गोबर मॉडल ऑफ छत्तीसगढ़ : गौठानों के बदौलत स्कूली छात्र अब चराने लगे है मवेशी।गोबर योजना कही राज्य कि असल समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए तो नहीं ??
बिलासपुर, अगस्त, 05/2022
रायपुर नेशनल हाईवे पर बसे बेलमुंडी गाँव का ये नज़ारा छत्तीसगढ़ की वर्तमान स्थिति को बहुत कुछ बया करती हैं । गोबर-गोबर करते राज्य की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से गोबर हो गयी हैं। रात दिन ये नेता अधिकारी बस गोबर का ही ज्ञान बघारते रहते हैं । जनता की असल समस्या से भटकाने के लिए गोबर और गौठान की राग अलापते रहते हैं ।सड़क,आवास, क़ानून व्यवस्था, शिक्षा और रोज़गार जैसी बड़ी समस्याओं को छोड़कर ये नौसिखिए जनता का ध्यान गाय और गोबर पर लगा दिए हैं। बाक़ायदा इसके प्रचार प्रसार के लिए कई सौ करोड़ खर्च हो चुका हैं।विधान सभा में भी ये मुद्दा उठा । ये नेता जनता को गाय गरुआ समझ रखे हैं। जैसे कि जो खिलाएँगे वो खा लेंगे । गौठान के घपले तो सबको दिख रहा हैं । हज़ारों करोड़ और अधिकारियों की अमूल्य समय को गौठान में बर्बाद करने के बाद भी सारे गाय रोड पर ही घूम रहे हैं। अब तो शिक्षा का भी वही हाल हो गया हैं ।स्कूली बच्चे पढ़ाई छोड़ गाय चराने में लगे हैं। गोठान से रोज़गार जो मिल रहा ।
स्कूली शिक्षा के मामले में छत्तीसगढ़ औंधे मुंह गिर गया हैं। देश भर में कराए गए सर्वेक्षण में राज्य के बच्चों का परफार्मेंस 30 राज्यों से भी पीछे हैं। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सहित बच्चों की सीखने की क्षमता को परखने के लिए केंद्र सरकार की शिक्षा मंत्रालय ने नवंबर 2021 में सर्वेक्षण कराया था। नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2021 की रिपोर्ट जारी होते ही शिक्षा गुणवत्ता की कलई खुल गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के बच्चे सभी प्रमुख विषयों जैसे भाषा, गणित, अंग्रेजी, पर्यावरण और विज्ञान जैसे विषयों में राष्ट्रीय औसत अंक से काफी कम अंक हासिल किए हैं।
देश के राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य के कक्षा तीसरी के बच्चों को भाषा में 500 में से औसतन 301 अंक मिले हैं। जबकि देश का औसत अंक 323 हैं। देश में 34वां स्थान हैं। इसी तरह गणित में 32वां, पर्यावरण में 34वां स्थान मिला हैं। इसी तरह पांचवीं, आठवीं और 10वीं कक्षा में भी छत्तीसगढ़ देश के अंतिम तीन राज्यों में शामिल हैं । 2017 के सर्वे में छत्तीसगढ़ का देश में 18 वाँ स्थान था । पर इस सरकार के आने के बाद स्कूली शिक्षा में हम अंतिम 3 राज्यों की लिस्ट में शामिल हो गए है ।देश में कुल 1.24 लाख स्कूलों में 38.87 लाख बच्चों पर सर्वे किया गया। इनमें छत्तीसगढ़ से 4,481 स्कूलों से 18,517 शिक्षक और 1,15,995 विद्यार्थियों ने सहभागिता की थी।
इससे पता चलता हैं कि गोबर-गोबर करते हम कैसे लाखों बच्चों का भविष्य ख़राब कर चुके हैं । क्या हम अपने बच्चों को चरवाहा बनाना चाहते है ??? गुजरात मॉडल की ऐसी बदतर स्थिति नहीं हैं जो छत्तीसगढ़ मॉडल की ही गयी हैं। हमारे अधिकतर स्कूल भवन जर्जर पड़े हैं और हम यहाँ गौठान बनाने में व्यस्त हैं। मुट्ठी भर आत्मानंद स्कूल बना के राज्य में प्रचार प्रसार कर रहे हैं। और लाखो जर्जर पड़े स्कूल का क्या ?? 80 लाख ग़रीबो के लिए 16 लाख आवास बना नहीं पाए।जिसके कारण पंचायत मंत्री ने इस्तीफ़ा दे दिया ।छत्तीसगढ़ के सभी सड़क में गड्ढे ही गड्ढे हैं । चपरासी के 91 पद के लिए 2 लाख आवेदन आते हैं। हर ज़िले में निर्भया जैसे रेप कांड होने लग गए हैं । गाँव में कोई नया रोड नहीं, अस्पताल नहीं । सरकारी कर्मचारियों की मूल अधिकार महँगाई भत्ता तक नहीं दे पा रहे और सरकार मशगूल हैं गौठान बनाने में । इन सब से यही लगता हैं की सभी बड़ी समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए गौठान पर सरकार केंद्रित हैं । आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम को छत्तीसगढ़ में दिखानेके लिए कुछ नहीं था सम्भवतः इसलिए रायपुर में सिर्फ़ गौठान दिखा दिए । और वो शेख़चिल्ली छत्तीसगढ़ के गोबर मॉडल को गुजरात के विकास मॉडल से तुलना करने लग गया । लगता हैं दिमाग़ में भी गोबर भर गया हैं ।
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