बिलासपुर // अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के 19 अत्याचार पीड़ितों को विगत 6 माह में 37 लाख रूपये से अधिक की राहत राशि स्वीकृत की गई है। कलेक्टर ने लंबित प्रकरणों पर शीर्घ कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण नियम 1995 के अंतर्गत गठित जिला स्तरीय सतर्कता एवं मानिटरिंग समिति की बैठक में निर्देश देते हुए कलेक्टर ने कहा कि अत्याचार पीड़ितों के मामलों में विवेचना सही तरीके से हो, जिससे पीड़ितों को न्याय मिल सके।
बैठक में बिलासपुर विधायक शैलेष पाण्डेय भी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि अधिनियम अंतर्गत राहत के प्रावधान का व्यापक प्रचार-प्रसार करें। कार्यशाला एवं परिचर्चा के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाये।
बैठक में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास ने अत्याचार निवारण नियम 1995 के प्रावधानों की जानकारी दी। प्रावधान के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों पर अत्याचार होने पर हत्या के प्रकरण में 8.25 लाख रूपये, बलात्कार के प्रकरण में 5 लाख रूपये, छेड़छाड़ एवं मारपीट के प्रकरण में 2 लाख रूपये और अपमानित किये जाने पर पीड़ित को 1 लाख रूपये राहत राशि प्रदान की जाती है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम अंतर्गत दर्ज प्रकरणों पर पुलिस अधीक्षक अजाक बिलासपुर द्वारा विवेचना पश्चात प्रस्ताव तैयार कर सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को भेजा जाता है। जिस पर जिला स्तरीय समिति द्वारा निर्णय लेकर पीड़ित व्यक्तियों को भुगतान की कार्यवाही की जाती है। विगत 1 जनवरी से 30 जून तक 19 पीड़ितों को सहायता राशि स्वीकृत कर भुगतान की कार्यवाही की जा रही है। जिसमें अनुसूचित जाति वर्ग के 13 पीड़ितों को 28 लाख 65 हजार और अनुसूचित जनजाति वर्ग के 6 पीड़ितों को 8 लाख 40 हजार रूपये राहत राशि स्वीकृत किया गया है तथा 8 प्रकरण लंबित हैं।
सहायक आयुक्त ने बताया कि अधिनियम अंतर्गत गैर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्तियों द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्तियों पर अत्याचार की सूचना प्राप्त होते ही अनुविभागीय दण्डाधिकारी या कलेक्टर के निर्देश पर या सीधे ही अनुविभागीय अधिकारी पुलिस के निर्देश पर थाने में प्रकरण दर्ज करने के पश्चात राजपत्रित पुलिस अधिकारी द्वारा स्थल निरीक्षण कर अनुसंधान किया जाता है।
बैठक में अजाक थाने के डीएसपी भी मौजूद रहे उनका कहन है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम अंतर्गत विगत 10 माह में 27 अपराध पंजीबद्ध किये गये। जिसमें सिविल लाईन थाने में सबसे ज्यादा प्रकरण दर्ज हुये। 27 प्रकरणों में से 15 प्रकरण न्यायालय में पेश किये गये। एक प्रकरण में चालान तैयार किया गया है और 11 प्रकरण विवेचना में लंबित हैं तथा 21 प्रकरणों में राहत प्रकरण तैयार कर स्वीकृति हेतु भेजा गया है। जिसमें 6 प्रकरण स्वीकृत और 15 प्रकरण स्वीकृत हेतु लंबित है। 6 प्रकरण जाति प्रमाण पत्र के अभाव में पुलिस के पास लंबित है। उन्होने बताया कि गत वर्ष इन वर्गों से संबंधित अत्याचार के 36 प्रकरण दर्ज हुये थे।
बैठक में विधायक प्रतिनिधि जिला पंचायत सदस्य अशोक कौशिक, विशेष लोक अभियोजक एट्रोसिटी देवाशीष धारा, सुश्री रीता बरसैया, जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुश्री समीरा पैकरा सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।
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