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छत्तीसगढ़ : राज्य में शराबबंदी के नाम पर कांग्रेस ने वोट मांगा था तो अब शराबबंदी पर उत्तराखंड और यूपी का बहाना क्यों मार रही कांग्रेस ? …. रौशन सिंह

बिलासपुर // छत्तीसगढ़ राज्य में सरकार के शराबबंदी नहीं करने पर भाजयुमो नेता रौशन सिंह ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि हाथ में गंगा जल लेकर शराबबंदी की कसमें खाने वाले कांग्रेस नेताओं को पूर्ण शराबबंदी तुरंत लागू करना चाहिए। कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी के नाम पर जनता से वोट मांगे थे और आज जब शराब बंदी का अवसर आया तो भूपेश सरकार पीछे हट रही है।

सीएम भूपेश बघेल का 5 अप्रैल 2017 का ट्वीट जिसमे पूर्व की भाजपा सरकार के द्वारा शराब बिक्री के फैसले को सीएम भूपेश बघेल ने गलत बताया था ।

राज्य सूची के विषय पर अंतिम निर्णय राज सरकार को लेना होता है।आपदा प्रबंधन अधिनियम में स्पष्ट रूप से लेख है कि कौन सी गतिविधियां महामारी के समय लोक क्षेत्र में लागू होगी और कौन सी प्रतिबंधित। मोदी ने शराब दुकानों को खोलने का आदेश नहीं दिया देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के सभी आर्थिक गतिविधियों के लिए उन्होंने क्रमिक छूट दी है इसका मतलब यह तो नहीं कि शराब दुकान खोल कर बैठ जाओ। पूरे प्रदेश की जनता ने देखा, समझा और महसूस किया है कि 40 दिनों में सरकार शराब के धंधे को कितनी बेचैन थी ? 25 मार्च के बाद देश के मंदिरों में सन्नाटा पसरा हुआ है।गाँव हो या शहर,मंदिरों में भी लोग बाहर से भगवान का दर्शन कर पा रहे हैं लेकिन हद है कि मदिरालय में मेला लगा हुआ है। मंदिर में लोगों के सामूहिक पूजा करने से सोशल डिस्टेंसिंग और धारा 144 का उल्लंघन होता है लेकिन इस नियम को शराब दुकानों में लगी भीड़ के लिए नजरअंदाज कर दिया जाता है।

5 अप्रैल 2017 को सोशल मीडिया में किए गए पोस्ट में वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था -दारू चलाना सरकार का काम नहीं है। शराबबंदी का वादा कांग्रेस पार्टी ने किया,आज इसे का पूरा करने का समय आया है तो उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की दुकानों को पहले बंद करो फिर छत्तीसगढ़ में बंद करेंगे कांग्रेसजनों को यह वक्तव्य केवल बचकानी हरकत है। महामारी के समय संक्रमण के खतरे को देखते हुए पिछले 40 दिनों शराब बिक्री बंद रही,छत्तीसगढ़ सरकार को लोकप्रिय निर्णय लेते हुए तुरंत शराब बिक्री बंद करना चाहिए और अपना वादा पूरा करना चाहिए। शराब बिक्री से राजस्व हानि के वैकल्पिक उपायों पर डेढ़ वर्षो तक सरकार ने कुछ नहीं किया।
शराबबंदी के वादे को पूरा करने के लिए केवल शो बाजी होती रही और एक कमेटी बनाकर मामला को चलता कर दिया।महामारी के समय 40 दिनों से शराब की बिक्री बंद होने से लोगों के स्वास्थ्य पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ा है यही मौका है जब सरकार को अपना वादा पूरा करना चाहिए। पांच सालों में घोषणा को लागू करने वाली बात कोरी लीपापोती होगी।

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