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चर्चित एसबीआर कॉलेज की जमीन का मामला… सियासत से अब सुप्रीम कोर्ट तक… जमीन पर ट्रस्ट के खिलाफ याचिका लगाने वाले से सुप्रीम कोर्ट ने 2 हफ्ते में मांगे दस्तावेज…

एसबीआर कॉलेज की जमीन का मामला सियासत से अब सुप्रीम कोर्ट तक…

जमीन पर ट्रस्ट के खिलाफ याचिका लगाने वाले से सुप्रीम कोर्ट ने 2 हफ्ते में मांगे दस्तावेज… कुछ दिनों पूर्व विपक्ष के बड़े नेताओं ने भी इस पर उठा दिए थे सवाल…

कई बड़े जमीन कारोबारी चाहते हैं इस जमीन का सौदा करना, इसलिए ट्रस्ट के सामने लगा रहे अड़चन…

July, 13/2021 बिलासपुर

एसबीआर कॉलेज की सामने की जमीन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट जा चुका है। याचिका लगाने वालों से सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्तों में दस्तावेज पेश करने कहा है। ट्रस्ट के खिलाफ याचिका लगाने वाले पहले लोअर कोर्ट हाईकोर्ट में हार चुके हैं। कुछ दिनों पूर्व विपक्ष के बड़े नेताओं ने भी इस जमीन पर सवाल उठा दिए थे, इसके बाद मामला सियासी रंग लेने लगा था। हालांकि दस्तावेजों को देखने के बाद सियासी लोगों के मुंह बंद हो गए थे।

आखिर मामला क्या है…

1944 में एसबीआर ट्रस्ट का गठन हुआ। इसे बजाज परिवार ने बनाया था। परिवार की तरफ से 10 एकड़ जमीन दान में दी गई। इसके अलावा जरहाभाटा में इस कॉलेज का निर्माण भी कराया गया। इसे हम जेपी वर्मा कॉलेज के नाम से भी जानते हैं। इस जमीन के अलावा एसबीआर कॉलेज के सामने की 2.38 एकड़ जमीन 1958 में ट्रस्ट ने खरीदी।

जरहाभाठा स्थित भूमि जिसका खसरा नं . 107/3 , 108/3 , 109 कुल 2.38 एकड़ जमीन एस बी आर ट्रस्ट की सम्पति है जिसका विवरण राजस्व अभिलेखों में दर्ज है । सामने की इस जमीन का अधिकार ट्रस्ट के पास है। इस जमीन को ना तो किसी को दान में दिया गया और ना ही इसका व्यावसायिक उपयोग किया गया। जब मामला कोर्ट में गया तो ट्रस्ट ने सीमांकन और रजिस्ट्री के सारे दस्तावेज कोर्ट में पेश किए। जिसके आधार पर फैसला एसबीआर ट्रस्ट के हक में आया। विपक्ष इसके बाद हाईकोर्ट गया और हाईकोर्ट में भी उनकी हार हुई। तब इस मामले को अब सुप्रीम कोर्ट ले जाया गया है, जा सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष को 2 हफ्ते का समय दस्तावेज पेश करने के लिए दिया है, जिसमें 1 हफ्ते से ज्यादा का समय हो चुका है।

कॉलेज की 8 एकड़ जमीन पर कब्जा…

कॉलेज को दान में जो 10 एकड़ जमीन मिली थी, अब उसमें 8 एकड़ जमीन पर कब्जा हो चुका है। कॉलेज के पीछे की 8 एकड़ जमीन पर मिनी बस्ती बस गई है। ट्रस्ट का आरोप है कि कॉलेज दान में दी हुई 10 एकड़ जमीन को तो संभाल नहीं पाया और इसे कब्जे में जाने दिया। आज भी इस जमीन पर मिनी बस्ती बसी हुई है और इसे हटाने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। लेकिन कॉलेज के सामने की जमीन जो रोड के किनारे है और कॉलेज जिसे मैदान के रूप में उपयोग करता रहा, उस पर विवाद पैदा किया जा रहा है।

आगे क्या होगा…

फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट सभी दस्तावेजों के अवलोकन के बाद या तो फैसला देगा या फिर दस्तावेज नहीं मिलने पर याचिका खारिज कर सकता है। हाईकोर्ट ने भी इन्हीं आधारों पर ट्रस्ट के पक्ष में फैसला दिया था।

यह भी बड़ा सवाल है…

1.एसबीआर कॉलेज अपने पीछे कब्जा किए हुए लोगों को हटाने का प्रयास क्यों नहीं करता?
2. जो लोग ट्रस्ट के स्वामित्व की जमीन पर विवाद कर रहे हैं, वो कॉलेज के कब्जे की जमीन पर कुछ क्यों नहीं बोलते?
3. आखिर इस कॉलेज की जमीन को सियासीमैदानमें ले जाने वाले कौन लोग हैं?
4. कौन से बड़े नाम है जो परिवार के एक सदस्य को सामने रखकर पीछे पूरी लड़ाई करवा रहे हैं?
5. अगर असंतुष्ट पक्ष के पास दस्तावेज हैं, तो उन्होंने लोअर कोर्ट और हाई कोर्ट में उसे प्रस्तुत क्यों नहीं किया? अब सुप्रीम कोर्ट में उसे प्रस्तुत क्यों नहीं कर रहे?

अभी यह है ट्रस्टी…

कमल बजाज अध्यक्ष
अनन्य बजाज सचिव
चिराग बजाज कोषाध्यक्ष
सुशील बजाज नागपुर
अभिषेक बजाज भिलाई

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor

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