बिलासपुर, सितंबर, 09/2024
134 साल पुरानी रेलवे स्टेशन की ऐतिहासिक बिल्डिंग को बचाने की मुहिम… बिलासपुर प्रेस क्लब की महत्त्वपूर्ण पहल… धरोहर बचाने एकजुट होंगे शहरवासी…
छत्तीसगढ़ का प्रमुख शहर बिलासपुर अपने समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। प्रदेश की न्यायधानी कहलाने वाले बिलासपुर की धरोहरों में शहर का रेलवे स्टेशन भी शामिल है। यह स्टेशन अपने आप में बिलासपुर की पहचान है। स्टेशन 1890 में बनकर तैयार हुआ था। अब इस इमारत को बने 134 साल हो गए हैं। इन सौ सालों में सब कुछ बदल गया। पुरानी इमारत से जुड़कर नए निर्माण हो गए। इसके बीच भी यह पुरानी इमारत अब भी उसी भव्यता के साथ जस की तस खड़ी है। बिलासपुर रेलवे स्टेशन सिर्फ एक परिवहन केंद्र नहीं, बल्कि शहर के लोगों की भावनाओं का अभिन्न हिस्सा है। बिलासपुर के हर नागरिक के लिए यह इमारत उनके शहर की पहचान और गौरव का प्रतीक है।
हालांकि, इन दिनों रेलवे प्रशासन की ओर से स्टेशन के व्यापक कायाकल्प की प्रक्रिया चल रही है। विकास की इस प्रक्रिया के चलते रेलवे स्टेशन की ऐतिहासिक इमारत को भी हटाने की खबरें सामने आ रही हैं, जिसने शहरवासियों में चिंता उत्पन्न कर दी है। इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए बिलासपुर के नागरिकों में फिर से एकजुटता की आवश्यकता महसूस की जा रही है। ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने रेलवे जोन आंदोलन के दौरान एक साथ खड़े होकर अपना अधिकार हासिल किया था।
ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण किसी भी समाज के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह न केवल उनके इतिहास और संस्कृति को संरक्षित रखने का एक माध्यम होता है, बल्कि भावी पीढ़ियों को उनके अतीत से जोड़ने का भी एक जरिया होता है। ऐसे में बिलासपुर रेलवे स्टेशन की ऐतिहासिक इमारत को सुरक्षित रखना सिर्फ एक संरचनात्मक मुद्दा नहीं, बल्कि शहर के इतिहास, गौरव और भावनाओं का भी सवाल है।
बिलासपुर की इस धरोहर को बचाने के लिए प्रेस क्लब बिलासपुर की ओर से एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जा रही है। यह बैठक 10 सितंबर, मंगलवार को राघवेंद्र राव सभा भवन परिसर में स्थित प्रेस क्लब में दोपहर 12 बजे होगी। बैठक में शहर के सभी प्रमुख संगठन, राजनैतिक दल, समाजसेवी संस्थान, सांस्कृतिक मंच, विचारक, चिंतक, साहित्यकार, पत्रकार और प्रबुद्ध नागरिक आमंत्रित हैं।
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य बिलासपुर रेलवे स्टेशन की ऐतिहासिक इमारत के संरक्षण पर गहन चिंतन करना है। बैठक में यह विचार किया जाएगा कि किस प्रकार इस इमारत को बचाने के लिए एक प्रभावी रणनीति बनाई जा सकती है और किस तरह से जनसहयोग प्राप्त किया जा सकता है।
इतिहास और धरोहर का संरक्षण एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, विशेषकर तब, जब विकास की आंधी में कई बार पुरानी संरचनाओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। यह जरूरी है कि हम विकास और धरोहर के बीच संतुलन बनाए रखें। बिलासपुर रेलवे स्टेशन की यह इमारत केवल ईंटों और पत्थरों से बनी एक संरचना नहीं है, यह उस युग की गवाही देती है, जिसने बिलासपुर को एक महत्वपूर्ण रेलवे केंद्र के रूप में उभारा।
यदि इस इमारत को हटाया जाता है, तो यह न केवल शहर के एक महत्वपूर्ण धरोहर स्थल का अंत होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों से उनका ऐतिहासिक संबंध भी छिन जाएगा।
बिलासपुर के लोग और यहां की सामाजिक संस्थाएं और संगठन इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए एकजुट हो रहे हैं। प्रेस क्लब की यह बैठक एक महत्वपूर्ण पहल है, जो धरोहर संरक्षण के प्रति जागरूकता और एकजुटता का संदेश देती है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक के माध्यम से एक मजबूत और ठोस योजना बनाई जाएगी, ताकि बिलासपुर रेलवे स्टेशन की यह ऐतिहासिक धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित की जा सके।
धरोहरों का संरक्षण हमारे समाज का कर्तव्य है और बिलासपुर शहर अपनी इस धरोहर को बचाने के लिए आगे बढ़ रहा है।
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