बिलासपुर // बिलासपुर पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख द्वारा हरदीप सिंह खनूजा को दिनांक 2-8-18 को फरार घोषित करते हुए 10000 रु,की इनाम राशि FIR नंबर 234 /15 और 250/15 थाना तखतपुर जिला बिलासपुर में घोषित किया। जबकि अपराध क्रमांक 250/15 में भी जांच के उपरांत अपराध करना नही पाया गया था। इस लिए झूठी रिपोर्ट पाये जाने से खार्जी क्रमांक 4/16 दिनांक 07-02-16 को खार्जी रिपोर्ट दी गयी थी। पुलिस अधीक्षक ने हरदीप सिंह खनूजा को फरार घोषित कर दिया। पर सवाल यह उठता है कि हरदीप सिंह खनूजा ने अगस्त 2017 को केंद्रीय जेल बिलासपुर में रंगारंग देश भक्ति का कार्यक्रम कराया । सितम्बर 2017 में दुबारा एक महीना बाद बिलासपुर केंद्रीय जेल में बंद महिला पुरुष बंदियों के बच्चों का छट्ठी मनाया । 26-09-2016 को एक मामले में सिरगिट्टी पुलिस ने हरदीप सिंह खनूजा को गिरफ्तार कर जिला अस्पताल में डॉक्टरी मुलाईजा कराया उसके वाद जिला न्यायालय में पेश किया जहां हरदीप सिंह खनूजा को न्यायालय से उसी दिन जमानत मिल गयी। वही माननीय मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के द्वारा भी हरदीप सिंह खनूजा को Zee Excellence Award (जी एक्सीलेंस अवार्ड) से फरवरी 2017 में सम्मानित किया था। 2015 से 2018 तक पुलिस ने जब जहा बुलाया वहां उपस्थित हो कर हरदीप सिंह ने अपना बयान दिया। महत्वपूर्ण बात यह है कि हरदीप सिंह खनूजा को पुलिस अधीक्षक द्वारा दिनांक 2-8-18 को फरार घोषित किया गया । जब कि पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख द्वारा मई 2018 को मुख्य अतिथि के रूप में क्रिकेट टूर्नामेंट में उपस्थित हुए जिसका आयोजन खालसा सेवा समिति द्वारा सीएमडी कॉलेज ग्राउंड बिलासपुर में किया गया था।
उपरोक्त क्रिकेट टूर्नामेंट में मुख्य अतिथि के रूप मे पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख एवं अतिथि के रूप मे उपस्थित हुए हरदीप सिंह खनूजा एवं खालसा सेवा समिति के सदस्यों के साथ फोटो भी खिंचवाई एक साथ मंच भी साझा किया उसके कुछ दिन बाद ही पुलिस अधीक्षक ने हरदीप सिंह खनूजा को फरार घोषित कर पता बताने वाले को इनाम भी घोषित कर दिया। शहर के बहुचर्चित बिल्डर हरदीप सिंह खनूजा ने हाई कोर्ट में तत्कालीन एसपी के खिलाफ दो अलग-अलग याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है। बिलासपुर के चर्चित बिल्डर एवं समाजसेवक हरदीप सिंह खूनजा की याचिका पर न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। वही कोर्ट ने सुनवाई के लिए 24 फरवरी की तिथि तय की है। याचिकाकर्ता के एक मामले जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दायर एफआइआर को रद करने की गुहार लगाई है। इस पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। बिल्डर हरदीप सिंह खनूजा ने अपने वकील संदीप श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में दो अलग-अलग याचिका पेश की है। तत्कालीन एसपी द्वारा भगोड़ा घोषित किए जाने से सामाजिक और व्यवसायिक प्रतिष्ठा धूमिल करने के आरोप में पांच करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया है। वही एक अन्य याचिका में अपने ऊपर दर्ज एफआइआर को रद करने की गुहार लगाई है। दोनों याचिकाओं पर जस्टिस संजय के अग्रवाल के सिंगल बेंच में सुनवाई हो रही है। याचिकाकर्ता खनूजा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील संदीप श्रीवास्तव ने सिंगल बेंच के समक्ष पैरवी की । वकील ने दलील पेश करते हुए कहा कि जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दुर्भावनापूर्वक कार्रवाई की है। व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा के चलते एक बिल्डर के इशारे पर की गई शिकायत के आधार पर उसके खिलाफ भादवि की धारा 420 के तहत जुर्म दर्ज कर दिया गया । संवैधानिक पहलुओं का हवाला देते हुए कहा कि एफआइआर दर्ज करने से पहले नियमानुसार विवेचना भी नहीं की गई । कार्रवाई करने से पहले याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया है। यह प्राकृतिक न्याय सिद्घांत के विपरीत है। ऐसा कर आला अफसर ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग किया है। अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बिना सुनवाई के अवसर दिए सीधे एफआइआर दर्ज करा दिया है। वकील ने कोर्ट के समक्ष विभागीय खामियों को उजागर करते हुए कहा कि पुलिस ने खुद ही माना है कि एफआइआर करने में गलती हुई है। मतलब साफ है पुलिस ने आला अफसर के इशारे पर जबरिया एफआइआर दर्ज कर लिया। इससे याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचा है।
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