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करोड़ों के NGO घोटाले में बड़ा खुलासा: हाईकोर्ट ने CBI जांच के दिए आदेश

बिलासपुर, सितंबर, 25/2025

करोड़ों के NGO घोटाले में बड़ा खुलासा: हाईकोर्ट ने CBI जांच के दिए आदेश…

बिलासपुर। राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान अस्पताल के नाम पर हुए बहुचर्चित करोड़ो रुपये के घोटाले की जांच अब CBI करेगी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बुधवार को इस मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि इतने गंभीर और संगठित अपराध की जांच स्थानीय एजेंसियों या पुलिस से कराना उचित नहीं होगा। अदालत ने CBI को आदेश दिया है कि वह 15 दिनों के भीतर सभी संबंधित दस्तावेज जब्त कर जांच शुरू करे।

मामले में राज्य के छह वरिष्ठ IAS अफसरों समेत कई अधिकारियों पर गंभीर आरोप हैं। याचिका रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने 2017 में दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य के कई वर्तमान और सेवानिवृत्त अफसरों ने एक फर्जी NGO के नाम पर करोड़ों रुपये का गबन किया है।

अदालत की टिप्पणी

जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने कहा, “यह महज त्रुटि नहीं बल्कि संगठित और सुनियोजित अपराध है।” हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब इस बहुचर्चित घोटाले में CBI जांच की राह पूरी तरह साफ हो गई है।

कैसे खुला घोटाला ?

जांच में सामने आया कि “राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान” नाम की कोई संस्था वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं है। केवल कागजों में संस्था का गठन दिखाया गया और इसके नाम पर करोड़ों रुपये की मशीनें खरीदी गईं। रखरखाव के नाम पर भी भारी खर्च दिखाए गए। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्हें इसी फर्जी अस्पताल का कर्मचारी बताकर वेतन तक दिया गया था।

RTI से पता चला कि नया रायपुर स्थित अस्पताल को एक NGO चला रहा है और इसके नाम पर बैंक ऑफ इंडिया और SBI की शाखाओं में फर्जी आधार कार्ड से खाते खोलकर करोड़ों रुपये निकाले गए।

150–200 करोड़ की गड़बड़ी का स्वीकारोक्ति

मामले की सुनवाई के दौरान तत्कालीन मुख्य सचिव अजय सिंह ने शपथ पत्र में माना कि 150 से 200 करोड़ रुपये तक की गड़बड़ियां हुई हैं।

कौन-कौन आरोपी ?

याचिका में जिन अफसरों के नाम शामिल हैं, उनमें

आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एमके राउत, सुनील कुजूर

बीएल अग्रवाल, पीपी सोती के साथ अन्य अधिकारियों के नाम भी दर्ज हैं।

 

 

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Lokesh war waghmare - Founder/ Editor

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