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कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए ‘विहान’ समूह की महिलाएं दे रही है योगदान ,, ग्रामीणों को घर बैठे उपलब्ध हो रहा है सेनिटाइजर, फिनाईल, सेनेटरी नेपकिन ,,

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए ‘विहान’ समूह की महिलाएं दे रही है योगदान ,,

ग्रामीणों को घर बैठे उपलब्ध हो रहा है सेनिटाइजर, फिनाईल, सेनेटरी नेपकिन ,,

बिलासपुर // कोविड-19 के संक्रमण काल में आज हर वर्ग कोरोना से जंग लड़ रहा है। ऐसे दौर में वनांचल ग्राम करही कछार की आदिवासी महिलाएं भी पीछे नहीं है। विहान समूह से जुडी ये महिलाएं हैण्ड सेनिटाइजर, फिनाईल, सेनेटरी नेपकिन, टॉयलेट क्लिनर, आदि बनाकर अस्पताल, मेडिकल स्टोर, मितानिन और गांव की महिलाओं तथा ग्रामीणों को उपलब्ध करा रही है और संक्रमण से बचाव, स्वच्छता, हाईजिन के लिए अपना योगदान दे रही है। इससे इन महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है।

कोटा विकासखंड के ग्राम करही कछार की आदिवासी उरांव समाज की 10 महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत विहान समूह से जुड़ी हुई है। वर्ष 2010 में इन महिलाओं ने सिद्ध बाबा महिला स्व सहायता समूह का गठन किया था। समूह की अध्यक्ष चंदा बाई उरांव के नेतृत्व में ये महिलाएं पहले छोटी छोटी बचत कर आपस में ही लेन देन का कार्य कर रही थी। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन विहान से उन्हें गत वर्ष जोड़ा गया। समूह को एक लाख रूपए का ऋण स्टेट बैंक बेलगहना से उपलब्ध कराया गया था।

जन स्वास्थ्य सहयोग केंद्र गनियारी द्वारा महिलाओं को फिनाईल , टायलेट क्लिनर, डिस वाश, बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। सेनेटरी पेड बनाने के लिए उन्हें हैदराबाद की संस्था से प्रशिक्षण दिलाया गया तथा रोटरी क्लब द्वारा उन्हें गांव में ही सेनेटरी पेड बनाने की मशीन उपलब्ध करायी गयी। प्रशिक्षण लेकर बैंक से मिले लोन से समूह ने कच्चा माल खरीदकर उससे सामग्री तैयार करने का शुरू किया। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हैण्ड सेनिटाइजर बनाने का प्रशिक्षण भी उन्होनें लिया और उसका भी उत्पादन शुरू कर दिया। उनके द्वारा उत्पादित सामाग्री को बाजार मिल रहा है। महिलाएं अस्पताल, मेडिकल स्टोर में जाकर उनके मांग अनरूप सामान की आपूर्ति कर रही है। वहीं आसपास गांवों के मितानिनों, महिलाओं, एवं ग्रामीणों के घर तक सामग्री पहुंचा रही है।

समूह द्वारा उत्पादित वस्तुओं की ब्रिकी से उन्हें अच्छी आय प्राप्त हो रही है। अब तक वे एक लाख रूपए से ज्यादा की सामग्री बेच चुकी है। उन्होनें बैंक से लिये गये ऋण को 10 माह में ही चुकता कर दिया। उनके कार्य को देखते हुए उन्हें पुनः एक लाख रूपए का ऋण दिलाया गया है। साथ ही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 15 हजार की प्रोत्साहन राशि रिवाल्विंग फंड के रूप में उन्हें दी गयी है।

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