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जमीन फर्जीवाड़ा : पहले सरकारी जमीन को निजी व्यक्ति के नाम चढ़ाया फिर बेच दी लाखो में… जमीन दलाल और पटवारी की मिलीभगत… मामला उजागर हुआ तो रजिस्ट्री हुई शून्य… न्याय की आस में भटक रहे पीड़ित…

बिलासपुर, जून, 20/2024

बिलासपुर में सरकारी जमीनो का फर्जीवाड़ा कम नही हो रहा है लगातार सरकारी जमीन की बंदरबांट करने का मामले सामने आ रहे है,पटवारी और जमीन दलाल मिल कर सरकारी जमीनों को निजी व्यक्ति के नाम चढ़ा कर उसे बेचने का खेल खेल रहे है।

ऐसा ही एक मामला रमतला का है जिसमे पटवारी और जमीन दलालों की मिलीभगत और षड्यंत्र का शिकार हुए दो भाइयों ने अपनी जीवनभर की गाढ़ी कमाई और जमीन दोनों गवां दी। सरकार जमीन को नंबरी (निजी) बताकर पटवारी और जमीन दलालों ने कपड़ा व्यापारी भाइयों को लाखों का चुना लगा दिया। अब पीड़ित दोनों भाई न्याय की उम्मीद में दफ्तर दर दफ्तर भटकने पर मजबूर है। दरअसल शहर के ही जमीन दलाल प्रवीण पाल और नागेंद्र ने कोनी पटवारी प्रिया द्विवेदी से मिली भगत कर कोनी क्षेत्र के रमतला स्थित खसरा नंबर 174/0.5 के सरकारी जमीन के कई टुकड़े को निजी भूमि बताकर भारतीय नगर निवासी आरिफ और उसके भाई असलम को बेच दिया, जिसका बकायदा रजिस्ट्री और नामांतरण भी हो गया। लेकिन बाद में वह जमीन सरकारी जमीन निकली। जिसके बाद बेची गई सरकारी जमीन की रजिस्ट्री को शून्य कर दिया गया। अब षडयंत्र के शिकार दोनो भाई अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई और जमीन दोनों से हाथ धो बैठे है। इस साजिश के शिकार दोनो भाइयों ने कलेक्टर और एस पी से न्याय की गुहार लगाई। दो साल बीत जाने के बाद भी पीड़ित भाइयों को न्याय नहीं मिला।

बिलासपुर SDM पीयूष तिवारी का कहना है कि हमने जांच कर दोषी पटवारी को निलंबित कर दिया है विभागीय जांच जारी है और अन्य दोषियों के खिलाफ पुलिस ने भी संज्ञान में ले लिया है।

धोखाधड़ी होने पर दोनों भाइयों ने कोनी थाने में मामला दर्ज कार्यवाया तत्कालीन टीआई सुखनंदन पटेल ने धोखाधड़ी और 420 के तहत एफआईआर तो दर्ज कर ली। लेकिन इस मामले में 1 साल भर बाद सिर्फ 1 आरोपी ही गिरफ्तार हो पाया है 1 अभी भी फरार है जबकि इस मामले में पटवारी की भी मिलीभगत सामने आ चुकी है जिसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर उन्हें निलंबित कर दिया गया लेकिन पुलिस ने इस मामले में उन्हें अभी तक गिरफ्तार नही किया । पुंलिस की उदासीनता के चलते प्रार्थी मोहम्मद आरिफ और उनके भाई मोहम्मद असलम न्याय पाने दर दर भटकने को मजबूर है।

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