• Sun. Oct 13th, 2024

News look.in

नज़र हर खबर पर

लोहाराडीह में हत्या को आत्महत्या बताना राजनीतिक साजिश : जसबीर सिंग,, घटना पर गृहमंत्री इस्तीफा दें – प्रियंका शुक्ला

बिलासपुर, सितंबर, 27/2024

लोहाराडीह में हत्या को आत्महत्या बताना राजनीतिक साजिश : जसबीर सिंग,प्रदेश संगठन महामंत्री आप

लोहाराडीह की घटना पर गृहमंत्री इस्तीफा दें – प्रियंका शुक्ला – अध्यक्षा,जाँच कमेटी, आप….

आम आदमी पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री जसवीर सिंग चावला और कवर्धा की घटना जाँच कमेटी की अध्यक्ष एडवोकेट प्रियंका शुक्ला ने कवर्धा मामले पर शुक्रवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में चर्चा की। विदित हो कि मामले में आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष गोपाल साहू के निर्देश पर कवर्धा के लोहाराडीह के गांव में एक के बाद एक हुई मौत, आगजनी की घटना पर जांचदल बनाया गया था, जिसकी अध्यक्षता प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट प्रियंका शुक्ला द्वारा किया गया और अपने सदस्य साथियों अभिषेक मिश्रा, मिथलेश बघेल, ललित बघेल,भूपेश तिवारी के साथ ज्ञान साहू, हुकूमत साहू, देवी चंद्रवंशी, राहुल,सहित अन्य साथियों के साथ दिनांक 24/09/2024 को घटना स्थल वाले गांव लोहारडीह जाकर घटना की जांच की, इस दौरान घटना में आगजनी होकर घर और मृतक रघुनाथ( उपसरपंच), घटना में घायल कई बार की सरपंच भगोतिया रघुनाथ साहू (रघुनाथ की पत्नी) ( दोनो bjp नेता) के घर जाकर स्थल को देखा गया, परिवार वालो से मुलाकात कर, घटना के बारे में जानने का प्रयास किया।

वही उपस्थित रघुनाथ की भांजी रुकमनी से भी मुलाकात हुई, और उन्होंने बताया कि उनका घर भी जलाने का प्रयास किया गया था, उनके घर की दो गाड़ी को भी भीड़ ने जलाया है, मौके पर जाकर उनके घर में भी लोगो से मुलाकात करके, उनके जले हुए घर को देखा गया, देखने से लगा कि आग लगी थी लेकिन बाद में बुझा देने से घर बच गया। उनके द्वारा बताया गया कि दो जली हुई गाड़ी को पुलिस ले कर चली गई है।

हमारी टीम द्वारा सवाल करने पर कि आखिर यह रघुनाथ के घर में अगर सब घुसे भी जलाने के लिए तो ये हुआ क्यों??
जांच में यह पाया गया कि शिव प्रसाद और रघुनाथ दोनो ही राजनीतिक दल से भी थे, नेता थे और रघुनाथ गांव का नेता तो वही शिव प्रसाद 4 से 5 गांव का साहू समुदाय का पटेल( अध्यक्ष) था। दोनो के बीच काफी व्यक्तिगत विवाद भी थे, रघुनाथ के ऊपर शिव प्रसाद की पत्नी को छेड़खानी, बलात्कार जैसे गंभीर मामले को लेकर FIR हुई थी, और रघुनाथ को सामाजिक बहिष्कार भी किया गया था,जिसको लेकर गांव में ही समाजिक स्तर पर बैठक करके जाति समुदाय के नेताओ ने जिले स्तर की बैठक करके रघुनाथ को दंड के तौर पर 3 लाख दंड लगाकर, शिव प्रसाद की पत्नी वाले मामले के समझौता करवा कर, मामले को खत्म करवा दिया गया था, और समाज के वापसी भी हो गई थी, उक्त छेड़खानी की घटना के पश्चात रघुनाथ के ही पास में रहने वाले रिश्तेदार (बहन) की घर की रुक्मणि ने बताया कि 2023 में उनका खेत वाला घर मृतक शिव प्रसाद और उसके साथ वालो ने उस समय जलाया था, लेकिन पुलिस ने अज्ञात में FIR दर्ज की थी, जिसका आज तक कुछ नहीं हुआ है।

उक्त घटना की जांच के दौरान जब हमारा दल मृतक शिव प्रसाद के घर पहुंचा तो वहा पर ताला लटका मिला, लेकिन पास के ही उनके रिश्तेदार चाचा तिहारू से बातचीत हुई, तो पता चला कि छेड़खानी की घटना के अलावा गांव वालो की चारागाह की 72 एकड़ जमीन रघुनाथ ने कब्जा कर ली, जिसमे से 10 एकड़ जमीन को उसने अपने नाम पर चढ़ा लिया, बाकी जमीन को भी बेजा कब्जा करके बोना खाना कर रहा था, तिहारु साहू ने बताया कि इसको लेकर गांव में हमने कई बार बोला कि जमीन गांव वालो को वापस करो, गांव मवेशी चराने के लिए जमीन नही है, इसी को लेकर पूरा गांव नाराज था।

उक्त 72 एकड़ जमीन मामला कोर्ट के चल रहा है, यह जानकारी भी शिव प्रसाद के चाचा तिहारू ने दी, इसके अलावा तिहारू साहू ने दल को यह भी बताया कि रघुनाथ की पत्नी भगोतियां रघुनाथ साहू 30 वर्ष से सरपंच और रघुनाथ उपसरपंच रहा है।

साथ ही लोगो ने यह भी बताया कि जिस दिन शिव प्रसाद की लाश मिली, तो उसकी लाश को गांव में बाहर ही बाहर हड़बड़ करके क्रिया करम करवा दिए पुलिस वाले, गांव के पर्याप्त समय नहीं दिए परिवार को देखने का, मामले में शरीर पर काफी चोट के निशान के बावजूद मामले को आत्महत्या बताकर मामले को दबाने की साजिश शुरू हो गई, और चुकी मीटिंग में जाने वाली बात पर रघुनाथ मीटिंग में गया था लेकिन वो और बाकी सब वापस आ गए लेकिन शिव प्रसाद नही आया, ऐसे में भीड़ ने उक्त घटना को अंजाम दिया।
शिव प्रसाद उर्फ कचरू के 5 बच्चे है, शिव प्रसाद की पत्नी जेल में है, बच्चो की देख भाल के लिए शिव प्रसाद की बुजुर्ग सास को मजबूरी में करना पड़ रहा है,क्युकी उसके बच्चो के देख रेख के लिए कोई इंतजाम नही है।

बातचीत यह निकलकर आया कि सबका टारगेट सिर्फ रघुनाथ था, कई लोगो ने रघुनाथ के कई किस्से बताए।

वही प्रशांत साहू के घर जाने पर प्रशांत के परिवार वाले में से मुलाकात हुई, जानकारी मिली कि प्रशांत इरिगेशन विभाग के वेतन पर काम करता था, और जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन भी प्रशांत बांध की देख रेख के काम से बाहर था, यहां शिव प्रसाद की मौत वाली बात जब पता चली, तो समाज के किसी ने कॉल करके उन्हे काम बंद करके घर आ जाने को बोला था, इस कारण से काम छोड़कर घर आ गए थे, और फिर उसी के बाद पुलिस आई और मारते हुए घर से प्रशांत के भाई, प्रशांत की मां और प्रशांत को लेकर गई।
प्रशांत BJP का समर्थक भी था और चुनाव के समय वोट करवाने और बूथ संभालने का काम भी करता था, बाकी समय आस पास के तीन बांध की देखरेख का काम करके नौकरी करता था।

उसकी रिश्तेदारो ने बताया कि वो लोग लालपुर गांव के रहते है लेकिन वहा भी पुलिस ने जाकर महिला रिश्तेदार को भी बहुत मारा था, यह कहकर मारा गया कि उन्होंने सबको अपने घर में छिपाकर रखा है, महिला रिश्तेदार ने चोट के निशान भी हमे दिखाया जो कि काला लाल दिख रहा था।

प्रशांत के घर में उसकी बहु ने बताया कि प्रशांत, प्रशांत की मां और प्रशांत का भाई कन्हिया तीन लोगो को पुलिस घर से मारते हुए लेकर गई थी, पुलिस बहुत अधिक संख्या में थी और महिला पुरुष दोनो ही पुलिस ने तीनों को बहुत मारा,और घर वालो के साथ भी धक्कामुक्की किया।

प्रशांत की मौत की खबर मीडिया के माध्यम से घर वालो को पता चली थी, पुलिस प्रशासन के तरफ से कोई खबर नहीं दी गई थी, प्रशांत के भाई कन्हैया और प्रशांत की मां दोनो आज जेल में है, प्रशांत की पत्नी की काफी समय पहले मौत हो चुकी है, और प्रशांत का एक बेटा जिसका नाम गीतेश है,जो की 08 वर्ष का है जो कि कक्षा तीन में पढ़ता है, कल बातचीत में सब के अलावा गीतेश भी था, लेकिन एकदम गुमसुम बैठा था, मां और पिता दोनो की मौत के बाद बच्चे को लेकर जिम्मेदारी के सवाल पर, घर वालो ने बताया की सरकार ने उसके बच्चे की जिम्मेदारी को लेकर कोई बात या वादा नही किया है, मात्र 10 लाख का चेक देकर मामले को दबाने का प्रयास जारी है, प्रशांत के घर वालो से सवाल करने पर की रहुनाथ से आखिर प्रशांत की कोई दुश्मनी थी या क्या था??
घर वालो ने बोला कि घटना के दिन घर में ही नहीं थे प्रशांत, और प्रशांत के सगे रिश्तेदारी में बड़े पापा लगते थे रघुनाथ, ऐसे में सगे रिश्तेदार होने के नाते क्यों आखिर प्रशांत ऐसा करेंगे??
दाह संस्कार के काम को भी साथ में किया गया है, और आगे भी काम साथ होना है, रघुनाथ मामले में प्रशांत का कोई लेना देना नही है, पुलिस ने मारपीट जब करना शुरू किया, तो ढेरो लोगो को लेकर गए, जो मिला उसके लेकर गए, उसी के प्रशांत और घर वालो को लेकर गए है।

मामले में यह साफ है कि बीते दो साल में कई बैठक हुई, कई FIR हुई, और सारे मामले अज्ञात में करके मामले को सही जांच करने के बजाय मामले को दबाने की कोशिश की सरकार और उसकी पुलिस ने कड़ाई से कार्यवाही की होती, तो इतना बड़ा कांड नही होता।

गांव जाने से देखने को मिला कि प्रत्येक परिवार से कोई ना कोई जेल में है, ऐसे में खाने पीने की दिक्कत, बच्चो और बुजुर्गो के साथ मानसिक तनाव की दिक्कत, सीधे तौर पर प्रभावित कर रही है, सभी लोग बेहद डर गए है, क्युकी मामले में बात बात पर रद्दी से रद्दी काम पर रील बनाने वाले पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव द्वारा सूझ बूझ के साथ काम नहीं किया, ना ही लगातार हो रहे घटना को जानने में कोई दिलचस्पी ली, सब कुछ होता रहा, और भी अज्ञात के नाम पर मामला दर्ज करके , पुलिस प्रशासन ने और अभिषेक पल्लव , कलेक्टर आदि ने अज्ञात का पता लगाने में भी इंट्रेस्ट नही लिया, हालाकि उक्त 2 साल से हो रही बैठको और FIR में लोगो का कहना है कि उन्होंने नाम भी बताए थे, बावजूद उसके पुलिस अज्ञात के नाम पर मामला दर्ज करती।

पूरे मामले दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करे जाने की जरूरत है, भीड़ का कोई चेहरा नही होता, ऐसे में न्याय मिल पाना और भी मुश्किल होता है, समय रहते पुलिस प्रशासन ने यदि सब संज्ञान के साथ कड़ाई के। साथ कानूनी कार्यवाही (लाठी की कार्यवाही नही)की होती तो ये सब नही होता।

चौकाने वाली बात है की BJP के नेता एवं उपसरपंच रहे मृतक रघुनाथ के परिवार ने बताया कि घटना के इतने दिन के बाद भी उनको खाने पीने से लेकर, घर में रहने की दिक्कत है, लेकिन सरकार ने कोई प्रकार की मदद अब तक रघुनाथ के परिवार को नही दी है।
नाते रिश्तेदार ही आकर घर वालो को खाने पीने, कपड़े की मदद कर रहे है।

मामले में साहू समुदाय के लोगो के तरफ से गांव में खाने पीने का इंतजाम किया गया है, जहा गृह मंत्री विजय शर्मा खाना खाने गए थे, लेकिन इंतजाम कैसे हो रहा ,उससे उनका कोई मतलब नहीं,ट्विटर पर ऐसे पोस्ट कर रहे है जैसे शादी के खाना को खाने गए है।

हमने खाना खानें वाले स्थल पर एक नाबालिग बच्चे से बात किया, उसने बताया कि उसके साथ के 4 नाबालिग लोगो को भी पुलिस ने उठाया है , वो चार नाबालिग भी जेल में है।

एक दिव्यांग महिला ने बताया कि उसको भी पुलिस उठाकर लेकर जा रही थी, लेकिन उसने अपना हाथ दिखाया, के वो हाथ से दिव्यांग है, आग कैसे लगा सकती है, तब पुलिस ने उसको छोड़ दिया है।

गांव के गोंड जाति के एक परिवार ने बताया की ढेरो लोग उस दिन गांव में नही थे, काम में गए थे, लेकिन उनकी भी बाइक पुलिस लेकर चली गई है, लगभग 15 लोगो की बाइक, पुलिस लेकर गई है।

आगजनी की घटना एक दिन की घटना नही है, कई घटनाओं के तथ्यों से जुड़ा हुआ मामला है, पूर्व की समस्त घटनाओं संज्ञान में नही लेना, ठीक से मामले को नही हैंडल करना ये सब सरकार तंत्र का सबसे बड़ा फेलियर है, छोटे छोटे मामले में IB और LIB की रिपोर्ट बनवाने वाली bjp की विष्णुनदेव सरकार जब से बनी है, तब से पूरा प्रदेश जल रहा है, कभी बलौदाबजार घटना, तो कभी लोहारडी कवर्धा का घटना, 10 माह की सरकार में कानून व्यवस्था की बैंड बजा दिया जा चुका है, प्रदेश के जेल के प्रताड़ना के मामले, कस्टडी में मौत के मामले, आगजनी कांड, चाकूबाजी आम हो चुकी है लेकिन गृह मंत्री विजय शर्मा जो की उप मुख्यमंत्री है और कवर्धा उनका गृह जिला भी है,उनसे कुछ भी संभल नहीं रहा है।

आम आदमी पार्टी के नेताओ ने की मांग कि तीनों परिवार के लोगो को एक एक करोड़ का मुआवजा दिया जावे।

तीनों घटना को मिलाकर सक्षम न्यायिक जज से समय सीमा तय करके, ऐसा न हो कि कई साल तक जांच ही चले, इसलिए समय सीमा 6 माह में तय करके, न्यायिक जांच हो।

गांव के बच्चो और बुजुर्ग के लिए सरकार खाने पीने के इंतजाम करवाए, साहू समुदाय पर ही सारा जिम्मेदारी देकर, खुद पल्ला ना झाड़े

प्रशांत साहू, शिव प्रसाद, रघुनाथ तीनो ही परिवार के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पढ़ाई लिखाई हेतु समस्त जिम्मेदारी सरकार ले और उनका अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाए, और उसका लिखित आदेश में उसकी जिम्मेदारी लेकर जारी करे।रघुनाथ के परिवार वालो के पास कपड़े, खाना, कुछ नही है, त्वरित आदेश देकर रोज के सामान का इंतजाम करवाए सरकार।

गृह मंत्री विजय शर्मा इस्तीफा दे…

पुलिस अधीक्षक समेत, लाठीचार्ज का आदेश देने वाले, संलिप्त पुलिस के लोगो पर FIR दर्ज हो, पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ( रीलबाज अधिकारी) को बर्खास्त किया जाए। मांगे नही मानने पर आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल साहू जी के नेतृत्व कवर्धा जाकर प्रदर्शन किया जाएगा।