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रेलवे : रास्ते से भटकीं 40 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें ,, रेलवे दे रहा सफाई ,, वसई से गोरखपुर के लिए निकली ट्रेन पहुंच गई राउरकेला !

रेलवे ने प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, लेकिन कुछ ट्रेनें वहां नहीं पहुंचीं, जहां उन्हें जाना था। रेलवे ने तो कहा है कि उनका रास्ता बदला गया है, लेकिन रेलवे ने यात्रियों के बारे में जरा भी नहीं सोचा।

लाखों प्रवासी मजदूर रेवले की श्रमिक स्पेशल ट्रेन से अपने घर पहुंच चुके हैं इसी बीच एक श्रमिक ट्रेन महाराष्ट्र के वसई से यूपी के गोरखपुर के लिए चली और ओडिशा के राउरकेला पहुंच गई रेलवे ने कहा ये गलती से नहीं हुआ, बल्कि रूट व्यस्त होने की वजह से ऐसा किया गया खैर, ये अकेली ट्रेन नहीं है, जो कहीं और पहुंच गई, बल्कि सुनने में आ रहा है कि 40 ट्रेनों का रास्ता बदला गया है ।

नई दिल्ली // लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घरों से दूर दूसरे राज्यों में फंसे हुए थे और इसी बीच रेलवे ने संकटमोचन बनकर उन्हें अपने घरों तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं। इन ट्रेनों से प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाया जा रहा है। लाखों प्रवासी मजदूर रेवले की इस मदद से अपने घर भी पहुंच चुके हैं, लेकिन इसी बीच एक श्रमिक ट्रेन महाराष्ट्र के वसई से यूपी के गोरखपुर के लिए चली और ओडिशा के राउरकेला पहुंच गई। रेलवे ने कहा ये गलती से नहीं हुआ, बल्कि रूट व्यस्त होने की वजह से ऐसा किया गया। अब ऐसी खबर आ रही है कि एक-दो नहीं, बल्कि करीब 40 ट्रेनों का रास्ता बदला गया है।

40 ट्रेनें अपने रास्ते से ‘भटकीं’ ….

रेलवे के एक सूत्र ने कहा है सिर्फ कल यानी 23 मई को ही कई ट्रेनें का रास्ता बदला गया। हालांकि, उसने ये नहीं बताया कि कितनी ट्रेनों का रास्ता बदला है। इसी बीच कुछ सूत्रों से ऐसी जानकारी भी मिल रही है कि अब तक करीब 40 श्रमिक ट्रेनों का रास्ता बदला जा चुका है। रेलवे का कहना है कि इन ट्रेनों का रूट जानबूझ कर बदला गया, जबकि गोरखपुर जाने वाली ट्रेन को राउरकेला भेजने का तर्क समझ से परे है।

बेंगलुरु से बस्ती जा रही ट्रेन गाजियाबाद पहुंची …

एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन बेंगलुरु से करीब 1450 लोगों को लेकर यूपी के बस्ती जा रही थी। जब ट्रेन रुकी तो लोगों को लगा वह अपने घर पहुंचा गए, लेकिन ट्रेन तो गाजियाबाद में खड़ी थी। पता चला कि ट्रेन को रूट व्यस्त होने की वजह से डायवर्ट किया गया है।

महाराष्ट्र से पटना के लिए चली ट्रेन पहुंची पुरुलिया ….
इसी तरह महाराष्ट्र के लोकमान्य टर्मिनल से 21 मई की रात एक ट्रेन पटना के लिए चली, लेकिन वह पहुंच गई पुरुलिया। रेलवे का तर्क तो यही होगा कि इसे डायवर्ट किया गया है, लेकिन रेलवे के इस डायवर्जन से यात्री कितने परेशान हो रहे हैं, उसका अंदाजा भी लगा पाना मुश्किल है।

दरभंगा के बजाय ट्रेन पहुंची राउरकेला …

इसी तरह दरभंगा से चली एक ट्रेन का रूट भी बदलकर राउरकेला की ओर कर दिया गया। इस दौरान ये भी ध्यान नहीं रखा गया कि आखिर यात्री क्या खाएंगे-पिएंगे।

रेलवे ने भी कहा कि कई ट्रेनों का रास्ता बदला …

खुद रेलवे ने कहा है कि कई ट्रेनों का रास्ता बदला गया है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव के अनुसार 80 फीसदी ट्रेनें यूपी और बिहार पहुंच रही हैं, जिससे भीड़-भाड़ काफी अधिक बढ़ गई है। ऐसे में रेलवे को कई ट्रेनों का रूट बदलना पड़ा है।

सोशल मीडिया पर भी कई शिकायतें ….

अगर सोशल मीडिया पर देखें तो वहां भी ये साफ हो रहा है कि सिर्फ एक ट्रेन अपने रास्ते से नहीं भटकी है, बल्कि कई ट्रेनें भटकी हैं। एक ट्विटर यूजर ने लिखा है- मेरा दोस्त आनंद बख्शी सोलापुर से इटारसी जा रहा था और उसकी ट्रेन का रास्ता बदल दिया गया तो वह नागपुर पहुंच गया है। अब स्टेशन पर रेलवे स्टाफ का कहना है कि उसे क्वारंटीन में रहना होगा।

खाने को खाना नहीं, पीने को पानी नहीं ….

रेलवे ने तो बड़ी ही आसानी से ये तर्क दे दिया कि रास्ते व्यस्त होने की वजह से रूट डायवर्ट किया गया है, लेकिन ये नहीं सोचा कि इससे यात्रियों को कितनी परेशानी होगी। रेलवे ने तो उनके खाने-पीने के बारे में भी नहीं सोचा कि आखिर डायवर्जन में जो अतिरिक्त समय लग रहा है, उसमें यात्री क्या खाएंगे। बेंगलुरु से गाजियाबाद पहुंची ट्रेन में बैठे कुछ यात्रियों का कहना है कि उन्होंने 20 घंटों से कुछ नहीं खाया है। पुरुलिया पहुंची ट्रेन के यात्रियों से पता चला है कि उन्हें खाना-पीना कुछ नहीं मिला है और ट्रेन का पानी भी खत्म हो गया है।

किराया भी वसूल रहा है रेलवे ….

पहले से ही परेशान प्रवासी मजदूरों से किराया वसूले जाने को लेकर राजनीति तो खूब हो रही है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल रहा। बेंगलुरु से गाजियाबाद पहुंची ट्रेन के यात्रियों ने बताया कि उनसे 1020 रुपए लिए गए हैं, जिसमें से 875 रुपए ट्रेन का किराया है और 145 रुपए बस का किराया है।(साभार नवभारत टाईम्स )

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