मूक-बधिर आदिवासी बच्ची दुष्कर्म से हुई गर्भवती, पंचायत में सुनाया गर्भपात का फैसला, अब मामला दबाने भरसक प्रयास…
बिलासपुर (शशि कोन्हेर) // एक मूक-बधिर आदिवासी 13 वर्षीय लड़की दुष्कर्म का शिकार होने के बाद गर्भवती हो जाती है। समाज के ठेकेदारों द्वारा पीड़िता को न्याय दिलाने की बजाय सामाजिक बैठक कर उसका गर्भ गिराए जाने के तुगलकी फरमान के बाद चुपके से गर्भपात करा दिया जाता है। घटित घटना से साफ है कि शासन द्वारा गर्भपात रोकने, बेटियों की सुरक्षा के लिए संचालित तमाम योजनाएं और कानून फाइलों में सिमट कर रह गए हैं।
घटना बिलासपुर जिले के बेलगहना पुलिस चौकी के अधीन ग्राम पंचायत करहीकछार के आश्रित ग्राम सरगुजिहा पारा की है। यहां आदिवासी समाज की एक मूक-बधिर नाबालिग लड़की के साथ गांव का ही युवक दुष्कर्म करता है जिसके फलस्वरूप वह गर्भवती हो जाती है। दुष्कर्मी के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट लिखवाने की बजाय समाज के ठेकेदारों द्वारा बैठक कर इस अपराध को छिपाने नाबालिग लड़की को कोरबा ला कर उसका गर्भ गिरा दिया जाता है।अब सवाल उठता है कि आखिरकार 13 वर्षीय मूक-बधिर लड़की के साथ दुष्कर्म व गर्भवती हो जाने की जानकारी के बाद भी समाज मौन क्यों…?
सूत्रों के अनुसार स्थानीय कुछ जागरूक ग्रामीणों द्वारा इस मामले से जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत भी कराया गया ताकि मूक-बधिर लड़की को गर्भपात जैसे बेहद बुरे दौर के बाद कम से कम स्वास्थ्य सुविधा ही मिल जाय ताकि उसका जीवन सुरक्षित हो.किंतु घटनाक्रम को अभी तक प्रशासनिक संज्ञान में लेना उचित नही समझा गया। बेहद दुर्भाग्यजनक पहलू यह भी है कि नाबालिग अपने पेट में 4- 5 माह का गर्भ लिए घर, परिवार, मोहल्ला और समाज के लोगों में घूमती रही,लड़की कुछ बोल-सुन नहीं पाती और माँ भी पीड़िता के साथ नहीं रहती है। अपने नाना-चाचा के साथ रह रही पीड़िता को समाज के ठेकेदारों द्वारा भरी पंचायत में गर्भपात का फरमान सुनाया गया। परिजन को लोक लाज और बदनामी की दुहाई देकर व आरोपी लड़के को पूरी तरह से बचाने के लिए दबाव पूर्वक यह फरमान थोपा गया। इस पंचायत सभा में ग्राम पंचायत करहीकछार के सरपंच भी शामिल थे। सूत्र बताते है कि करीब 15 -17 दिन पहले सरपंच व समाज के अन्य लोगों की इस बैठक में फैसला उपरांत गर्भपात कराने पहले नाबालिग को जंगली जड़ी- बूटी खिलाया गया, लेकिन मंसूबा पूरा नहीं हो पाया जिसके बाद आनन- फानन में उसे पहले गनियारी ले जाया गया जहां नाबालिग का गर्भपात करने से साफ इंकार कर दिया गया। फिर उसे कोरबा जिले के कटघोरा स्थित किसी एक निजी क्लिनिक में करीब 10 दिन पहले ले जाकर गर्भपात करा दिया गया।
बहरहाल इस पूरे मामले की सूचना पश्चात भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा गंभीरता से संज्ञान नहीं लेना,अपने आप में कई सवालों को जन्म देता है। सोचनीय बात है कि बेलगहना पुलिस चौकी से महज कुछ ही दूरी पर करहीकछार मोहल्ला में यह पूरी घटना घटित हुई है। ऐसे में पुलिस का सूचना तंत्र फेल होने के साथ महिलाओं और बच्चों से जुड़े विभागीय कर्मी भी बेखबर हैं। यह कैसे संभव है कि इतना होने के बाद भी गांव का कोटवार बेखबर है, गांव का सरपंच बेखबर है, पंच बेखबर हैं। पंचायत का सचिव और स्वास्थ्य विभाग के जमीनी कार्यकर्ता भी बेखबर हैं? खबर है कि अभी पीड़िता की माँ अपनी शिकायत दर्ज कराने चौकी-थाना का चक्कर काट रही है।
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