निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव करेंगे पार्षद
भाजपा की बढ़ेंगी मुश्किलें।
वरिष्ठ पत्रकार शशि कोंन्हेर की कलम से
बिलासपुर / एक तो वैसे ही गत विधानसभा चुनाव में पार्टी की बुरी तरह हुई दुर्गति, और उसके बाद दंतेवाड़ा उप चुनाव में कांग्रेस के हाथों मिली करारी हार ने भाजपा के रणनीतिकारों के नस बल ढीले कर दिए हैं। वहीं अब प्रस्तावित नगरीय निकाय चुनावो के दौरान नगर निगम के महापौर व नगरपालिका तथा नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों का चुनाव अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से कराने की भूपेश बधेल सरकार की पहल ने भाजपा नेताओं की चिंता बढ़ा दी है।मतलब अब सीधे मतदाताओं की जगह पार्षद ही महापौर व अध्यक्षों का चुनाव करेंगे। जनता पहले पार्षदों को चुनेगी फिर पार्षद महापौर व नगर पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्षो का चुनाव करेंगे। पहले प्रत्यक्ष चुनाव के जरिये प्रदेश के नगरीय निकायों के चुनाव कराने वाली प्रदेश सरकार ने जिस तरह एकाएक मध्यप्रदेश की तर्ज पर नगरीय निकाय चुनावों को अप्रत्यक्ष मतदान पद्धति से कराने के लिये यू टर्न लिया है। उससे साफ है कि भूपेश बघेल की प्रदेश के सरकार प्रस्तावित नगरीय निकाय चुनावों में हर हाल में अपनी जीत को सुनिश्चित करना चाहती है। और यही बात प्रदेश भाजपा की चिंता की प्रमुख वजह है।
दरअसल हाल में ही सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावो के समय से ही पूरे देश की तरह प्रदेश में भी जिस तरह राष्ट्रवाद और मोदी की लहर चल रही है। उस लहर के नगरीय निकाय चुनावों पर भी असर पड़ने की आशंका एक वर्ग को लग रही थी। लेकिन अब निकाय चुनावों में अप्रत्यक्ष मतदान प्रणाली अपनाए जाने से फौरी तौर पर भाजपा ही घाटे में दिखाई दे रही है। हालांकि अभी इस मामले में भाजपा की ओर से अपेक्षित राजनीतिक प्रतिक्रिया सामने नही आई है। लेकिन उसके नेताओ और भाजपा के नगरीय निकाय चुनावों के प्रभारी की चिंता जरूर बढ़ गई होगी।
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली से दोनों ही पार्टियों में महापौर व नगरनिगम तथा नगरपंचायत अध्यक्ष पर के दावेदार एक नई मुश्किल में फंस गए है। इससे अब उन्हें महापौर या नगर पालिका व नगर पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए पहले वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ना होगा। इसमे जितने पर ही वे आगे के लिए दावा कर सकते है।
बहरहाल, इस निर्वाचन पद्धति से नगरीय निकाय चुनाव कराने नियमो में वांछित बदलाव के लिए मंत्रमण्डलिय उप समिति गठित कर दी गई है। जिसकी रिपोर्ट को मंजूरी के बाद निगम व पालिका चुनाव की नई पद्धति लागू करने की राह आसान हो जाएगी।
इसके बाद न केवल भाजपा और कांगेस वर्न महापौर तथा नगरपालिका व नगरपंचायत अध्यक्ष पद के दावेदारों को सफलता की गारंटी के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।
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