बिलासपुर // वैसे तो प्रदेश के सभी जिलों के आरटीओ कार्यालय दलालों पर कुछ न कुछ निर्भर तो रहते ही है लेकिन बिलासपुर के आरटीओ ऑफिस को तो मानो दलालों ने खरीद लिया या उसकी लंबे समय के लिए पट्टे पर ले लिया है।
बिलासपुर के लगरा स्थित आरटीओ कार्यालय पूरी तरह से दलालों की गिरत में है । यहाँ कोई भी कार्य बिना दलालो के नही होता , वाहन लाईसेंस,परमिट,रजिस्ट्रेशन कराने वालों को खुलेआम लुटा जा रहा है लोगो को हर काम के लिये निर्धरित शासकीय शुल्क से कही अधिक रकम देनी पड़ रही है , यह धंधा कार्यालय परिसर में खुले आम चल रहा है ,सब कुछ देखते हुए भी अधिकारी कर्मचारी अपनी आंखें मूंदे हुए हैं,दरअसल यह सारा खेल कमीशन खोरी का हैं,अधिकारी कर्मचारीयों की मिलिभगत के कारण इन पर कार्यवाही नही होती ।
आरटीओ कार्यालय शहर से 7 किमी. दूर लगरा चले जाने की वजह से लोगों की समस्याएं काफी बढ़ गयी है, लेकिन इस से दलालो की चांदी हो गयी है।इतनी दूर जा कर कार्यालय का चक्कर काटने से बचने के लिए लोग दलालों के चंगुल में फंस जाते है जिनका पूरा फायदा उठाते है वही कर्मचारी भी आवेदकों को बार-बार कार्यालय बुलाते है जिससे परेशान हो कर दलालों के पास जाने मजबूर हो जाते है ।
आरटीओ कार्यालय के मुख्य गेट पर दलालो कि रहती है भीड़
आरटीओ कार्यालय के मुख्य गेट पर दलालों की भीड़ लगी रहती है, जैसे ही कोई व्यक्ति कार्यलय आता है ये लोग उसे घेर लेते है और काम का रेट तय होता है, ग्राहक के फँसने पर उसका फार्म भर कार्यालय में जमा कर दिया जाता है , यह सब खुलेआम होता है , नाम न छापने की शर्त पर एक दलाल ने बताया कि दस्तावेज़ देने पर हम सारा काम करा कर दे देते है,उसने बताया कि अगर आप खुद कार्यालय जा कर कराएंगे तो सिर्फ घूमते रह जाओगे लेकिन आपका काम नहीं हो पायेगा , वही एजेंट खुलेआम अधिकारी- कर्मचारीयो से दस्तावेजों पर दस्तखत करा लेते है,एजेंट का कहना है कि किसी भी काम के लिए कागज जमा करने पर बाबू के हस्तक्षर के एवज में एक तय रकम देनी होती हैं इसी तरह अधिकारियों का हस्तक्षर करने पर अलग – अलग रेट तय हैं,पैसे लिये बिना कोई भी हस्तक्षर नही करता ।
पूर्व में भगाया गया था दलालों को
आरटीओ कार्यालय जब शहर के अंदर था तब पूर्व आरटीओ हीरालाल नायक के द्वारा कड़े कदम उठाते हुए कार्यालय से सभी दलालो को भगाया गया था जिससे उनके बीच हड़कंप मच गआ था,वही कर्मचारी भी अपने अधिकारी से नाराज हो गये थे क्योंकि इसकी वजह से उनका कमीशन बंद हो गया था लेकिन इस कदम से वाहन लाइसेंस,परमिट व रजिस्ट्रेशन कराने आने वालो को बड़ी राहत मिल रही थी लेकिन उनके जाते ही फिर से कमिशन का खेल शुरू हो गया जो अब भी जारी है ।।
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