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शिविर में अध्यात्म नहीं, सेक्स पर ज्ञान! बाबा परम आलय के बयान पर उठे सवाल… धर्म मंच पर ‘गाड़ी टेस्ट’ का उदाहरण… बाबा के बयान ने बढ़ाया विवाद…

बिलासपुर, दिसंबर, 04/2025

शिविर में अध्यात्म नहीं, सेक्स पर ज्ञान! बाबा परम आलय के बयान पर उठे सवाल… धर्म मंच पर ‘गाड़ी टेस्ट’ का उदाहरण… बाबा के बयान ने बढ़ाया विवाद…

बिलासपुर। शहर के पुलिस ग्राउंड में 2 से 7 दिसंबर तक सन टू ह्यूमन फाउंडेशन द्वारा पहली बार स्वास्थ्य एवं चेतना शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस शिविर में आध्यात्मिक गुरु के रूप में शामिल हुए धर्मगुरु परम आलय के एक बयान ने शहर का माहौल गर्म कर दिया है।

व्यापार विहार स्थित एक फार्म हाउस में ठहरे परम आलय ने मीडिया से चर्चा के दौरान ऐसा विवादित बयान दे दिया, जिसने न सिर्फ धार्मिक समाज को चौंका दिया, बल्कि शहरभर में तीखी प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है।

परम आलय ने कहा कि लड़कियों को शादी से पहले सेक्स से ऐतराज नहीं होना चाहिए… जैसे गाड़ी खरीदने से पहले उसे चलाकर देखते हैं। उनके इस बयान ने लोगों के बीच भारी असहमति और नाराजगी को जन्म दिया है।

धर्मगुरु आगे सेक्स एनर्जी पर बोलते हुए कहते हैं कि सेक्स ऊर्जा का ‘सदुपयोग’ सिखाना जरूरी है, और पश्चिमी संस्कृति की तरह शरीर को “दो हिस्सों” में नहीं बांटना चाहिए। उनका कहना है कि “सेक्स की उम्र आते ही सेक्स करने में बुराई नहीं है।”

वीडियो में सुनिए क्या कह रहे धर्मगुरु परम आलय 

शिविर में जहां लोगों को आध्यात्मिकता, धर्म, कर्म, आत्मा और परमात्मा के विषय में सीखने की उम्मीद थी, वहीं बाबा सेक्स पर अपने ‘ज्ञान’ का प्रवचन से लोगों में असहता नजर आई।

शहर में चर्चा है कि भारत की सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक परंपराओं के बीच इस तरह का बयान न सिर्फ अनुचित है बल्कि समाज को भ्रमित करने वाला भी है।

नेता–मंत्री–अफसर भी लगे थे स्वागत में, अब उठ रहे सवाल…

परम आलय के बिलासपुर आगमन पर कई नेता, मंत्री और अफसर भी स्वागत में मौजूद रहे। आयोजनकर्ताओं ने बड़े पैमाने पर इस कार्यक्रम की तैयारियाँ की थीं। लेकिन बाबा के बयान ने पूरे आयोजन को नई दिशा दे दी है और आलोचनाओं का केंद्र बना दिया है।

लोगों का कहना है कि “धर्मगुरु संस्कृति की बात करने की जगह सेक्स पर प्रवचन दे रहे हैं, यह बिलासपुर जैसी धर्मनगरी की मर्यादा के खिलाफ है।”

इस विवादित टिप्पणी के बाद शहर में अलग-अलग मत उभर रहे हैं, और कई धार्मिक संगठनों ने भी इस बयान की निंदा की है।

शहर में अब यह बहस छिड़ गई है कि क्या ऐसे बयानों को ‘आध्यात्मिक शिक्षा’ कहा जा सकता है या यह सामाजिक मूल्यों पर खुली चोट है।

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor
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