बिलासपुर // गुरुघासीदास विश्वविद्यालय मे सोमवार को आयोजित हुए दीक्षांत समारोह को लेकर कांग्रेस पार्टी ने कई सवाल उठाए है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय ने कहा है कि दीक्षांत समारोह की गरिमा के अनुरूप केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन प्रोटोकाल को नजर अंदाज किया और दीक्षांत समारोह का राजनीतिकरण किया गया ,जबकि स्टेट विश्वविद्यालय से केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए जिन छात्र नेता,नगर के प्रबुद्ध जन संघर्ष किया उन्हें गुरु घासीदास प्रशासन ने आमन्त्रण देना भी मुनासिब नही समझा,दीक्षांत समारोह की कुर्सी व्यवस्था ऐसी थी कि निर्वाचित जन प्रतिनिधि दूसरे, तीसरे और चौथे पंक्ति में बैठे थे जबकि भाजपा के नेता प्रथम पंक्ति में विराजमान थे ,दूसरे रो में शहर के प्रथम नागरिक महापौर रामशरण यादव और ज़िला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान थे ,वही तीसरे पंक्ति पर उच्च शिक्षा मंत्री की कुर्सी लगी थी ,इतने बड़े आयोजन में पत्रकार दीर्घा गायब था ,जबकि केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र नेता वर्तमान और पूर्व के लिए कोई निर्धारित स्थान भी नही रखा गया था ।
उन्होंने कहा एक गरिमामय दीक्षांत समारोह को राजनीति के चश्मे ने शहर के संघर्षशील और आंदोलन करने वाले ,छात्रों के अभिभावकों को सोचने के लिए मजबूर कर रहा है,कि क्या शहर में ऐसी सोच और परम्परा की बुनियाद रख हम बच्चों को क्या सीखा रहे है,
छत्तीसगढ़ के सन्त शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास के नाम पर विश्वविद्यलय का नामकरण इसलिये किया गया कि समाज मे हो या ,शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो किन्तु विश्वविद्यालय ने छोटा सोच और बड़ा काम करके इस बात को प्रमाणित कर दिया ।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगवानी में गए कांग्रेस नेताओ को मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद दीक्षांत समारोह में अंदर ले गए।
उन्होंने आगे कहा कि आज शहर में हवाई सेवा जन संघर्ष समिति के द्वारा लगभग 130 दिनों से हवाई सेवा की मांग को लेकर अनवरत धरना आंदोलन चल रहा है ,किन्तु इस जायज मांग को महामहिम से मिलकर अपनी बात रखने के लिए सदस्यो ने समय मांगा पर उन्हें नही दिया गया उल्टा उन्हें गिरफ्तार किया गया ,
जबकि महामहिम के आगमन से शहर सहित पूरे क्षेत्र में हर्ष की लहर थी और हर वर्ग,जाति, धर्म,के लोग शिक्षाविद,लेखक,पत्रकार आदि मिलने की इच्छा रखते थे क्योकि प्रथम राष्ट्रपति थे ,जो बिलासपुर में रात्रि विश्राम कर रहे थे,किन्तु विश्वविद्यालय की दूरी बनाओ नीति ने सभी को निराशा प्रदान किया ।
हम केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन से अपेक्षा करते है कि भविष्य में इनकी पुनरावृत्ति न हो ।
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