बिलासपुर, जुलाई, 26/2024
नगरीय निकायों के वार्डों के परिसीमन पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक… जानिए क्या है मामला…
बिलासपुर हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में प्रदेश के कई नगरीय निकायों के वार्डों के परिसीमन पर रोक लगा दी है। प्रदेश के निकायों के परिसीमन के बाद दावा आपत्ति मंगाने का काम किया जा रहा था। इस आदेश के बाद पूरी प्रक्रिया पर रोक लग गई है।
बतादें की राज्य सरकार द्वारा राजनादगांव नगर निगम, कुम्हारी नगर पालिका व बेमेतरा नगर पंचायत और तखतपुर में वार्डों के परिसीमन आदेश को अलग अलग याचिकाकर्ताओं द्वारा चुनौती दी गई थी, याचिकाओं की प्रकृति समान होने से इन्हें एक साथ मर्ज कर सुनवाई की गई। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ,राज्य सरकार ने प्रदेशभर के निकायों के वार्ड परिसीमन के लिए जो आदेश जारी किया है उसमें वर्ष 2011 के जनगणना को आधार माना है, इसी आधार पर परिसीमन का कार्य करने कहा गया है। जस्टिस पी पी साहू की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं का कहना था कि वार्ड परिसीमन के लिए बनाए गए नियमों के अनुसार अंतिम जनगणना को आधार माना गया है। राज्य सरकार ने अपने सर्कुलर में भी परिसीमन के लिए अंतिम जनगणना को आधार माना है।
अधिवक्ताओं का कहना था कि राज्य सरकार ने इसके पहले वर्ष 2014 व 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का कार्य किया है। जब आधार एक ही है तो इस बार क्यों परिसीमन किया जा रहा है। इन तर्कों से सहमति जताते हुए कोर्ट ने पूछा कि वर्तमान में वर्ष 2024 में फिर से परिसीमन की जरुरत क्यों पड़ गई। कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब वर्ष 2011 की जनसंख्या को आधार मानकर वर्ष 2014 व 2019 में वार्डों का परिसीमन किया गया था। जनगणना का डेटा तो आया ही नहीं है, वर्ष 2011 के बाद जनगणना हुई नहीं है , तो फिर उसी जनगणना को आधार मानकर तीसरी बार परिसीमन कराने की जरुरत क्यों पड़ रही है।
2011 की जनगणना आज कैसे उपयुक्त। कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए शासन के वकीलों ने कहा कि परिसीमन मतदाता सूची के आधार पर नहीं जनगणना को ही आधार मानकर किया जा रहा है। परिसीमन से वार्डों का क्षेत्र व नक्शा बदल जाएगा। कोर्ट ने ला अफसरों से पूछा कि वर्ष 2011 की जनगणना को आज के परिप्रेक्ष्य में आदर्श कैसे मानेंगे। दो बार परिसीमन कर लिया गया है तो तीसरी मर्तबे क्यों। मौजूदा दौर में परिसीमन कराने का कोई कारण नहीं बनता और ना ही कोई औचित्य है। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आपत्तियों के निराकरण और अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी है।
सुमन दास गोस्वामी ( याचिकाकर्ता,बेमेतरा)
संदीप दुबे अधिवक्ता (नगर निगम)
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