिशा निर्देश …
बिलासपुर // मनुष्य के शरीर में आँखों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इसलिए आँखों की नियमित जाँच एवं देखभाल भी बहुत जरूरी है। किन्तु कोविड-19 के कारण मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ा जिसके कारण नियमित रूप से मिलने वाली आँखों से संबंधित स्वास्थ्य सेवाएं भी समय से नहीं मिल रहीं हैं । इस समस्या को दूर करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आँखों की जाँच के संबंध में विशेष दिशा निर्देश जारी किए हैं ।
इन विशेष दिशानिर्देशों को जारी करने का उद्देश्य लोगों को नेत्र रोगों से संबंधित उपचार प्रदान करने के साथ ही नेत्र रोग विशेषज्ञ, तकनीशियनों, नर्सों, सहायक कर्मचारियों एवं रोगियों के बीच कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को रोकना है। नेत्र रोगों से संबंधित जाँचों और प्रक्रियाओं में डॉक्टर और रोगी का संपर्क बिल्कुल निकट होता है। इसलिए इस दौरान कोविड-19 संक्रमण फैलने की संभावना अधिक हो सकती है।
गाइडलाइन में स्पष्ट है कि कन्टेनमेंट क्षेत्र में नेत्र जाँच की सुविधा बंद रहेगी। इसके अलावा 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति, कोमोर्बिडिटी वाले व्यक्ति, गर्भवती महिलाएँ और 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे स्वयं नेत्र संबंधी रोगों से पीड़ित नहीं है तो उनको घर पर ही रहने के लिए कहा गया है ।
सभी रोगियों, कर्मचारियों और आगंतुकों को इन साधारण उपायों का करना होगा पालन …
जहां तक संभव हो कम से कम 6 फीट की शारीरिक दूरी का पालन किया जाना होगा साथ ही अनिवार्य रूप से फेस कवर और मास्क का उपयोग किया जाएगा। थोड़े-थोड़े अंतराल पर कम से कम 40 से 60 सेकेंड तक हाथ धोना या कम से कम 20 सेकेंड तक अल्कोहल आधारित सेनेटाइज़र का प्रयोग करना जरूरी होगा। इसके अतिरिक्त श्वसन संबंधी शिष्टाचार का सख्ती से पालन किया जाएगा, खांसी या जुकाम की स्थिति में सभी कोहनी या टिशू पेपर का इस्तेमाल करेंगे एवं उपयोग किए गए टिशू पेपर को ठीक से निपटान भी जरूरी होगा । सभी के द्वारा अपने स्वास्थ्य की स्वयं निगरानी करना और राज्य और जिला हेल्पलाइन में जल्द से जल्द किसी भी बीमारी के बारे में रिपोर्ट करना होगा ।
सभी नेत्र जाँच केंद्रों को यह सुविधाएं करनी होंगी सुनिश्चित …
रोगियों की विजिट को कम करने के लिए टेली-काउंसलिंग को प्रोत्साहित किया जाएगा एवं अग्रिम पंजीकरण प्रणाली का पालन किया जा सकता है, जिसमें रोगियों का परीक्षण या नेत्र जांच प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। विधिवत रूप से सामाजिक दूरी का पालन, हाथ स्वच्छता और व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों के बाद ही दूरस्थ क्षेत्रों में मोतियाबिंद और अन्य नेत्र रोगों के रोगियों की स्क्रीनिंग की जा सकेगी । दृष्टि केंद्रों में गैर-सरकारी संगठनों द्वारा दूरस्थ परामर्श को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। मोतियाबिंद सर्जरी के लिए चिन्हित रोगियों को बेस अस्पताल में बुलाया जा सकता है, ताकि मोतियाबिंद का बैकलॉग न हो । अस्पताल / क्लिनिक में प्रवेश के लिए हाथ स्वच्छता और थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य प्रावधान किए गए हैं। इसके अलावा सभी रोगियों और उनके परिचारकों और अस्पताल के सभी आगंतुकों की एक दैनिक सूची, मोबाइल नंबर और आईडी सहित बनाए जाएगी ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर उनसे संपर्क किया जा सके।
नेत्र संबंधी ओ.पी.डी. सेवाओं के लिए होंगे ये नियम
नेत्र संबंधी ओ.पी.डी. सेवाओं के लिए डिजिटल या ऐप-आधारित पंजीकरण प्रणाली को बढ़ावा दिया जाएगा एवं एक मरीज के साथ केवल एक व्यक्ति को ही साथ जाने की अनुमति होगी । ओपीडी में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले ट्रायल फ्रेम, ट्रायल लेंस आदि जैसे छुये हुए उपकरण की नियमित सफाई और नियमित कीटाणुशोधन (1% सोडियम हाइपोक्लोराइट का उपयोग करके) सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही नर्सिंग / पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा बिना स्पर्श किए रोगी की आंख में आई ड्रॉप डाली जाएगी ।
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