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ओपन यूनिवर्सिटी में विवादित पदों की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर शुरू… चुनाव आचार संहिता के पहले आनन-फानन में करने जा रहा नियुक्ति… पीएमओ से है जांच के आदेश…

ओपन यूनिवर्सिटी में विवादित पदों की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर शुरू… चुनाव आचार संहिता के पहले आनन-फानन में करने जा रहा नियुक्ति… पीएमओ से है जांच के आदेश…

बिलासपुर, अगस्त, 24/2023

पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में विवादित पदों की भर्ती की प्रक्रिया एक बार फिर से शुरू कर दी गई है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि 9 सितंबर को कार्य परिषद की बैठक के पहले ही अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए कॉल किया जाएगा, और दो पदों के बंद लिफाफे सहित सभी चयनित उम्मीदवारों की जल्दी नियुक्ति की जाएगी। विश्वविद्यालय प्रबंधन चुनाव आचार संहिता लगने के पूर्व आनन फानन में नियुक्ति करने जा रहा है। गौरतलब है कि चयनित किए जाने वाले उम्मीदवारों के नाम पहले ही पद के अनुसार वायरल हो गए थे, इस संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली एवं छत्तीसगढ़ के राज्यपाल से शिकायत की गई थी। इसके बाद मामले की जांच की जा रही है। मामला सामने आने के के बाद उच्च शिक्षा विभाग से विश्वविद्यालय प्रबंधन को फटकार भी लगाई गई थी।

पंडित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय बिलासपुर में स्व वित्तीय योजना अंतर्गत कुल 08 पदों का सृजन हुआ है जिसमें सहायक क्षेत्रीय निदेशक के 03 पद, सिस्टम एनालिस्ट का 01 पद, कम्प्यूटर प्रोग्रामर का 01 पद, छात्र कल्याण अधिकारी का 01 पद, सहायक छात्र कल्याण अधिकारी का 01 पद तथा जनसंपर्क अधिकारी का 01 पद सम्मिलित है। इन पदों में नियमित नियुक्ति हेतु विश्वविद्यालय के द्वारा पहले जनवरी, 2023 में विज्ञापन जारी किया गया लेकिन एक अभ्यर्थी किरण दुबे के द्वारा उच्च न्यायालय, बिलासपुर में पिटीशन प्रस्तुत करने के कारण उसे निरस्त कर पुनः विज्ञापन फरवरी, 2023 में जारी किया गया। उक्त विज्ञापन में अनेक तरह से अनियमितता, भ्रष्टाचार तथा भाई-भतीजावाद की शिकायत शिकायतें राष्टपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को प्रेषित किया गया है।

इन प्रमुख बिन्दुओं में हुई शिकायत…

1. उपरोक्त 08 पदो के सृजन के लिये सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के वित्त समिति एवं कार्यपरिषद् की स्वीकृति ली जानी थी, जो कुलपति ने नहीं लिया और स्वयं ही बिना अधिकार के उक्त 08 पदों के स्वीकृति के लिये राज्य शासन उच्च शिक्षा विभाग को पत्र लिखा। उक्त पदो के औचित्य, आवश्यकता, उनमें होने वाले व्यय की भी स्वीकृति कार्यपरिषद् द्वारा नहीं लिया गया।
2. विश्वविद्यालय द्वारा जारी विज्ञापन में अभ्यर्थियों के लिये अधिकतम आयु सीमा का बंधन नहीं रखा गया। राज्य शासन के द्वारा जारी नियम के अनुसार, छत्तीसगढ के मूल निवासियों के लिये अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष तथा छत्तीसगढ के बाहर के अभ्यर्थियों के लिये 30 वर्ष निर्धारित है।
3. विज्ञापन में प्रतियोगी परीक्षा के लिये कोई सिलेबस जारी नहीं किया गया था, जबकि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिये सिलेबस जारी किया जाना आवश्यक होता है तथा उसी सिलेबास के आधार पर उम्मीदवारों से प्रश्न पूछे जाने चाहिए।
4. शिकायत में यह भी कहा गया है कि विश्वविद्यालय ने विज्ञापन में उल्लेखित पदो के लिये पहले से ही उम्मीदवार तय कर लिया है और ये परीक्षा दिखाने के लिये किया जा रहा है जैसे सहायक क्षेत्रीय निदेशक में डॉ. दीपक पाण्डे का नाम तय है जो वर्तमान कुलपति डॉ. बंश गोपाल सिंह के निज सचिव है। इसी तरह श्री गोमेद कुमार पाठक का सिस्टम एनालिस्ट के पद पर नियुक्त तय है जो वर्तमान सचिव, छ.ग. शासन, उच्च शिक्षा विभाग के निज सहायक रह चुके है, श्री शान्तनू पटेल का नाम छात्र कल्याण अधिकारी के लिए तय है।
5. शिकायत में यह भी कहा गया है कि लिखित परीक्षा के परिणाम/अंक तालिका बिना घोषित किये ही कुछ लोगो को इंटरव्यू के लिये बुला गया है, जिससे यह पारदर्शी प्रक्रिया नहीं लग रहा है।
6. परीक्षा के बाद मॉडल आंसर 25 मार्च, 2023 को जारी किया गया तथा 31 मार्च, 2023 तक दावा आपत्ति मंगाया गया। बहुत से अभ्यर्थियों ने दावा आपत्ति प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय ने इन दावा आपत्तियों पर क्या कार्यवाही किया, इसकी कोई सूचना अभ्यर्थियों को नहीं दी गई है। इसी तरह फाइनल मॉडल आंसर जारी नहीं करने से पूरी प्रक्रिया संदेहास्पद हो गई है।
7. जिन 08 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर भर्ती प्रक्रिया पूर्ण की जा रही है उन पदो के लिये अभी विश्वविद्यालय से सेवा नियम ही तैयार नहीं किये गये है।
8. विश्वविद्यालय में कार्य कर चुके अभ्यर्थियों को अनुभव का अतिरिक्त अंक दिया जा रहा है सीधी भर्ती में बोनस अंक के प्रावधान को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर के द्वारा रद्द किया जा चुका है। जिसके बाद से अब तक बिजली कर्मीयों की भर्ती हीं हो पाई है।
9. ई मेल से सभी अभ्यर्थियों को इंटरव्यू कॉल लेटर प्रेषित किया गया जबकि कॉल लेटर को स्पीड पोस्ट/डाक से प्रेषित किया जाना था।
10. डिगेश्वर साहू, जितेन्द्र कुमार साहू, कोरबा तथा पी आर जायसवाल बिलासपुर जैसे कुछ समाजसेवियों, आर.टी. एक्टिविस्टों ने मामले की शिकायतें दर्ज कराई है।

पीएमओं से जांच के आदेश –

जितेन्द्र कुमार साहू के शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने जांच के आदेश कलेक्टर, बिलासपुर को दिये। कलेक्टर बिलासपुर ने अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा कार्यालय बिलासपुर डॉ. प्रवीण पाण्डे को जांच के आदेश दिये। प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर हो रही जांच मे पंडित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय बिलासपुर के कर्मचारी दीपक पांडे, कुलपति कार्यालय के द्वारा प्रतिवेदन अपने हस्ताक्षर से जारी किया गया है। उकत कर्मचारी विश्वविद्यालय मे अनियमित मानसेवी कर्मचारी है। नियमतः शासन के होने वाले पत्राचार मे विश्वविद्यालय से पत्र भेजने हेतु कुलपति एवं कुलसचिव ही अधिकृत होते है, लेकिन विश्वविद्यालय का कामकाज मुक्त स्टाइल मे चल रहा है। यही नहीं शिकायत के बिन्दुवों पर भ्रमित करने वाली जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई है। हस्ताक्षर करने वाले कर्मचारी डॉ दीपक पांडे ने अपना पदनाम भी इसी कारण से पत्र मे नहीं उल्लेखित किया है क्योंकि उसका पदनाम समन्यक है।

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