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अवैध उत्खनन : महिला नेत्री का सिंडीकेट ?… बड़े नेता के संरक्षण में सेना की जमीन पर अवैध मुरूम की खुदाई ?…कार्रवाई के बजाय विभाग ने जारी कर दी रॉयल्टी पर्ची… अब हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान माँगा जबाब…

बिलासपुर, दिसंबर, 28/2024

अवैध उत्खनन : महिला नेत्री का सिंडीकेट ?… बड़े नेता के संरक्षण में सेना की जमीन पर अवैध मुरूम की खुदाई ?…कार्रवाई के बजाय विभाग ने जारी कर दी रॉयल्टी पर्ची… अब हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान माँगा जबाब…

बिलासपुर एयरपोर्ट की जमीन पर लंबे वक्त से सिंडिकेट बना कर अवैध मुरूम और मिट्टी खुदाई का खेल जारी है बड़े नेता की करीबी महिला नेत्री के द्वारा इस अवैध उत्खनन कर करोड़ों की मिट्टी मुरूम को बेच दिया गया है। यहां रात भर जेसीबी से खुदाई की जाती है और मुरूम मिट्टी को आस पास की कालोनियों में डंप किया गया है। कई बार इसकी शिकायत की गई है लेकिन बड़े नेता के करीबी होने के कारण अब तक यह कोई कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही खनिज टीम ने मौके पर कोई जांच कि है और अब उस क्षेत्र में लगे एक तालाब के गहरीकरण की रॉयल्टी पर्ची जारी कर मामले को दबाने और महिला नेत्री को बचाने का खेल शुरू हो गया है।

आपको बता दे कि अति सवेदनशील क्षेत्र बिलासपुर एयरपोर्ट से लगी रक्षा मंत्रालय की करीब 200 एकड़ जमीन है इस जमीन से खनिज चोरों ने करोड़ों रु की मुरूम की अवैध खुदाई कर बेच दी है अब इस मामले मे चौकाने वाला खुलासा हुआ है। इस क्षेत्र में देर रात का मिट्टी मुरूम का अवैध तरीके से खुदाई की जाती है। मौके पर मिले जेसीबी और हाइवा चालक से जानकारी मिली कि किसी महिला के द्वारा सिंडीकेट बनाकर इस अवैध खुदाई को अंजाम दिया जा रहा है। इस महिला नेत्री के पीछे एक बड़े नेता है हाथ है जिसके संरक्षण में इस अवैध उत्खनन और परिवहन को अंजाम दिया जा रहा है। यही वजह है की तमाम शिकायतों के बाद भी खनिज राजस्व सहित पुलिस प्रशासन के हाथ काँप रहे है। दो दर्जनों हाइवा के साथ करीब आधा दर्जन JCB के साथ सेना की जमीन की बेदर्दी से खुदाई मे एक ड्राइवर ने दुर्गा कौशिक और किसी बबलू सिंह के नाम का खुलासा भी किया है।

क्या कहते है अधिकारी….

वहीं इस मामले में खनिज अधिकारी रमाकांत सोनी का कहना है कि ग्राम पंचायत का तालाब गहरीकरण का प्रस्ताव आया था जिसमें तहसीलदार का भी प्रतिवेदन है इसलिए तालाब खुदाई करने 19 दिसंबर को रॉयल्टी पर्ची जारी की गई है। अब पूरे मामले की जांच कर अनुमति दिये गए क्षेत्र का सीमांकन किया जायेगा। अगर आस पास कही और खुदाई की जा रही है तो जांच कर उस पर कार्यवाही की जाएगी। हालांकि उन्होंने कितना क्षेत्रफल और कितने घनमीटर और कितने ट्रिप की पर्ची जारी की गई इसकी जानकारी नहीं दे पाए उन्होंने कहा आज छुट्टी है सोमवार को कार्यालय खुलने के बाद इसकी जानकारी दे पाएंगे।

महिला नेत्री ने कहा ली है परमिशन…

वही महिला नेत्री दुर्गा कौशिक ने मीडिया में अपना पक्ष रखते हुए कहा है की उसने इसके लिए खनिज विभाग से अनुमति ली हुई है। ग्राम पंचायत के बांदा तालाब में ही खुदाई का काम चल रहा है। जिसकी खनिज विभाग से अनुमति ली गई है और रॉयल्टी पर्ची भी जारी हुई है। बातचीत मे महिला नेत्री का कहना है की के उसके अलावा वहां कौन लोग खुदाई करते है उसकी जानकारी उन्हें नहीं है।

 

जिस खसरे की परमिशन वहा भरा है पानी…

सेना की जमीन पर खुदाई के मामले में एक नया मोड आया है सूत्रों से जानकारी मिली है कि जिस खसरा नंबर के लिए अनुमति जारी की गई है वो पानी से भरा हुआ है। उस जगह पर खुदाई करना लगभग नामुमकिन है ऐसे में पर्ची की आड़ लेकर और बड़े नेताओं का संरक्षण के दम पर आसपास के सेना के संवेदनशील क्षेत्र में जमीन से करोड़ों के मुरूम मिट्टी को निकाला जा रहा है और इस का उपयोग इलाके के अवैध प्लाटिंग और कुछ कॉलोनियों में समतलीकरण के लिए किया जा रहा है। कालोनियों के संचालक के इस्तेमाल की गई मुरुम की रायल्टी पर्ची भी नही है तमाम जानकारी होने के बाद भी खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने इन कालोनियों की जांच करना भी मुनासिब नही समझा जिसकी जांच भी जरूरी है।

हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी…

गौरतलब है की रक्षा मंत्रालय की जमीन पर अवैध खुदाई पर मीडिया की खबरों को स्वतः संज्ञान लेते हुए नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे रहते हैं और यह केवल गांव वालों का काम नहीं है, बल्कि इसके पीछे कुछ बड़े लोग भी हैं। यह मामला बिलासा देवी केवट एयरपोर्ट, चकरभाठा के पास स्थित रक्षा मंत्रालय की जमीन पर मुरूम की अवैध खुदाई से जुड़ा है। कोर्ट ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र अग्रवाल की विशेष बेंच ने राज्य सरकार और रक्षा मंत्रालय से शपथ पत्र में जवाब देने को कहा। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता राजकुमार गुप्ता ने गूगल मैप के माध्यम से यह तर्क पेश किया कि 2012 से उस स्थान पर गड्ढा था, लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को नकारते हुए कहा कि गूगल पर हमेशा विश्वास नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए नोटिस में देरी पर नाराजगी जताई और बताया कि इस खनन में राज्य को करोड़ों रुपए की रॉयल्टी का नुकसान हुआ है। अगली सुनवाई 9 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है, जब राज्य सरकार और रक्षा मंत्रालय से शपथ पत्र पर जवाब की उम्मीद की जा रही है।