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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन ।

बिलासपुर // छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, पुराना उच्च न्यायालय बिलासपुर के सभागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सचिव, प्रभारी सचिवों हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा, न्यायाधीश, छ.ग. उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष छ.ग.राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण तथा अध्यक्षता माननीय न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी, न्यायाधीश, छ.ग. उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति एवं नीलम चंद सांखला रजिस्ट्रार जनरल एवं रमाशंकर प्रसाद, जिला न्यायाधीश, अध्यक्ष,जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में 23 जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सचिव उपस्थित हुए।


प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए माननीय न्यायमूर्ति गौतम भादुडी ने कहा कि प्रावधानों की जानकारी सभी को है। लोगों में संवेदनशीलता होनी चाहिए। कार्यक्रम का मुख्य मकसद आप लोगों को जागरूक करना है। मुख्य रूप से इस प्रषिक्षण कर्यक्रम का उददेष्य प्राधिकरण के कार्य संचालन के दौरान आनी वाली समस्याओं को आपस में एक दूसरे से साझा कर उसका समाधान/सुझाव निकालने के लिए हैं। हम विधिक प्रावधानों और लोगों के बीच एक पुल की तरह कार्य करते हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए माननीय न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा, न्यायाधीष, छ.ग. उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष छ.ग.राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने कहा कि …..हमें एक टीम की तरह काम करते हुए नालसा स्कीम एवं लीगल एड को आगे बढ़ाना है। नालसा की थीमसांग को बार-बार देखना चाहिये। जिसमें समाज के गरीब, कमजोर, दबे कुचले, सब लोगों के चेहरों को खिले हुए दिखाये गये हैं। उक्त सांग में नालसा के नियमों को लागू कर उन्हें लाभ पंहुचाया जाकर उनमें खुशियाँ भरी गई हैं, दिखाया गया है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की गतिविधियां अब जिला न्यायालय का चेहरा बन रहा है। विधिक सेवा संस्थान से प्रकरणों का निपटारा किया जाकर दोनों पक्षों को राहत प्रदान किया जाता है। प्री-लिटिगेषन के माध्यम से भी लाभ प्रदान किया जा रहा है। जिन लोगों को षासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, उन्हें लाभ दिलवाते हें तो उन्हें लगता हे कि न्याय व्यवस्था ने ही उन्हें न्याय दिलवाया है। इसलिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भी न्यायालय का चेहरा है।

आगे कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव फिल्ड में जाकर कार्य करें, जो कार्य कर रहे हैं उसे बढ़ाये। सचिव, न्यायिक अधिकारी होता है और विधिक सेवा का कार्य भी एक न्यायिक कार्य है और विधिक सेवा संस्थान भी न्यायालय का एक महत्वपूर्ण अंग है। दिल्ली में दिनांक 09 नवम्बर को आयोजित प्रशष्टि समारोह का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे यहां दूसरे राज्यों की अपेक्षा अच्छा कार्य हो रहा है, किन्तु उचित प्रस्तुतिकरण नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि अगले साल से राज्य स्तर पर समारोह आयोजित किया जावेगा जिमसें बेस्ट जिला प्राधिकरण, पैनल अधिवक्ता एवं पैरालीगल वालिंटियर का चयन कर उन्हें पुरस्कृत किया जावेगा। उन्होंने सभी सचिवों को प्रत्येक सप्ताह जेल भ्रमण करने का भी निर्देष दिया। सजायाफ्ता बंदियों की अपील सुनिष्चित करने एवं सजा की स्थिति में उन्हें न्यायालय के फैसले की प्रति उपलब्ध कराया जाना भी सुनिष्चित करने हेतु कहा।
कार्यक्रम को उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल श्री नीलचंद सांखला ने सम्बोधित कर विधिक सेवा संस्थान के प्रभावी संचालन के संबंध में जानकारी दी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ के अध्यक्ष/जिला न्यायालय रमाशंकर प्रसाद ने नालसा की स्कीमों के प्रभावी क्रियान्वयन किये जाने के संबंध में व्याख्यान दिये। विवेक कुमार तिवारी, अति. जिला न्यायाधीष, रायगढ़ ने पीड़ित क्षतिपूर्ति योजनाओं के संबंध में जानकारी एवं उसके प्रभावी क्रियान्वयन के बारे में बताया। एल.एन. राय, प्रशासनिक अधिकारी जिला न्यायालय बिलासपुर द्वारा कार्यालयीन कार्यो के सम्पादन में आने वाली कठिनाईयों एवं उनके निराकरण के संबंध में जानकारी दी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का स्वागत भाशण सिद्धार्थ अग्रवाल, सदस्य सचिव, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का संचालन उमेष कुमार उपाध्याय, सचिव, जि0वि0से0प्रा0 रायपुर एवं आभार प्रदर्षन श्रीमती श्वेता श्रीवास्तव, अवर सचिव रा0वि0से0प्रा0 द्वारा किया गया। उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के सचिव भानुप्रताप सिंह त्यागी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के विधिक सहायता अधिकारी विश्वभूशण मिश्र एवं शशांक शेखर दुबे ने भी सम्बोधित किया।

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