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भूमाफियाओं ने शमशान को भी नही छोड़ा कर लिया अवैध कब्जा ,, राजस्व अधिकारियों और पटवारी की भूमिका पर उठ रहे सवाल ?

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बिलासपुर // प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दहशत से लोग जहा घरो की चार दीवारी में कैद थे पर वही राजस्व विभाग व प्रशासन के तमाम अधिकारी कर्मचारी कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु आमजनमानस को जागरूक करने का काम कर रहे थे। लॉक डाउन के समय जोन क्रमांक 7 नगर पालिक निगम बिलासपुर सीमा में शामिल मोपका पटवारी हल्का क्षेत्र, शमशान (मुर्दावली)भूमि पर कुछ लोगों द्वारा बेजा कब्जा किये जाने को लेकर खबर सुर्खियों बटोर रहा था।

वैसे भी हाल ही में नए कलेक्टर ने कार्यभार संभाला है और ऐसे में राजस्व प्रमुख के सामने बेजाकब्जा वह भी शमशान भूमि पर किये जाने की लिखित शिकायत से राजस्व अमले की नींद उड़ा कर रख दिया है। हालांकि आनन फानन में अतिरिक्त तहसीलदार ने जांच टीम गठित कर दी है परन्तु जांच से पूर्व ही गठित टीम पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं कि शिकायत जांच का आदेश जिला कलेक्टर के द्वारा किया जाता तो शायद जांच परिणाम निष्पक्ष होता!

वैसे तो बहतराई,लिंगियाडीह, मोपका में सरकारी जमीन की अफरा तफरी को लेकर खबरें आती रहती है दूसरी ओर रसूखदार भूमाफियाओं से मिलकर अवैध प्लाटिंग (कच्ची प्लाटिंग), किये जाने की खबर आम है। सूत्र बताते हैं कि पटवारी और भूमाफियाओं की मिलीभगत से कच्ची प्लाटिंग,जग जाहिर है।
नामांतरण किये जाने को लेकर आये दिन लोगों की अलग अलग शिकायत सामने आती हैं, कभी “डीएससी” यानी डिजिटल सिग्नेचर ऑन लाइन नहीं होने पर लोगों की रजिस्ट्री रुक जाती है, तब मेनुअल रिकॉर्ड लेने पर पटवारी को मुँह मांगी रकम देनी पड़ती है ताकि समय पर रजिस्ट्री हो सके। लोगों को शिकायत तो है।

अभी हाल ही में एक नया मामला सुर्खियों में आया है कि कुछ लोगों ने मोपका पंडित रामगोपाल तिवारी वार्ड नम्बर 47 में स्थित सालों पुराने श्मशान भूमि (मुर्दावली) पर कब्जा कर लिया है (मतलब लोगों की संवेदना से खिलवाड़) लोगों का कहना है कि उक्त भूमि सरकारी भूमि है और वहां पर वन विभाग द्वारा पौधरोपण किया गया था। इस घटना की लिखित शिकायत किये जाने के बाद अतिरिक्त तहसीलदार ने निजी भूमि व शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा हटाने की लिखित शिकायत पर विधिवत जांच कर प्रतिवेदन पंचनामा प्रस्तुत करने 9 सदस्यीय जांच टीम को निर्देश दिया है।

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इस घटना पर लोगों का कहना है कि पटवारी समय रहते ईमानदारी से कार्यवाही करते तो मोपका में शासकीय जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों की हिम्मत नहीं होती लेकिन अब तो सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों की बाढ़ आ गई है। यहां के नागरिकों ने कलेक्टर और अतिरिक्त तहसीलदार के समक्ष अरुण सिंह, राजेश गुप्ता, और ओम प्रकाश खैरवार की नामजद शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।

मोपका कुटीपारा के नागरिकों ने पार्षद, कलेक्टर और अतिरिक्त तहसीलदार के समक्ष की गई लिखित शिकायत में कहा है कि यहां खसरा नंबर 1044/1,1044/2 पर कब्जा करने वाले कि नामजद शिकायत पत्र पर लिखा है कि पिछले 100 साल से इस भूमि का उपयोग पूर्व ग्राम पंचायत मोपका के ग्रामीणों द्वारा श्मशान घाट के रूप में किया जा रहा है। पिछले कार्यकाल में यहां श्मशान घाट का निर्माण हुआ और वन विभाग द्वारा यहां पौधरोपण भी किया गया। शासकीय और श्मशान भूमि होने के बाद भी कुछ लोगों के द्वारा यहां अवैध कब्जा किया जा रहा है। मोहल्लेवासियों ने शासकीय भूमि से अवैध कब्जा हटाने की मांग की है।

ज्ञापन सौंपने वालों में मूलचंद धुरी, नारायण धुरी, अनुज, धन्नूराम, राजेश धुरी, भरतलाल धुरी, संतोष प्रसाद दुबे, चंद्रिका निषाद, संगीता धुरी, जयपाल निषाद, श्रीलाल लोनिया समेत अन्य वार्डवासी मौजूद थे। दूसरी तरफ शिकायत पत्र मिलने से कार्यालय अतिरियत तहसीलदार, बिलासपुर, नें कमल कौशिक राजस्व निरीक्षक, पंकज तिवारी राजस्व निरीक्षक, कौशल यादव पटवारी,ह.प.न. 29 मोपका, अशोक जायसवाल पटवारी, अमित पाण्डेय पटवारी, प्रयास बाकरे पटवारी,जुगल किशोर उप अभियंता नगर निगम, हरीश जैन पटवारी नगर निगम बिलासपुर, प्रभारी डिप्टी रेजर वन विभाग बिलासपुर की गठित दल द्वारा आवेदित भूमि का विधिवत जांच कर प्रतिवेदन पंचनामा सहित दो-दो प्रतियों में इस न्यायालय में दिनांक 12/06/2010 के पूर्व अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करनें का आदेश दिया है।साथ ही थाना प्रभारी को उक्त तिथि को पर्याप्त पुलिस की व्यवस्था करनें की बात लिखी गई है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन राजस्व पटवारियों को सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा जांच की जिम्मेदारी सौपी गई है,लोगों का कहना है कि उन पर कई गंभीर आरोप हैं, ऐसे में सवाल यह कि क्या जांच निष्पक्ष होगी! बहरहाल उक्त कब्जाधारियों द्वारा कब्जा किये गए भूमि के दस्तावेज, मौका मुआयना, स्थल परीक्षण, सीमांकन,ग्राम पंचायत के दस्तावेज देखे जाने के उपरांत ग्रामीणों द्वारा दिये गए बयान और उपलब्ध कराए गए दस्तावेज के परीक्षण से ही जांच दल तय कर पाएगा कि मुर्दावली पर कब्जे की शिकायत सही थी या नहीं किन्तु तब तक शिकायतकर्ताओं को इंतजार करना होगा।

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