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FASTag से जनता परेशान, महंगाई से जूझ रही जनता पर पड़ रहा है अतिरिक्त बोझ, सरकार बेपरवाह – प्रकाशपुंज पांडे

छत्तीसगढ़ // छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के राजनीतिक विश्लेषण प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने मीडिया के माध्यम से बताया कि जहाँ एक ओर देश की जनता पहले ही मोदी सरकार की नीतियों के कारण महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त है, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार ने NHAI के ज़रिए FASTag नामक एक नया बोझ जनता पर डाल दिया है जीसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी के ज़रिए टोल टैक्स वसूल किया जाएगा।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने बताया कि अब विषय यह है कि अव्वल तो इसके स्टीकर के लिए जनता को 100 रुपये चुकाने होंगे और साथ ही 200 रुपये हमेशा डिपॉजिट रखने होंगे। इसके बाद किसी भी व्यक्ति को अपने एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने और वापस आने के हिसाब से उस रास्ते पर जितने भी टोल नाके पड़ते हैं उनके अलग अलग टैक्स के अनुसार उतने या फिर उससे अधिक शुल्क का प्रीपेड रीचार्ज करवाना होगा और अगर रीचार्ज बीच में खत्म हो गया तो या तो ऑनलाइन रीचार्ज करवाना होगा या फिर अगले टोल नाके पर रीचार्ज करवाना होगा (अगर उस टोल बूथ पर रीचार्ज सुविधा उपलब्ध हो तो) लेकिन अगर कोई ऑनलाइन रीचार्ज करने में असमर्थ है तो उसे टोल टैक्स की दो गुनी राशी का भुगतान करना होगा। मतलब एक बार फिर सुचारू रूप से चलते हुए सिस्टम से छेड़छाड़ कर जनता को परेशान करने की कवायद की जा रही है।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने एक आंकड़े के साथ बताया कि वैसे तो 31 मार्च 2016 तक भारत में कुल 230 मिलियन गाड़ियाँ रजिस्टर्ड हुई थीं तो अगर मान लिया जाए कि अगर 10 करोड़ गाड़ियाँ भारत की सड़कों पर चलती हैं तो इस हिसाब से प्रत्येक व्यक्ति को 300 रुपये जो कि देना अनिवार्य है, के मुताबिक कुल मिलाकर 3 हजार करोड़ रुपये सरकार के खाते में जाएंगे, जिसका भार सीधे तौर पर जनता पर जाएगा। साथ ही इसके रीचार्ज के लिए कई नीजि कंपनियों को भी फायदा पहुंचाने की कवायद है। इससे स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार एन केन प्रकारेण जनता को परेशान करने के नए नए तरीके इज़ाद कर रही है ताकि जनता का ध्यान गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों से भटक जाए और जनता अंत में जीवित रहने को ही विकास मान ले।

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि इस विषय पर विपक्षी दलों को आवाज़ उठाने की जरूरत है नहीं तो CAA और NRC की तरह ही जनता स्वयं ही आंदोलन करेगी।

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor

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