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नामांतरण प्रकरण में आवेदक ने दी शिकायत में झूठी जानकारी… नायब तहसीलदार को फंसाने रची साजिश… जुलाई में प्रस्तुत आवेदन को जनवरी में देने के दावे की खुली पोल…

बिलासपुर // नायब तहसीलदार तुलसी मंजरी साहू के कोर्ट में नामांतरण प्रकरण मामले में नया मोड़ आ गया है। इससे पहले आवेदक ने नायब तहसीलदार पर 11 महीनों से नामांतरण के लिए घुमाने और कार्य ना करने का आरोप लगाया था। आवेदक द्वारा जनवरी 2020 से नामांतरण के लिए आवेदन लगाया गया है। जबकि वास्तविकता यह है कि आवेदन 13 जुलाई 2020 को न्यायालय में लगा है। आवेदन पत्र में आवेदक और उसके अधिवक्ता के हस्ताक्षर भी हैं।
आवेदन लगाने के बाद पहली पेशी 29 जुलाई 2020 लॉकडाउन की वजह से आगे बढ़ी एवं उसके बाद कि लगातार तीन पेशियों में आवेदक एवं उसके अधिवक्ता अनुपस्थिति रहे थे जो कि ऑडर शिट में भी अवलोकनीय है। आवेदन पत्र और कोर्ट की कार्रवाई देखे तो आवेदनकर्ता के आरोप झूठे है।

आपको बता दें कि अमनदीप बैस नामक व्यक्ति अपनी दादी के पैतृक मकान को अपने नाम पर करने नामांतरण आवेदन नायब तहसीलदार श्रीमति तुलसी मंजरी साहू के कोर्ट में प्रस्तुत किया था ।
आवेदक स्वयं प्रथम बार पेशी दिनांक 5/11/2020 को अधिवक्ता के साथ प्रस्तुत हुआ जिसमें नायाब तहसीलदार द्वारा उसे समझाया गया कि प्रकरण पंजीकृत दानपत्र का है अतः दानदाता की गवाही और पंजीकृत दानपत्र के साक्ष्यो की गवाही अनिवार्य है एवं अगली पेशी दिनांक 25/11/2020 को निर्धारित किया गया। पेशी दिनांक 25/11/2020 को आवेदक अपनी दादी के साथ आया तहसीलदार आवेदक की दादी से शालीनतापूर्वक सिर्फ दो मिनट की पूछताछ करीं जो कि नामांतरण प्रकरण का अनिवार्य हिस्सा है उस पूरी प्रकिया के दौरान न तो आवेदक ने तहसीलदार द्वारा चेअर की मांग की और न ही तहसीलदार ने आवेदक की दादी से किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार किया।

प्रकरण के अवलोकन करने पर पाया गया कि उभय पक्षकारो द्वारा दान की गई संपत्ति के स्वअर्जित होने या पैतृक होने पर वारिसों की सहमति के संबंध में न्यायालय में किसी भी प्रकार का कोई दस्तावेज प्रस्तुत नही किया गया है जिसका तहसीलदार ने ऑडर शिट में उल्लेख कर पेशी दिनांक 24/12/2020 निर्धारित किया गया एवं जब शाम को 5 बजे आवेदक अमनदीप बैस तहसील न्यायालय में आया तो उसे दस्तावेज प्रस्तुत करने के सम्बंध में बताते हुए पेशी तारीख बताया गया इतने में ही आवेदक रजिस्टर्ड दानपत्र के आधार पर नामांतरण के सम्बंध में बिना विधिक प्रक्रिया को पूरी करे अपने पक्ष में आदेश पारित करने का दबाव बनाने लगा व न्यायालय में उपस्थित अन्य व्यक्तियों एवं रीडर के सामने तहसीलदार तुलसी मंजरी साहू को देख लेने की धमकी दे डाली।

आवेदक ने कलेक्टर और आयुक्त से शिकायत की है पर सवाल यह उठता है कि जुलाई में आवेदन पेश कर जनवरी की झूठी जानकारी देने पर उसके खिलाफ क्या कारवाई होगी ? अमनदीप बैस द्वारा तहसीलदार के साथ किये गए गलत एवं अभद्रतापूर्ण व्यवहार के संबंध में तत्काल तहसीलदार ने अपने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया एवं थाने में लिखित सूचना व्हाट्सअप द्वारा भेजवा दिया इस प्रकार की झूठी शिकायत एवं दुर्व्यवहार से कार्यनिष्ठ अधिकारी व कर्मचारी अपने कार्य के प्रति हतोउत्साहित होते है। इस प्रकार के फर्जी शिकायतकर्ताओं के ऊपर तत्काल कार्यवाही किया जाना चाहिए जिनसे अधिकारी बिना किसी दबाव के न्यायोचित कार्य कर सके।

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor

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