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अन्नदाता भी मतदाता होता है सरकार…!

अन्नदाता भी मतदाता होता है सरकार…!

छत्तीसगढ़ // समाजसेवी और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने मीडिया के माध्यम से किसानों के आंदोलन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि केंद्र की मौजूदा सरकार को ये समझना चाहिए कि हठधर्मिता से देश नहीं चलेगा। आखिर किसानों(जो कि देश के मतदाता भी हैं) ने भी देश के आम चुनावों में मतदान किया है और मौजूदा सरकार को चुनने में अपना योगदान दिया है तो चुनी हुई सरकार की ज़िम्मेदारी भी उनके प्रति बनती है। एक ओर प्रधानमंत्री मीडिया के माध्यम से कहते हैं कि उन्होंने किसानों की आय दोगुनी कर दी है, और दूसरी ओर किसान आंदोलित रहते हैं। आखिर यह कैसे संभव है?

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय कहते हैं कि किसान की आय दोगुनी होने की सच्चाई का खुलासा एक राष्ट्रीय समाचार चैनल द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 के पूर्व किया जा चुका है, जिसकी सच्चाई पूरे देश ने देखी है। आख़िर आंकड़ों पर खेलकर क्या हासिल होगा? ज़मीन पर कार्य करने से किसानों की समस्याओं का समाधान होगा। मोदी सरकार को समझने की जरूरत है कि ऐसा कानून जिससे किसान ही खुश नहीं है उसे बनाने की जरूरत ही क्या है? कानून तो ऐसा होना चाहिए की जनता से रायशुमारी करके जनता के लिए बनाया जाए, आखिर यह सरकार जनता नहीं तो चुनी है।

कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच लंबे समय से कड़ाके की ठंड में आंदोलित किसानों की क्या स्थिति है और उनकी क्या मांगें हैं ये समझना मोदी सरकार की ज़िम्मेदारी है। आख़िर जो सत्ता में होता है, ज़िम्मेदारी उसी की होती है। किसान केवल तीन आश्वासन चाहते हैं। पहला कि उनका कर्ज़ माफ़ हो जाए। दूसरा उनकी लागत कम हो और तीसरा कि उनकी फसलों का उचित मूल्य उन्हें मिले। इस पर अगर मोदी सरकार निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है तो लानत है ऐसी सरकार पर।

उन्होंने आगे कहा कि जब कानून किसानों के हितों की रक्षा के लिए बनाना है तो किसानों से रायशुमारी करके ही बनाया जाना चाहिए और अगर मोदी सरकार ने ये कानून किसानों के हित में बनाया है तो किसान आंदोलित क्यों हैं? मोदी सरकार को समझना चाहिए फलदार वृक्ष हमेशा झुका हुआ होता है जो जिम्मेदार होता है उसे बहुत ही विनम्र होना पड़ता है। अगर सत्ता के मद में सरकार दंभ और अहंकार के रास्ते पर चलने लगेगी तो सर्वनाश सुनिश्चित है।

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