नयी दिल्ली / उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत पुलिस के पास आपराधिक मामले की जांच के दौरान घर, भूखंड या जमीन जैसी अचल संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर किसी पुलिस अधिकारी को महज अपराध के होने के संदेह के आधार पर अचल संपत्ति जब्त करने की इजाजत दी जाती है तो इसका मतलब है महज अटकल के आधार पर संपत्ति के स्वामी को बेदखल करने की “सख्त और काफी अधिक शक्ति” देना होगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की एक पीठ ने कहा कि संदर्भों का जवाब यह कहते हुए दिया जाता है कि संहिता की धारा 102 के तहत पुलिस अधिकारी को कोई संपत्ति जब्त करने की शक्ति में अचल संपत्ति को कुर्क, जब्त या सील करने की शक्ति शामिल नहीं है।
पीठ ने कहा कि संहिता की धारा 102 सामान्य प्रावधान नहीं है जो किसी पुलिस अधिकारी को अचल संपत्ति को जब्त करने का अधिकार दे जो मुकदमे के दौरान फौजदारी अदालत में उसे पेश करने के लिये पुलिस को अधिकृत करे। हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि सीआरपीसी की धारा 102 पुलिस अधिकारी को किसी अचल संपत्ति से जुड़े दस्तावेज और उसके स्वामित्व से जुड़े दस्तावेजों को जब्त करने से नहीं रोकती है क्योंकि यह जब्त अचल संपत्ति से अलग है। (साभार नवभारत टाईम्स)
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