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सरकंडा क्षेत्र में सट्टे का बढ़ता कारोबार… चौक-चौराहों पर एक कुख्यात सटोरिए के गुर्गे खुलेआम काट रहे सट्टे की पर्ची… डीजीपी और आईजी के फरमान का भी असर नही…

बिलासपुर // बिलासपुर के सरकंडा थाना क्षेत्र में सट्टे का कारोबार बड़ी तेजी से फलफूल रहा है। सरकंडा के अलग अलग इलाकों के चौक चौराहों में खुलेआम एक कुख्यात सटोरिए के गुर्गे सट्टापट्टी लिखते आसानी से नजर आ जायेंगे जिनसे क्षेत्र में रहने वाले रहवासी भी परेशान है पर ना जाने क्यों ये पुलिस को नजर नही आता या यूं कहें कि वो उस तरफ देखना ही नही चाहते जबकि चौक चौराहों से इन पुलिस की पेट्रोलिंग हो या 112 गाड़ी यहां से कई बार गुजरती है। इन सटोरियों की मौखिक शिकायत भी थानेदार से कि गयी है पर सूचना के बावजूद ना ही वहां पेट्रोलिंग भेजी गई ना ही कोई कार्यवाही की गई। जिस वजह से इन सटोरियों के हौंसले बुलंद है।

डीजीपी और आईजी के फरमान का भी असर नही…

आपको बतादें की छत्तीसगढ़ के डीजीपी से लेकर बिलासपुर के आईजी तक जुआ, सट्टा अवैध शराब, गांजा पर लगाम लगाने के लिए थानेदारों को फरमान जारी किए है लेकिन थानेदार इन अपराधों पर अंकुश लगाने में नाकाम नजर आ रहे हैं शायद यही वजह है कि बिलासपुर के सरकंडा इलाकों में चोरों का कद भी लगातार बढ़ता जा रहा है और आपराधिक घटना में लगातार इजाफा होता जा रहा है।

सरकंडा थाना क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में कुख्यात सटोरिया देवेंद्र सोनी अपने गुर्गों को अलग अलग जगह बैठा कर सट्टा की खुलेआम पर्ची कटवा रहा है पुलिस के पास जानकारी होने के बाद भी उस पर कार्यवाही नहीं कर रही है उल्टे आवेदन देने की बात करती है सरकंडा पुलिस की नजरों के सामने यह सट्टे का खेल खुलेआम खेला जा रहा है लगातार पेट्रोलिंग की गाड़ियां और पुलिस के कुछ सिपाही इन इलाकों में साफ तौर पर दिखाई देते हैं लेकिन उसके बाद भी उन पर कारवाई नहीं होने से सरकंडा पुलिस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सटोरियों का साफ साफ कहना है उनकी तो पुलिस से सेटिंग है तो हम पर कार्यवाही कौन करेगा। जिसे पुलिस से शिकायत करनी है करे।

चंद घंटों में पैसे को कई गुना कर देने के लालच में मध्यम वर्गीय परिवार और गरीब परिवार इन सटोरियों के चंगुल में पूरी तरह से फंस जाते है जिम्मेदार अधिकारियों को सब जानकारी होने के बाद भी इनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने से इनके हौसले बुलंद नजर आते हैं शिकायत के बाद भी अभी तक सरकंडा पुलिस इन सटोरियों को पकड़ने में नाकाम साबित हो रही है जहां एक तरफ प्रदेश के गृहमंत्री, डीजीपी से लेकर तमाम बड़े अधिकारी सटोरियों पर अंकुश लगाने की बात कहते नजर आते हैं वही उनके आदेशों की धज्जियां उड़ाते थानेदार साहब दिखते हैं थोड़ा दबाव या मजबूरी में अगर इन पर कार्रवाई करना पड़े तो सिर्फ जुआ एक्ट के तहत कार्रवाई कर थाने से भी इन सटोरियों को तुरंत छोड़ दिया जाता है और फिर दूसरे दिन से यह सटोरिए अपने-अपने इलाकों में फिर सक्रिय हो जाते हैं जरूरत है कि पुलिस कप्तान को यह निर्देश जारी करना चाहिए जिन थाना इलाकों में यह सटोरिए सक्रिय है उनके लिए थानेदार जिम्मेदार होंगे और उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी ऐसे फरमान और थानेदार के खिलाफ कार्रवाई होने के बाद ही सट्टा, गांजा अवैध शराब के कारोबार में अंकुश लग पाएगा।

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