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कानन जूं बनता जा रहा बेजुबानों की कब्रगाह… कब थमेगा जानवरों की मौतों का सिलसिला… अब एक भालू की मौत…

कानन जूं बनता जा रहा बेजुबानों की कब्रगाह… कब थमेगा जानवरों की मौतों का सिलसिला… अब एक भालू की मौत…

बिलासपुर, मार्च, 11/2022

कानन पेंडारी में एक बार फिर एक जंगली जानवर की मौत हो गई है इस बार एक नर भालू की मौत हुई है। भालू की तबीयत खराब होने पर कानन जू प्रबंधन ने उसे केज से शिफ्ट कर अस्पताल में लाया गया था और उसकी मौत गुरुवार को सुबह होने की जानकारी मिली है। मौत का कारण अभी साफ नही हुआ है लेकिन कहा जा रहा है कि भालू की मौत संक्रमण से हो सकती है। कानन ज़ू प्रबंधन ने भालू के बिसरा को बरेली वाइल्ड लाइफ लेबोरेटरी भेजा गया है जहाँ जांच के बाद मौत के सही कारण की जानकारी हो सकेगी। कुछ दिनों पहले हिप्पोपोटामस की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी, इसके पहले बाघ की मौत और पिछले पखवाड़े भालू की मौत हुई थी और उसी भालू के भाई की गुरुवार को मौत हुई है।

बिलासपुर के कानन पेंडारी ज़ू में जंगली जानवरों की मौत का सिलसिला खत्म होने का नाम नही ले रहा है।एक तरफ वाइल्ड लाइफ प्रेमियों को बेजुबानो की मौत निराश कर रही है तो वही बेशकीमती जानवरो की मौत ने ज़ू प्रबंधन की लापरवाही भी उजागर की है।

बिलासपुर संभाग के एक मात्र ज़ू बिलासपुर के पेंडारी ग्राम में स्थित है यहां लगभग 6 सौ प्रकार के जंगली जानवर है जिनमे चरिंदे और परिंदे शामिल है।यहा मौत के आंकड़े भी ज्यादा सामने आते हैं। कुछ सालों में यहां पर बेशकीमती जंगली जानवरों की मौत हो चुकी है दो काले तेंदुए, शेर, बाघ, शुतुरमुर्ग, हिप्पो,तेंदुआ यहां बेहतर इलाज के अभाव में मर चुके हैं इसके अलावा एक बार में 22 चीतलों की मौत का मामला भी सामने आ चुका है। 22 चीतलों की मौत का कारण आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया हैं। चार माह में ही 9 जानवरो की मौत हो चुकी है। कानन ज़ू में एक के बाद एक वन्य जीवों की मौत हो रही है। बीते 4 माह यानी मार्च से अब तक 9 वन्य प्राणियों की जान जा चुकी है, और कानन के अफसर हाथ पे हाथ धरे बैठे है। जानवरों की मौत पर कानन प्रबंधन कभी बीमार तो कभी उम्रदराज होंने को मौत की वजह बताता रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि कानन में घायल और बीमार वन्य जीवों का सही तरीके से इलाज नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते वन्य प्राणियों की मौत हो रही है। बीते 4 माह में मौत पर नजर डालें तो अधिकांश वन्य प्राणी घायल थे, जिन्हें चोट लगी थी।

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor

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