बिलासपुर // बिलासपुर ट्रैफिक पुलिस के जवान राजकुमार रजक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिस पर वर्दी पहने हुए ये जवान एक परिवार के लोगो को अभद्र और अपशब्दों का प्रयोग कर रहा है और व्यक्ति से मारपीट भी कर रहा है। यह वही आरक्षक है जिससे कुछ दिन पहले ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष से रांग साइड गाड़ी चलाने को लेकर विवाद हुआ था और पुलिस ने एक तरफा कार्यवाही करते हुए कांग्रेस नेता पर गैरजमानती धारा के तहत एफआईआर दर्ज किया था। लेकिन कांग्रेस नेता के भाई और पत्नी की शिकायत पर पुलिस ने आरक्षक के खिलाफ कोई मामला दर्ज नही किया ना ही उस पर कोई कार्यवाही की गईं। जबकि मोती थावरानी और उसकी पत्नी ने आरक्षक पर पहले गाली देने और शराब पी कर ड्यूटी करने का आरोप लगया था। मामला दर्ज होने के बाद से कांग्रेस नेता फरार हो गया था जिसे पुलिस ने अब गिरफ्तार कर लिया है।

कांग्रेस नेता मोती थावरानी को जेल भेजने से दुखी शहर विधायक शैलेश पाण्डेय ने पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल को पत्र लिख एकतरफा कार्रवाई को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। विधायक ने जिस यातायात सिपाही से कांग्रेस नेता का विवाद हुआ था, उसका एक वीडियो क्लिप भेजा है, जिसमे सिपाही लोगों से गाली-गलौज और मारपीट करते नजर आ रहा है ये वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है और लोग इस पर तरह तरह की प्रतिकिया भी दे रहे है।
वीडियो…
https://youtu.be/qU-9AG7lNok
इस पूरे मामले में शहर विधायक शैलेश पांडे ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े करते हुए पुलिस अधीक्षक से सवाल किए है। उन्होंने पूछा है कि क्या एसे होते है कानून के रखवाले, बेगुनाह गरीबों पर अत्यचार करने वाले। शान्ती और अमन के बिलासपुर मे यही आपकी पुलिस कर रही है। इस आरक्षक जिसके लिये पुलिस पूरे बचाव मे दिख रही है अपने पुलिस वाले की गंदी कर्तुतों को छुपाने का कार्य कर रही है जो सरेआम जनता से गंदी गंदी गालियां दे रहा है ये वही आरक्षक है जिसने हमारे साथी मोती थावरानी से उसकी पत्नी के सामने गालियां दी लेकिन कानून ने केवल मोती को ही आरोपी बनाया क्यों ? इस आरक्षक को देख कर नही लगता है कि इसने मोती को गाली नही दिया होगा फिर पुरा वीडियो जनता के सामने क्यों नही लाया गया केवल वही हिस्सा जिसमे मोती ने गाली दिया उतना ही क्यों दिखाया गया ? ये आरक्षक अगर शराब के नशे मे था तो उसका डॉक्टरी मुलाहिजा क्यों नही करवाया गया ? थाना सिविल लाईन मे जब समझौता हुआ तो उसके कागज कहां गये ?

दामिनी ( मोती थाव रानी की पत्नी ) की शिकायत क्यों नही लिया और उस पर कार्यवाही क्यों नही किया गया। उसके छोटे भाई क्यों पुलिस की दहशत से थाने से डर के मारे क्यों चले गये उनकी बात क्यों नही सुनी गयी ?
उक्त बाते और वीडियो पुलिस की कारवाही पर अविश्वास पैदा करती है। और ये वर्दी वाले गुंडे अगर इसी तरह कार्यवाही करते गये तो शहर मे पुलिस का आतंक हौ जायेगा।
मोती की गलती है तो उस पर पुलिस ने कार्यवाही किया लेकिन कार्यवाही एक पक्षीय दिख रही है सभी को पुलिस सम्मान करना चाहिये मै भी मानता हुँ इसलिये मोती की गलती पर खेद व्यक्त करता हुँ लेकिन पुलिस ने भी न्याय नही किया। मोती कोई आदतन अपराधी नही है शहर का कोई गुण्डा नही है एक कांग्रेस का कार्यकर्ता है और समाज सेवी है उस पहलू को शायद पुलिस भुल गयी है या उसको देखना नही चाहती है। और ये वीडियो आरक्षक के व्यव्हार का एक ठोस सबूत है।
फिर अन्याय क्यों हुआ ??
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