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छत्तीसगढ़ : मंत्री टीएस सिंहदेव का इस्तीफा… पत्र में कई मुद्दों पर जताई नाराजगी… सरकार और संगठन में फुट एक बार फिर सड़कों पर…

छत्तीसगढ़ : मंत्री टीएस सिंहदेव का इस्तीफा… पत्र में कई मुद्दों पर जताई नाराजगी… सरकार और संगठन में फुट एक बार फिर सड़कों पर…

छत्तीसगढ़, रायपुर, 16/2022

प्रदेश के सीनियर नेता और केबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री पद की जिम्मेदारी छोड़ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया है। सिंहदेव स्वास्थ्य और वाणिज्यिक कर विभाग में मंत्री की जिम्मेदारी पर बने रहेंगे। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा भेज दिया है। सिंहदेव के इस फैसले से सरकार के अंदर चल रही खींचतान सड़क पर आ गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह इस्तीफा स्वीकार करते हैं अथवा नहीं यह तो बाद की बात है लेकिन इस्तीफे से सरकार और संगठन में खलबली मच गई है। बताया जा रहा है कि इसकी सूचना केंद्रीय नेतृत्व को भी भेज दी गई है।

उन्होंने सीएम को भेजे गए पत्र में लिखा है कि रोजगार सहायकों की मांगे माने जाने के बाद भी वे साजिशन हड़ताल पर थे, हमने कहा था कि इन्हें वापस उन्हीं पदों पर न करें लेकिन सरकार ने विभाग के मंत्री के बजाय सचिव के बातों को अहमियत दी जिससे यह संदेश गया कि सरकार झुक गयी और दूसरा उनके कार्यों का कोई नुकसान नहीं होगा। रोजगार सहायकों के कारण 1250 करोड़ का मजदूरी भुगतान रुक गया लेकिन रोजगार सहायकों को सरकार ने फिर से उन्हें उसी पद पर बहाल कर दिया। उन्होंने आगे कहा की पेसा एक्ट के लिए आदिवासियों से राय ली गयी थी और उस पर बिंदुवार सहमति बनाई गई थी लेकिन सरकार ने पेसा एक्ट लागू करते समय इन बिंदुओं को दरकिनार कर दिया। पेसा एक्ट जल जंगल जमीन के मौलिक मांग पर आधारित है इसमें इन बिंदुओं को नजरअंदाज करने से उसके इम्पैक्ट पर असर पड़ेगा।

पीएम आवास की हजारों करोड़ की राशी सहित जनप्रतिनिधियों को देने वाले 500 करोड़ भी रोके…

मंत्री ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि बीते तीन वर्षों से छत्तीसगढ़ सरकार ने पीएम आवास की राशि रोक रखी है। 8 लाख लोगों के मकान बनाए जाने है। जिसके लिए 10 हजार करोड़ राशि की जरूरत होती लेकिन आबंटन राशि रोक दी गई। सिर्फ यही नही विकास के लिए जनप्रतिनिधियों को मिलने वाली 500 करोड़ की राशि को भी रोक दिया गया। पंचायत मंत्री के अनुसार उन्हें जनप्रतिनिधियों से विकास कार्यों के लिए आवेदन आये हुए थे। इन राशियों की सहमति भी उनके द्वारा दे दी गई थी। बावजूद सरकार ने राशि जारी नहीं की।

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